Tuesday 29 October 2019

ईश्वर वाणी-280, खुद को खुद से जोड़ने की विद्या ही आध्यात्म है


आध्यात्म एक ऐसा विषय जिसके बारे में हम सभी ने सुना है, बहुत से लोग धार्मिक किताबों को पढ़ना, अपने धार्मिक स्थानों पर भ्रमण करना, अपने रीति-रिवाज़ों को मानना ही आध्यात्म समझते व कहते हैं किंतु आध्यात्म है क्या वास्तव में ये कोई नही बता सकता सिर्फ एक योग्य आध्यत्मिक गुरु के, लेकिन वो गुरु सिर्फ एक ही मत को सर्वश्रेष्ठ व उसका ही अनुसरण करने पर जोर देने वाला नही होना चाहिए, क्योंकि जो व्यक्ति एक ही धर्म, जाती, भाषा, वेश-भूषा रीति-रिवाज़ को ही श्रेष्ठ बताते हुए अन्य की निंदा करते हैं वो कभी आध्यात्मिक हो ही नही सकते क्योंकि आध्यात्म जोड़ता है न कि तोड़ता है।
एक योग्य आध्यात्मिक गुरु ही हमे आत्म मन्थन की विद्या देता है, ये तो सभी ने सुना है कि हर जीव के अंदर ही ईश्वर रहते हैं, अपने अंदर छिपी दिव्य शक्तियों को पहचान कर उनका प्रयोग जगत के कल्याण में करने हेतु यही कार्य है आध्यात्म का जो पहले खुद को खुद से जोड़ता है।

हर जीवात्मा व मनुष्य में अलौकिक शक्तियां होती है जो एक योग्य गुरु के मार्गदर्शन में जाग्रत हो सकती है, जिससे हम मानुष को पता चलेगा कि उसका ये जीवन इस धरती पर क्यो है, उसका उद्देश्य वास्तव में क्या है, वो जो गलत व्यवहार,गलत चाल चलन, झूठ फरेब व्याभिचार आदि गलत कार्य कर रहा था क्या वो इसके लिए आया है।

लेकिन दुविधा इस बात की है कि आखिर ऐसा गुरु कहाँ ढूंढे, गुरु वो नही जो कोई धार्मिक पुस्तक का पाठ अथवा कथा सुनादे या रटे रटाये मन्त्र बड़बड़ा दे अथवा 4/6 प्रवचन सुनादे, एक सही गुरु इन सबसे ऊपर तुम्हे तुम्हारे समुचित व्यक्त्वि व आने वाले जीवन का साथ ही वर्तमान जीवन को सवार सकता है, और इसके लिए जरूरत है पहले खुद को जानना, खुद के अंदर छिपी शक्तियों को जानना,अपने उद्देश्यों को जानना।

यदि किसी को ऐसा योग्य व्यक्ति गुरु के रूप में नही मिला है तब भी वो एक योग्य गुरु बना सकता है और वो है उसके अपने इष्ट देव जिन पर उसकी आस्था है, व्यक्ति को उन्हें ही गुरु की उपाधि दे कर प्रार्थना करनी चाहिए कि मुझे वो ज्ञान दे जो परम् सत्य है, मुझे मेरी शक्तियों का बोध कराए, मेरे जीवन मे उद्देश्य बताये, मेरे यहाँ होने का कारण बताए, मुझे मुझसे मिलाएं साथ ही उस परम को हर स्थान पर महसूस करे, निःसंदेह एक समय बाद जब तुम्हारा तपोबल बड़ जागेगा और तुम्हारे इस जन्म व पिछले जन्म के पाप जैसे जैसे कम होते जाएंगे तुम्हें आध्यात्म का बोध होता जाएगा क्योंकि तुम खुदको खुदसे ढूंढ लोगे जोकि न किसी सत्संग न प्रवचन और न धार्मिक पुस्तक से हासिल कर सकते हो।

