" ईश्वर कहते हैं मृत्यु का अर्थ किसी प्रिये का हमसे अलग होना नहीं है, मृत्यु तो वो स्थान है जहाँ हम जा कर ईश्वर की कृपा प्राप्त कर अथवा प्रत्येक व्यक्ति अपने प्रिये जन से सदा सदा के लिए मिलन को प्राप्त होता है, किन्तु जिन आत्माओ को पुनर्जन्म प्राप्त हो जाता है तभी भी उसके उस भोतिक रूप और उस रूप में प्राप्त उन भोतिक रिश्तों के साथ भी उसके पिछले जन्म के अति प्रिये जन परमेश्वर के पास रहते हुए ईश्वर की कृपा प्राप्त करते हैं और सदा आत्मिक रूप से उसके करीब तब तक रहते हैं जब तक की वो भी भोतिक शरीर के बंधनों से मुक्ति प्राप्त नहीं करता है।"
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Thanks and Regards
*****Archana**
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