हर रोज़ टूट कर बिखर जाती हूँ
हर रोज़ खुद से ही रूठ जाती हूँ
हूँ तन्हा कितनी अब तेरे बगैर मैं
तुम से न ये कभी कह पाती हूँ
सामने तुम्हारे अब नज़रे चुराती हूँ
देखती जो तुम्हे नज़रे झुकाती हूँ
ये हुआ क्या मुझे ए दिल कुछ बता
एक पल भी बिन तेरे न रह पाती हूँ
हाल-के-दिल सखियो को सुनाती हूँ
क्या हुआ है मुझे ये न समझ पाती हूँ
इश्क तो नही हुआ है मुझे ए मेरे रब
मोहब्बत से तो बस खुदको बचाती हूँ
बहते इन आंसुओ को अब छिपाती हूँ
ज़ज़्बात दिलके न उन्हें कह पाती हूँ
काश समझ सके मेरे दिलकी बात वो
अब तो तुम्हारे बिन न मैं जी पाती हूँ
हर रोज़ खुद से ही रूठ जाती हूँ
हूँ तन्हा कितनी अब तेरे बगैर मैं
तुम से न ये कभी कह पाती हूँ
सामने तुम्हारे अब नज़रे चुराती हूँ
देखती जो तुम्हे नज़रे झुकाती हूँ
ये हुआ क्या मुझे ए दिल कुछ बता
एक पल भी बिन तेरे न रह पाती हूँ
हाल-के-दिल सखियो को सुनाती हूँ
क्या हुआ है मुझे ये न समझ पाती हूँ
इश्क तो नही हुआ है मुझे ए मेरे रब
मोहब्बत से तो बस खुदको बचाती हूँ
बहते इन आंसुओ को अब छिपाती हूँ
ज़ज़्बात दिलके न उन्हें कह पाती हूँ
काश समझ सके मेरे दिलकी बात वो
अब तो तुम्हारे बिन न मैं जी पाती हूँ
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