जय माता दी
जय गुरु जी

ईश्वर वाणी-279,जीवन मे आध्यात्म की आवश्यकता

ईश्वर वाणी
हर जीव के अंदर ईश्वर विद्यमान है, किंतु मनुष्य ऐसा एक मात्र जीव है इसमें ईश्वर के साथ शैतान भी विधमान है, मनुष्य को अपने भीतर के राक्षश अथवा शैतान को जाग्रत करने की आवश्यकता नही होती क्योंकि ये तो उसके जन्म के साथ उमर बढ़ने पर खुद ब खुद जाग्रत होने लगता है जबकि उसके अंदर का ईश्वर जो केवल शेशवस्था तक रहता है किंतु शैतानी अथवा राक्षशी तत्व उम्र के साथ और भी अधिक बढ़ता जाता है।

आखिर क्या है इंसानी शैतानी तत्व अथवा राक्षश?? झूठ, फरेब, धोखा, निंदा, व्यभिचार, खून, रक्तपात, धूम्रपान, मदिरापान, मांसाहार, अपनी मर्यादा का उल्लंघन, ईश्वरीय व्यवस्था का उलंघन, भौतिक सुखों में लिप्त रहना, दुसरो को दुखी देख कर खुश होना, सदा अपनी बड़ाई करना, दुसरो को नीचा दिखाना, सदा भौतिक वादी बने रहना, धर्मिक व्यक्ति अथवा धार्मिक स्थान को नुकसान पहुचना, किसी भी धार्मिक ग्रंथ अथवा पुस्तक को नुकसान पहुचाना, इंसान का इंसान से भेदभाव का व्यवहार करना, किसी को बेवजह दुख देना इत्यादि लक्षण है जो इंसान में समय के साथ विकसित खुद ब खुद होते जाते हैं और इस तरह उनके अंदर का ईश्वर उनके शैतानी स्वरूप के समक्ष दब कर रह जाता है।

किंतु आद्यात्म एक एक रास्ता है जिस पर चल कर मनुष्य अपने अंदर के शैतान को मारता है और अपने अंदर के ईश्वर को जगाता जो समय के साथ व्यक्ति की बुराई के आगे मन की गहराई में कही दब कर रह जाते है।

एक योग्य गुरु जो खुद आध्यात्म में पारंगत हो वोही किसी व्यक्ति को उस ओर ले सकता है जो उसका न सिर्फ ये जीवन अपितु अनन्त जीवन सवारने की काबिलियत रखता है, आध्यात्म एक लड़ाई है खुद की खुद से, अर्थात अपनी ही बुराइयों की अपनी ही अच्छाइयों से और इसमें जीत एक योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही मिल सकती है।

लेकिन केवल सत्संग करने वाला, एक धर्म अथवा मत को सर्वश्रेष्ठ कहने वाला, एकेश्वरवाद का अनुशरण कर केवल अपने ही ईस्ट को श्रेष्ठ बता अन्य को नीचा बताने वाला, निंदा करने वाला, केवल रटे रटाये कुछ धार्मिक पुस्तकों के पाठ कहने वाला कभी आध्यात्म से जुड़ा नही हो सकता अपितु भ्रमित करने वाला जरूर हो सकता है।

 इसलिए योग्य श्रेष्ठ गुरु को ही ढूंढो और अपने अंदर के राक्षस को मार कर अपने अंदर के ईश्वर को जगाओ ताकि कलियुग भी उत्तम सतयुग के समान बन सके।

कल्याण हो

Wednesday 9 October 2019

ईश्वर वाणी-278 वास्तविक पूँजी



ईश्वर कहते हैं, “हे मनुष्यों यद्धपि तुम इन भौतिक वस्तुओं के पीछे भागते हो, इस भौतिक काया को ही सत्य मानते हो, और इसलिए तुम उस वस्तु को ठुकरा देते हो जो बहुमूल्य है और वो है नेकी।

