"ये कैसा काफिला है
छाई खामोशी है
ठंडी है ये राते
कैसी ये मदहोशी है
रूह की पुकार है
लबों पर खामोशी है
ये काफिला है इश्क का
मोहब्बत की मदहोशी है
जुनून है तुझे पाने का
पर तेरी रज़ा पर खामोशी है
है अब हर मौसम रंगीन सनम
तेरे ऐतबार की मदहोशी है"
शुभ रात्रि🙏🙏
छाई खामोशी है
ठंडी है ये राते
कैसी ये मदहोशी है
रूह की पुकार है
लबों पर खामोशी है
ये काफिला है इश्क का
मोहब्बत की मदहोशी है
जुनून है तुझे पाने का
पर तेरी रज़ा पर खामोशी है
है अब हर मौसम रंगीन सनम
तेरे ऐतबार की मदहोशी है"
शुभ रात्रि🙏🙏
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