Wednesday 21 May 2014

दो शब्द मेरी रचनाओ के

1*"खुशी की जगह गम क्यू बार-बार मिलते है, वफ़ा के नाम पर ये धोखे हज़ार मिलते है, मैं तो एक चिराग हू बुझा हुआ, क्यू मुझे जला के बुझाने वाले हर बार मिलते हैं"



2*"मुझे ज़िंदगी में ये सहारे मिले, कुछ दिन चले लोग दोस्त बन के साथ मेरे, फिर एक दिन अचानक दूर मुझसे जाने वालेये  सारे मिले"

ईश्वर वाणी-56


ईश्वर कहते है ईश्वर्िय ज्ञान एवं ईश्वरिया बाते केवल धार्मिक पुस्तको तक ही सीमित नही है, ये तो केवल उनकी समस्त बातो एवं ग्यान के सार के सार का ब एक अति लघु रूप है, ईश्वर कहते हैं यदि मानव इनका ही पालन करले तब भी मानव का कल्याण होगा क्यू की मानव क लिए इनका पालन करना ही मुश्किल है तो ईश्वर की विस्तृत बातो पर अमल करना  तो असंभव है, ईश्वर कहते है मानव ने अपनी इच्छा अनुसार उनकी बातो एवं शिक्षाओ मे बदलाओ करके अपनी सुविधाओ के अनुसार नियम और परंपराए बनाई जिनमे फस कर खुद मानव मानव का शोषण कर रहा है, मानव समस्त प्रथवी एवम प्राणी जगत को नुकसान पहुचा रहा है, ईश्वर कहते है उनकी बाते कभी किसी को नुकसान पहुचने वाली नही हो सकती, उनकी दृष्टि  मे सभी प्राणी एक समान है"

उनके लिए ये गीत लिखा है,

"उनके लिए ये गीत लिखा है,
 लाखो हज़ारो में मुझे मेरा मीत मिला है, 
था कभी अंजान जो मुझसे आज वो मेरे पास खड़ा है, 
दुनिया की भीड़ में मेरा मनमीत मिला,
 जिसके लिए मैने ये संगीत लिखा है, 
लाखो हज़ारो में मुझे मेरा मेरा मीत मिला है,
 उनके लिए ये गीत लिखा है, 
उनके लिए ये गीत लिखा है, 
उनके लिए ये गीत लिखा है"

Sunday 18 May 2014

हास्य प्रस्तुति

1*उनके आने से ये रात नई कट ती, करते है परेशन पर उनकी ये आदत नई बदलती, दिन में तो रहते छिपे जाने किस दर से पर रात को सोने नई देते वो जब तक कमरे में गुड नाइट नई जलती(°§°)हाहाहा



2*वो कहते कहते थे तेरी ज़ुल्फो मे सोने का दिल करता है, हमने  उन्हे सर से उतार ये विग ही दे दिया, तबसे जाने क्यू वो खफा-खफा रहते है, नई कहते अब की तेरी ज़ुल्फो मे सोने का दिल करता  है.....




3*मखी  चूस सुना था मैने पर वो मच्छरो को चूस लेते थे, एक कतरा भी अगर ले जाए वो तो उसकी सारी पुश्तों से जंग लड़ लेते थे




4*उनकी यादो में हम अश्क बहाते हैं, वो ज़ालिम इसे समंदर समझ कर   इसमे नहा कर चले जाते हैं,





5*तुमसे बात करते करते ये रात गुज़ार दूँ, तुमसे मुलाकात के लिए इन दूरियो को मिटा दू, मर् भी रहे हो अगर तू जो पुकारे मुझे अपनी जगह तेरे बाप को कफ़न में सुला दू(°_°)हहेहहे मॉडर्न लवर

मेरी कवितायें

1*"उनके लिए ये पेगाम भेजा है, कागज कलाम से नई अश्को की स्याही से दिल की दीवारो पे उनका नाम लिखा है"