यद्धपि तुम में से बहुत से व्यक्ति कहेंगे कि हम इतना दान पुण्य करते हैं तो यही तो नेकी है, लेकिन हे मनुष्यों मेरी दृष्टि में ये ही सिर्फ नेकी नही है, सबसे बड़ी नेकी तो वो है जब तुम अपने अहंकार का त्याग कर सबको समान समझो, इन भौतिक वस्तुओं का मोह न कर केवल अपने व्यवहार और वाणी पर संयम रख कोई ऐसी बात न करो जिससे किसी निरीह, दुःखी, , गरीब, बेसहारा अथवा पिछड़ा व्यक्ति और दुःखी हो, 
  हे मनुष्यों तुम तो कह कर बहुत कुछ चले जाते हो, तुम अपने भौतिक संसाधनों व भौतिक वस्तुओं के घमंड में आ कर और उक्त व्यक्ति भी दुःखी हो कर आगे की ज़िंदगी जी ही लेता है लेकिन तुम जो बहुमूल्य वस्तु को अपने व्यवहार और वाणी के माध्यम से खोते हो वो तुम नही जानते।
  श्मशान अथवा कब्रिस्तान ऐसी जगह है जो इस भौतिक देह की एक मात्र मंज़िल है, भले तुमने जीते जी बहुत पैसा कमाया और अपनी स्तिथि वाले लोगों को ही मित्र व संबंधी बनाया, लेकिन जब इस भौतिक शरीर की वास्तविक मंज़िल आयी तो तो कौन तुम्हारे साथ आया,  आये तो तुम उसी मरघट पर जहाँ एक भिखारी भी आया जब उसकी भौतिक देह की मंज़िल आयी, एक संत भी आया जो उम्र भर मेरी आराधना करता रहा, राजा और ज़मीदार भी आया जो उमर भर भौतिक संसाधनों का सुख भोगते रहे, और यहाँ तुम भी आये जब तुम्हारे भैतिक देह अपनी वास्तविक मंज़िल की तलाश में चली।

  ऐसे में तुम्हारी आत्मा पूछेगी की आखिर मैं उमर भर किसका घमंड करता रहा जो मेरा था ही नहीं, ये भौतिक संसाधन जिनके लिए ये ज़िन्दगी गुज़र दी आज मेरे घर वाले और सम्बन्धी इसका उपभोग कर रहे हैं, ये भौतिक देह इसका घमंड था ये आज बेबस इस भूमि में पड़ी हुई है, और मेरे साथ क्या है??  मैंने जो अपनी वाणी और कर्मो से दूसरों का दिल दुखाया उनके आँसू और बददुआ है, मेरे जाने अनजाने में किये मेरे कर्म मेरे साथ है, अगली यात्रा मेरी कैसी होगी अब मुझे नही पता लेकिन अच्छा व्यवहार रखा होता मैंने और भौतिकता का घमंड नही किया होता तो आज मैं उस सुख से वंचित न होता जो इस भौतिक देह को त्याग कर प्राप्त होता है, साथ ही श्रेष्ठ जीवन व परम् सुख से वंचित न होता।
हे मनुष्यों ये न भूलो ये भौतिक जीवन बहुत ही छोटा है, ये तुम्हारे विद्यालय की उस परीक्षा के समान है जिसको उत्तीर्ण करने पर तुम अगली कक्षा में प्रवेश करते हो, और यदि एक ही कक्षा में बार बार अनुतीर्ण होते हो तो परीक्षा से व कक्षा से बाहर निकाल दिए जाते हो, और यदि उत्तीर्ण भी होते हैं परीक्षा में तो तुम्हारे नंबर निश्चय करते हैं कि अगली कक्षा में क्या स्थान होगा।

