Saturday 9 February 2019

धर्म, समाज और परमात्मा के ठेकेदार पुरूष

आजकल सोशल मीडिया का समय है, आज हम लोग न सिर्फ अपना काफी सारा समय इसपर बिताते हैं दोस्त बनाते हैं बल्कि अगर कोई मुद्दा देश, समाज, संस्कृति, धर्म आदि से उठता है तो बेबाकी से अपनी राय सबके सामने रखते जो पहले नही था हालांकि लोग तब भी इतने ही बेबाक और राय रखने वाले होते थे, वो लोग आफिस या कैंटीन या चाय की दुकान आदि में यदि इकट्ठा होते तो वहाँ भी निम्न मुद्दों पर राय रखते, किन्तु अब इसका दायरा पहले से काफी बढ़ चुका है, लोग सोशल मीडिया के माध्यम से अधिक से अधिक लोगो तक अपनी बात पहुचाते है जो सही है।।

  लेकिन मेरा मुद्दा बात पहुचाने का नही बल्कि बात करने के ढंग का है, मैंने सोशल मीडिया पर यूट्यूब आदि साइट्स पर देखा है जब भी बात धर्म को ले कर आती है या किसी भी तरह से धर्म इससे संबंधित हो या मुद्दा भारत पाकिस्तान का हो तो लोग अश्लील से अश्लील लहज़े में बात करने लग जाते है, अभी हाल की घटना है मैंने यूट्यूब पर वीडियो देखा जिसमे हिन्दू धर्म के बारे में एक मुस्लिम लड़की बात कर रो थी, मैंने उस वीडियो के कंमेंट पड़े और बहुत बुरा लगा कि चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम या सिख या ईसाई कोई मज़हब किसी को नीचा नही दिखाता न ही अश्लील शब्द इस्तमाल करने की इजाज़त देता है लेकिन ये धर्म के ठेकेदार पता नही क्या समझ कर दिलखोल कर अश्लीलता फैलाते हैं जैसे इनकी इसी भाषा से मज़हब बचा है अन्यथा हिन्दू कबके मुस्लिम बन जाते मुस्लिम सिख बन जाते सिख ईसाई और ईसाई जेन पारसी या बोध बन जाते, वो तो इन अश्लील शब्द वालो ने मज़हब बचा रखा है।

  आज मेरा मुद्दा न सिर्फ अश्लील शब्द और गाली देने का नही है या धर्म या भारत पाक को ले कर टिप्पणी का नही है बल्कि मुद्दा ये है लोग अश्लील शब्द व अश्लील गाली दे कर अपनी मानसिकता का परिचय दे रहे है और ऐसे लोग समाज को किस दिशा में ले जाएंगे, और समाज मे ऐसे लोग नारी को कैसे नज़रिये से और खुद को किस नज़रिये से देखते है।

न चाहते हुए भी मुझे उन लोगो की अश्लील बातें यहाँ लिखनी पड रही है पर जरूरी है ये ताकि आप मे से कोई भी सभ्य व्यक्ति मेरे लेख कोपड़ रहा है यदि तो बताये की ऐसे लोगों की सोच समाज को कहाँ ले जा रही है, अभी जिस वीडियो की ऊपर मैने बात की तो उस पर कुछ ऐसे कमेंट थे, “साले तुम ...गांडू”, “तेरी म चोदू, बहन चोदू” ”, तुझे चोदू” बस चोदना चोदना चोदना................ये भाषा लोग बोलते हैं जो खुद को इकलौता राम या कृष्ण यादेवी शक्ति का भक्त बोलते हैं या अल्लाह के परमप्रिय जो बनते हैं या जीसस के सबके मुह में बस ऐसे शब्द, और इन्ही शब्दो से मज़हब बचा भी है।

  लेकिन इन शब्दों से आप लोगो ने नोटिस किया कि नारी को ये किस नज़रिये से देखते हैं, नारी इन सबके लिए बस एक चोदने की वस्तु है,औऱ लोग ऐसा नही कर रहे जैसा कि निम्न कंमेंट से अंदाजा लगता है लो नारी पर बहुत बड़ा अहसान कर रहे हैं, इनके अनुसार नारी और उसका परिवार चले तो ठीक नही तो इनको पेंट उतारने में देरी नही लगेगी,बड़ी जल्दी रहती है इन लोगो को पेंट उतारने की तबी तो बात बात पर चोद दूंगा चोद दूंगा करते रहते हैं, जब लगता है इनकी हार हो रही है बस पेंट उतारने लग जाते हैं चाहे वो बातचीत में हो कमेंट में या अन्य स्थान।


  मुझे लगता है जो लोग बात बात पर यू नंगे हो जाते है उन्हें पूरा नंगा करके मुँह काला कर के पूरे समाज मे पहले घुमाया जाए, उसके बाद जिसको ले कर इन्हें बहुत घमण्ड है अपने मर्द होने पर वही काट देना चाहिए क्योंकि यही लोग नारी के साथ ब्लात्कार जैसी घटनाओं को अंजाम देते है, सरकार को ऐसे नियम बनाने चाहिए जो लोग ऐसी भाषा इस्तेमाल करता है उसको ये दण्ड जरूर दे जो ऊपर मैंने सुझाया साथ ही शियकत करता के लिए जगह जगह शिकायत केंद्र होने चाहिए, सोशल मीडिया आदि पर एक ऑप्शन आना चाहिए शिकायत केंद्र का हालांकि रिपोर्ट का ऑप्शन आता है लेकिन देखा मैंने कि उस पर ज्यादा असरदार रेस्पॉन्स नही मिलता जो गलत है, साथ ही सोशल मीडिया पर ऑटो डिलीट ऑप्शन भी आना चाहिए जो इस तरह की टिप्पणी को खुद डिलीट कर दे साथ ही ऐसी टिप्पणी करने वालो को परमानेंट ब्लॉक कर दे, साथ ही महिलाओं को चाहिए की सोशल मीडिया या उनके दफ्तर या कॉलेज या पड़ोस में भी इन लफ़्ज़ों का इस्तेमाल करता है तो सख्ताई जरूर दिखाए और मना करे साथ ही उसके घर पर भी शिकायत करे हालांकि कुछ परिवार वाले कहेंगे कि वो तो लड़का है करेगा ही तो उन्हें ये अहसास जरूर कराये की तुम्हारे घर मे भी औरते है और मेरे घर मे भी पुरुष, अगर इस तरह से सबको खुल्लमखुल्ला छूट मिल जाये तो ये दुनिया भी तवायफ का कोठा बन जाये, बेहतर हो घर की औरते ही ऐसे मर्दोपर पाबंदी लगाये साथ ही परिवार वालो को नारी इज़्ज़त करना सीखना चाहिए न कि नारी बस या घर की नोकरानी बन सबके लिए खाना बनाना कपड़े धोना घर साफ करना आदि कार्य करने वाली या बच्चे पैदा करने की मशीन या भोग की वस्तु नही तुम्हारी तरह इंसान है और उस को लेकर गाली देने से पहले सोच लो तुम भी और तुम्हारे पूर्वज भी इसी औरत की देन है, अगर बचपन से ही ये सीख घर स्कूल से बच्चों को मिले तो यकीनन आने वाला समाज आज से बेहतर होगा, हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई नही बच्चों को इंसान और इंसानियत सिखाये।

दोस्तो मेरे लेख पर आपकी क्या राय है मुझे कमेंट जरूर करे पर हैं अश्लील भाषा इस्तमाल न करते हुए


धन्यवाद