ना दामन छुड़ा न दूर अब तू जा
थाम कर हाथ मेरा आ करीब आ
बहुत रह चुकी 'मीठी' तन्हा यहाँ
आज पिया मोह्हबत का रस बरसा
'खुशी' तुमसे है अब ए मेरे हमदम
तोड़ कर दिल मेरा न मुझे तू सता
आ हटा दे शर्म का ये पर्दा मेरे हमदम
आज हुई में तेरी तू भी अब मेरा होजा
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