Saturday 31 March 2018

ईश्वर वाणी-वास्तविक प्रसन्नता 242

ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों तुम दुःख क्यों

महसूस करते हो??क्योंकि तुम हर परिस्थिति को अपने अनुसार चाहते हो, किंतु जब परिस्तिथियां तुम्हारे अनुसार न चल कर अपने अनुसार चलती है तब तुम शोकित हो जाते हो।

हे मनुष्यों ये न भूलो जैसे घड़ी में समय पल पल बदलता रहता है, न कि सदा एक सा रहता है वैसे ही तुम्हारा समय एक सा नही रहता, पल पल बदलता रहता है पर हाँ तुम्हे ये पता नही चलता।

हे मनुष्यों जैसे घड़ी में समय रुक कर ठहर जाता है, वैसे ही जीवन की घड़ी में ये समय उस वक्त रुक जाता है जब तुम्हारी आत्मा तुम्हारी देह त्याग कर मुक्ति पा कर नए जीवन की लालसा में भटकती रहती है, यद्दपि अधिकतर आत्मा मुक्ति की अभिलाषी होती है किन्तु कुछ नही, क्योंकि वो खुद को इस रुके हुए समय मे ही सहज महसूस करती है हालांकि ऐसी आत्माये बुरे कर्म कर्म व बुरी सोच रखने वाली अधिक होती है।

हे मनुष्यों इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ काम क्रोध लोभ मोह अहंकार का त्याग कर मेरी शरण मे आओ, तुम सभी दुख से मुक्ति पाओगे, समय चाहे अनुकूल दिशा में चले या विपरीत तुम सदा सुख पाओगे।

सुख सच्चा न भौतिक रिश्तो में है न भौतिक वस्तुओं में, क्योंकि तुम्हारी लालसा कभी कम नही होती अपितु बढ़ती ही जाती है, तुम सदा इसे अपने अनुकूल चाहते हो किंतु जब अनुकूल नही होती ये चीज़े तो दुखी हो जाते हो।


यदि तुमने कोई इच्छा और मोह। ही नही रखा होता इन भौतिक रिश्तों व भौतिक वस्तुओं से तो दुख न पाते।


इसलिए यदि जीवन मे वास्तविक प्रसन्नता चाहिए तो मेरी शरण मे आओ, मेरे अतिरिक्त किसी की लालसा न करो निश्चित ही प्रसन्न होंगे।"

कल्याण हो

Wednesday 28 March 2018

तुम मिलोगे कभी-कविता


“है मुझे खुद पर ये भरोसा
इस भीड़ में तुम मिलोगे कभी

है मुझे खुद पर ये भरोसा
इन रास्तों पर तुम दिखोगे कभी

है मुझे खुद पर ये भरोसा
कहीं तो हो तुम ऐ मेरे हमनशीं

है मुझे खुद पर ये भरोसा
संभालने मुझे तुम आओगे कभी

है मुझे खुद पर ये भरोसा
सोये अरमां जगाओगे तुम कभी

है मुझे खुद पर ये भरोसा
इस भीड़ में तुम मिलोगे कभी"

Friday 2 March 2018

कविता-दिलसे दिलकी बात आज होने लगी है👍👌👍👌

दिलसे दिलकी बात आज होने लगी है
धड़कन भी कुछ मुझसे कहने लगी है

जो ना होना था वो क्यों होने लगा है
मेरे दिलकी कली भी खिलने लगी है

मिटा चुके थे मोहब्बत के वो निशाँ हम
फिर इश्क की आहट अब मिलने लगी है

कहीं खो ना जाऊ प्यार में तेरे प्रिये मैं
नज़रे ये मुझसे आज अब कहने लगी है

मिले चाहे फिर बेवफाई किस्मत से अब
तुझसे मिलने की ये चाहत जगने लगी है

दिलसे दिलकी बात आज होने लगी है
धड़कन भी कुछ मुझसे कहने लगी है-2

Thursday 1 March 2018

ईश्वर वाणी-241, देवता, मानव व ईश्वर



ईश्वर कहते हैं, “हे मनुष्यों यद्धपि तुम्हे मैं देवता  मानव व परमात्मा अर्थात अपने विषय में बता चुका हूँ किंतु तुम्हें फिर बताता हूँ।

