Friday, 9 November 2012

हाथों मे हाथ हों,

http://mystories028.blogspot.in/2012/11/romantic-shayri.html

 तुम मेरे साथ हों, ना कोई गिला ना कोई शिकवा साथ  हो, चलो मेरे साथ तुम, दो हर लम्हा साथ तुम, फिर ना अब कोई दूरी और ना मजबूरी पास हो, मेरी हर धड़कन मे बस तुम्हारा अहसास हो और हाथों मे सिर्फ़ तुम्हारा हाथ हो..

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