वक़्त रोता रहा और ज़िंदगी मुझे ठुकराती रही
ये ज़माना हस्ता रहा 'मीठी' अश्क छिपाती रही
पी कर ग़मो के आँसू 'खुशी' का अहसास जताया
दर्द कितना है इस दिल मे न ये कभी जताती रही
अकेले में बैठ ग़मो से अब दोस्ती सी कर ली मैंने
खुदगर्ज़ इन महफ़िलो से दूर अब मै होती रही
कई मुखोटे पहने मिलते हैं मुझे लोग हर जगह
बस महफ़िल में एक असल चेहरा मैं खोजती रही
कितने हैं चरित्र इंसां के इस जहाँ में ऐ 'मीठी'
'खुशी' तो बस उस इक सच्चरित्र को खोजती रही
वक्त गुज़रता गया और सांसे भी कम होने लगी
दिल थमता गया और धड़कन मुझसे पूछती रही
वक़्त रोता रहा और ज़िंदगी मुझे ठुकराती रही
ये ज़माना हस्ता रहा 'मीठी' अश्क छिपाती रही
😡😡😡😡😡😡😡😡
ये ज़माना हस्ता रहा 'मीठी' अश्क छिपाती रही
पी कर ग़मो के आँसू 'खुशी' का अहसास जताया
दर्द कितना है इस दिल मे न ये कभी जताती रही
अकेले में बैठ ग़मो से अब दोस्ती सी कर ली मैंने
खुदगर्ज़ इन महफ़िलो से दूर अब मै होती रही
कई मुखोटे पहने मिलते हैं मुझे लोग हर जगह
बस महफ़िल में एक असल चेहरा मैं खोजती रही
कितने हैं चरित्र इंसां के इस जहाँ में ऐ 'मीठी'
'खुशी' तो बस उस इक सच्चरित्र को खोजती रही
वक्त गुज़रता गया और सांसे भी कम होने लगी
दिल थमता गया और धड़कन मुझसे पूछती रही
वक़्त रोता रहा और ज़िंदगी मुझे ठुकराती रही
ये ज़माना हस्ता रहा 'मीठी' अश्क छिपाती रही
😡😡😡😡😡😡😡😡
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