Monday, 16 December 2019

तुझे ही देखते हैं-कविता

"रुक रुक  कर मुड़  तुझे ही देखते हैं
करीब  आते  हो तो  मुँह फेर लेते हैं
कहीं जान न लो हमारे दिलकी बात
इसलिए  गमो  में भी मुस्कुरा देते  हैं

दूर  तुझसे  जा  कर  कितना रोते हैं
फिर भी कुछ भी न तुमसे कहते  हैं
तुम  समझते  नही ज़ज़्बात दिल के
फिर भी मोहब्बत तुमसे ही करते हैं

अब तुम बिन  तन्हा से  बस रहते  हैं
तेरी  यादों में  अब यू  खोये  रहते  हैं
तेरी  बिन अब कुछ भी  नही  'मीठी' 
'खुशी' है मेरी तुमसे ही आज कहते हैं"

No comments:

Post a Comment