"रिश्ता ये दोस्ती का बहुत निभा लिया
हर किसी को अपना बहुत बना लिया
सबके दर्द बांटते बांटते हम हार गए
इंसां में इन भेडियो को बहुत देख लिया"
"हम तो दोस्ती के खातिर सब कुछ कर गये
फिर एक दिन उनके लिए ही बेगैरत हो गए
हाय ये कैसी ज़ालिम थी दुनिया न जान सके
उनकी मुस्कुराहट के लिए अश्क अपने पी गए "
No comments:
Post a Comment