Friday, 16 November 2012

prabhu vandana-मझधार में मैं डूबता प्रभु मुझे यहा से उबारो तुम,

""मझधार में मैं डूबता प्रभु मुझे यहा से उबारो तुम, मो माया में फॅसा हुआ मैं प्रभु मुझे निकालो तुम, 

डूबती है मेरी नैया पापो की नादिया में, बन के खिवैया मेरी नैया प्रभु अब तारो तुम, 

खो रहा मेरा जीवन दुश्टों की दुनिया में, हे प्रभु मुझे तो अब संभलो तुम, मुझे यहा से निकालो तुम, 

मुझे तो अब तारो तुम, लिया जन्म था जब दुनिया में पाप पुण्या से अंजान था मैं, 

स्वार्थ बिना जीवन था मेरा और चेहरा था मुश्कान भरा, आज स्वार्थ तले मझधार  मैं हूँ खड़ा प्रभु, 

मायाजाल में हूँ फॅसा प्रभु मुझे उबारो तुम,  समझ ना आए मुझे प्रभु क्या करू क्या ना करू, 

बीच राह में मैं खड़ा तुझे रहा हूँ पुकार प्रभु, सुन लो मेरी पुकार आ जाओ तुम यहा प्रभु, 

मझधार में मैं डूब रहा मुझे यहा से निकालो तुम, मझधार में डूब रहा मुझे यहा से तारो तुम, 

थाम कर मेरा हाथ प्रभु मुझे यहा से निकालो तुम,मुझे यहा से निकालो तुम, मुझे तो अब तारो तुम......"



http://mystories028.blogspot.in/2012_11_01_archive.html


   अर्चना मिश्रा  "



 thanks & regards 

   Archana Mishra 

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