  यही जीवन-मृत्यु की यात्रा है, इसलिए जैसे विद्यालय की परीक्षा की तैयारी तुम करते हो वैसे ही अपने भौतिक स्वरूप,भौतिक संसाधन,भौतिक संबंधों का मोह न कर केवल मेरा मोह करो,घमंड करना है तो मेरे स्वरूप का करो,ताकि तुम अपनी अगली यात्रा को बेहतर कर उस सुख को प्राप्त कर सको जो परम है और यही आत्मा की वास्तविक पूँजी है न कि ये भौतिकता।“

कल्याण हो

Thursday 3 October 2019

आज की देशभक्ति-एक लेख


आजकल भारत पाकिस्तान का मसला मीडिया पर खूब छाया हुआ है, इस साल 14 फरबरी 2019 में जब हमारे वीर सेनिको पर आतंकवादियों ने हमला कर मौत की नींद सुला दिया था तब भारत के लोगों में यकायक देश भक्ति देखने को मिली, ठीक वैसा ही मैंने महसूस किया जैसे 16 दिसम्बर 2012 को निर्भया गैंगरेप के बाद अचानक लोगों का ज़मीर जाग उठा था कि अब ये और नही, लेकिन हुआ क्या?? हालत आज भी वैसे ही है जैसे पहले थे, वही हाल मैंने ऐसे देश भक्तो का देखा।
भारत हो या पाकिस्तान जब भी इन देशों में बात एक दूसरे की आती है तो हर तरफ देशभक्ति देखने को मिलती जैसे सिर्फ इसी नामसे लोगो का ज़मीर जागता है बाकी तो सोता रहता है, इसी का फायदा हमारे राजनीतिक लोग 70 साल से फायदा लेते आये हैं और कोई शक नही लेते रहेंगे, लेकिन आज बात राजनीतिक लोगो की नही हमारे देशभक्त लोगो की है और जो भारत-पाकिस्तान दोनों के नागरिकों के लिए बराबर है।
मेरी एक मित्र है पाकिस्तानी, जब 14 फरबरी 2019 को आतंकियों द्वारा वीर सेनिको को शहीद कर दिया तो मेरी एक हिंदुस्तानी मित्र ने कहा कि किसी पाकिस्तानी से कोई रिश्ता नही रखना है, अपने पाकिस्तानी मित्र का फोन नंबर ब्लॉक कर दो, मैंने उसको कहा कि मुझे ये पता ही मुझे क्या करना है और किसी की सलाह नही चाहिये, करने वाले गलत काम तो दूसरे है इसमें सभी को एक सी नज़रो से नही देखना चाहिए, इस पे मेरी भारतीय मित्र ने मुझे गद्दार बोल कर ब्लॉक कर दिया व्हाट्सएप पर, फिर 28 फरबरी 2019 को मेरे बड़े भाई की अचानक मौत हो गयी, मैंने अपनी इसी हिंदुस्तानी मित्र को फ़ोन करके बताया,मेरे घर पर मेरे अतिरिक्त कोई नही था, माता-पिता और छोटा भाई अस्पताल में थे बड़े भाई साहब के पास, तब मेरी इस हिंदुस्तानी हिन्दू मित्र जिसका नाम "रजनी मुंद्रा" है इसने कहा कि अब पता चला?? मुझे हैरानी हुई ये सुन कर और मतलब क्या था इस शब्द का आप खुद सोच सकते हैं, ये वही महिला है जिसके परिवार ने इसका साथ नही दिया था जब इसको उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी क्योंकि इसने घर वालो के खिलाफ जा कर आशीष मुंद्रा से शादी की थी, और वो शख्स भी शादी के बाद इसको टॉर्चर करता था, मेरे भाई ने कहा था जिसकी मौत हुई कि मैं उसको अपने घर ले आऊंगा क्योंकि वो मेरी बहन है अगर उसके ससुराल वालो ने टॉर्चर जारी रखा तो, साथही जब वो माँ बनी एक लड़के की तब भी मेरे माता पिता ने उसके माता बन कर सारी रस्मे निभाई जबकि उसके सगे माता पिता आये तक नही।