हे मनुष्यों यद्धपि में ही सर्वोच्च हूँ, में ही देश, काल, परिस्थितियों के अनुरूप अपने ही एक अंश को धरती पर भेजता हूँ जब जब मानव व प्राणी जाती के हितों का ह्रास होता है।
यद्धपि तुम सब भी मुझसे ही निकले हो, मैंने तुम्हें धरती पर भेजा है, किंतु  जब जब तुमने अपनी शक्ति का उयोग गलत दिशा में करना शुरू कर दिया तब तुम्हे5 तुम्हारे उद्देश व कर्तव्यों को याद दिलाने हेतु देश काल परिस्थिति के अनुरूप मैंने अपने अंश को भेजा जो तुम्हें बता सके कि तुम्हारे ऊपर भी एक स्वामी है, तुम्हारे ऊपर भी एक राजा है, कोई है जो तुम पर भी शाशन करता है, तुम अकेले नही हो स्वामि धरती और यहाँ के जीवों के, तुम केवल इनकी देखभाल करने वाले उस राजा के सेवक मात्र हो, खुद को राजा न कहो क्योंकि तुम केवल मानव हो, यद्धपि तुम्हारे अच्छे गुण देतवा समान पद तुम्हें दे सकते हैं किँतु तुम मानव हो धरती और जीवो का ख्याल रखने वाले राजा के सेवक।

यद्धपि अच्छे गुण वाले व्यक्ति को देवता तुल्य ही बताया गया है, जो व्यक्ति नेक कर्म करने वाला, अच्छे विचार रखने वाला, सात्विक भोजन करने वाला, सबकी निःस्वार्थ सहायता करने वाला ऐसा व्यवहार करने वाले व्यक्ति को ही देवता कहा गया है।

हे मनुष्यों यद्धपि ये सभी गुण मैंने तुम्हें भी दिए हैं किंतु स्वार्थ सिद्धि में तुम इस कदर पाप करते रहते हो निरन्तर की उस शक्ति को तुमने भुला दिया है, और इस कारण बुराई को धारण कर पाप कर्म करने में लगे हो। इस कारण मुझसे निकलने के बाद भी तुम एक मानव हो न कि देवता।

किंतु जो मनुष्य पाप कर्मो में नही पड़ता, मेरे बताये मार्ग पर चल मानव व समस्त जीवों के कल्याण हेतु सदा सलग्न रहता है, सात्विक विचार रखता है, सात्विक भोजन करता है, वही देवता हैं, किन्तु उन्हें में ही निम्न उद्देश्यों हेतु चुनता हूँ, वही इस धरती के असल राजा हैं और उन्हें ये अधिकार मैंने ही दिया है, ऐसे ही व्यक्ति देश काल परिस्थिति के अनुरूप जन्म ले मनुष्यों को असल ओहदा बताते हैं कि संसार व मेरी दृष्टि में उनका ओहदा क्या है, क्या उनका पद है, और उनका मकसद क्या है।

किन्तु सन्सार का असल स्वामी मै हूँ, में परमात्मा हूँ, मेरी ही आज्ञा से मेरे ही स्वरूप से तुम्हारी आत्मा का जन्म होता है, मेरी ही आज्ञा से मेरे ही उन अंशो का जन्म होता है जिन्हें मैंने तुम्हारे ऊपर बैठा कर देवता अथवा देवी का ओहदा दिया है। किन्तु तुम सबमें अथवा सभी में मैं ही सर्वोच्च हूँ में निराकार हूँ, आदि हूँ, अनन्त हूँ, मैं परमात्मा हूँ।

हे मनुष्यों आशा हैं तुम्हे देवता परमात्मा और मानव के विषय मे जानकारी मिल चुकी होगी’

कल्याण हो