मुझे याद है जब मेरी उससे दोस्ती हुई थी तब उसके पास खाने को भी नही होता था,न ठीक से पहनने को कपड़े थे, और हमारे पास सब कुछ था, बावजूद इसके सिर्फ इंसानियत के आधार पर बिना भौतिक वस्तुओं को तवज़्ज़ो देते हुए उससे दोस्ती निभाई, लेकिन आखिर में उसके शब्दो ने दिल पर उस बम से भी ज्यादा घाव दिए जिसमे बेगुनाह लोग मर जाते हैं।
वही मेरी पाकिस्तान की मित्र जिन्होंने सुबह से मेरा साथ दिया जबसे भाई की हालत नाजुक की खबर उन्हें दी, फिर भाई साहब की मौत की खबर उन्हें दी,उन्होंने ही मुझे बताया कि सफेद कपड़े बिछा के रखो आँगन में, घर की साफ सफाई कर लोगो बैठने शोंक दिखाने की जगह बनाओ, फिर मैंने वही किया, मुझे घर पर कोई कुछ बताने वाला नही था कि क्या करना है लेकिन पाकिस्तानी मित्र मुझे फ़ोन पर सब बताती रही साथ ही हौसला देती रही।
इसके साथ ही मैंने अपने सभी मित्रों को ये खबर दी और वक्त के साथ समझ आया न तो दोस्त होते हैं दुनिया मे न दोस्ती, सब मतलब के लोग हैं, और जो खुद को देशभक्त कहते हैं दरअसल ये देश के तो क्या इंसानियत के दुश्मन है, मैंने महसूस किया कि जो लोग सेनिको की सहादत पर हाय तौबा मचाते है वो कितना डोनेट करते हैं किसी सैनिक के परिवार को उसकी सहादत पर?? क्या किसी शहीद सैनिक के बच्चे की पढ़ाई का खर्चा उठाया है इन्होंने जो बात करते हैं देश भक्ति की।
देश केवल सीमाओं से नही लोगो से बनता है अन्यथा ये सिर्फ एक ज़मीन का टुकड़ा है, कितने लोग हैं जो खुद को देश भक्त कहते हैं और जब किसी को मुश्किल में देखते हैं तब चाहे कितने ही व्यस्त क्यो न हो मदद के लिए दौड़ पड़ते हैं, कहते हैं लोग की देश पहले है और बाकी सब बाद में, लेकिन मेरा सवाल है बिना इंसानों के कौन सा देश होता है, जब तुम इंसान की और अपने देश मे रहने वालों की कद्र नही करोगे, उनके दुख सुख में काम नही आओगे तो कैसा देश कैसी देधभक्ति, असल मे खुद को देशभक्त कहने वाले सब के सब गद्दार है देश के और इंसानियत के।
आज जब भी कोई मुझे देशभक्ति की बात कहता है तो हँसी आती है, मन बस यही सवाल करता है कि देशभक्ति है कहाँ??एक कवि की कविता में ही देशभक्ति है, एक लेखक की कहानी में ही देशभक्ति है, सिर्फ किस्से कहानियों में देशभक्ति है, कल्पना में देशभक्ति है, बाकी तो लोग खुद को ही धोखा देते हैं देशभक्त बोल कर, क्योंकि देश सिर्फ एक ज़मीन का टुकड़ा नही है, देश बना है मुझसे तुमसे हम सबसे, और अगर तुम मेरे काम नही आ सकते, मेरे आंसू नही पोछ सकते तो तुम सब देशद्रोही हो अथवा देश नही सिर्फ उस जमीन के टुकड़े के भूखे हो जहाँ भारतीय सभ्यता जो प्रेम पर आधारित थी इसका जन्म हुआ था
जय भारत
Archana Mishra