 
2*"आए खुदा मुझे ज़्यादा कुछ तुम ना देना, है फरियाद  बस इतनी सी, मेरे जाने के बाद ज़हां से मेरे मुल्क के किसी कोने में मेरी कबर के लिए बस दो गज़ ज़मीन दिला देना"



3*""ज़िंदगी गुज़ार दी हमने शोहरट बटोरते-बटोरते, ज़िंदगी गुज़र दी हमने दौलत के पिछे, ज़मीन से फलक तक चमता था बस एक सितारा जिस पर लिखा होता था सिर्फ़ नाम हमारा,
बड़ी बहराम ये दुनिया, कहते हैं जीते जी नही मिलता एक आशियाना इस जहाँ में पर इस जहाँ ने  जीते जी तो मुझे पॅल्को पे बिताया मरने पर दो गज़ ज़मीन भी किसी ने ना हमे दी"



4*तू जो हाँ करे तो इंतेहा-ए-मोहब्बत कर दू, ये दिन और रात तेरे नाम कर दू, ज़मीन क्या चीज़ है ये फलक तेरे नाम कर दू, यकीन ना आए तुझे तो तेरी आँखो के काजल से ये ग़ज़ल लिख दू, तू जो हाँ करे तो इंतेहाँ-ए -मोहब्बत कर दू..



5*"मैं एक खुली किताब हूँ, मैं ही खुद में ही एक सवाल और जवाब हूँ, कोशिश करते है लोग  पड़ने की मुझे हर दफ़ा, कोशिश करते है लोग मुझे समझने की हर दफ़ा, पर सबके लिए एक अनसुलझी पहेली हूँ, है मुझमे अनेको पन्ने पर कितनी खुदमे बहुत अकेली हूँ, अपने ही सवालो के साथ किसी और की नही अपनी ही सहेली हूँ, मैं एक खुली किताब हूँ"







एक बंद कली थी

"एक बंद कली थी वो पेरो तले कुचल गया कोई, 
अभी-अभी दिखी थी किसी टहनी पर तोड़ कर कही फैंक गया कोई, 
ज़िंदगी होती है क्या उसने जाना भी ना था, 
जीना होता है क्या उसने पहचाना भी ना था, 
देख उस डाली पे लगी नयी काली ज़िंदगी की आस दिल में आने पे पहले ही मौत की नींद सुला गया कोई, 
ज़िंदगी मिलने से पहले ही मौत के साथ सुला गया कोई"

शब्दो से खेलना

शब्दो से खेलना तुम्हे खूब आता है, 
ज़रा हमे  भी बताओ आख़िर ये खिलोना तुम्हे कौन दे जाता है, 
हम तो तक चुके हर दुकान पे जा कर पर नही मिला ऐसा खिलोना,
 अब तुम्ही मिलवओ हमे उसी से जो ला कर ये खिलोना हर बार तुम्हे दे जाता है, 
शब्दो से खेलना तुम्हे खूब आता है "

Thursday 15 May 2014

my poetry collection- Hindi

1* "hon mai ek kavita adhuri si, aa baith mere paas aur karde mujhe puri si, kuch aise piro shabdo ke moti ki na toote dorr fir kabhi ummido ki, hon tanha kitni iss zinadgi mein, aaja mere paas aur kar de aabad meri ye zinadgi, aa lauta de mujhe ab meri ye MEETHI KHUSHI(HAPPY-SWEETY)"


1* "हूँ मई एक कविता अधूरी सी, आ बैठ मेरे पास और कर्दे मुझे पूरी सी, कुछ ऐसे पिरो शब्दो के मोती की ना टूटे डोर फिर कभी उम्मिदो की, हों तन्हा कितनी इस ज़िंदगी में, आजा मेरे पास और कर दे आबाद मेरी ये ज़िंदगी , आ लौटा दे मुझे अब मेरी ये मीठी खुशी(हॅपी-स्वीटी)"








2* "haathon me jaam liye ye unka andaaz purana lagta hai, bina kahe iss mehfil se wo chal diye kya yaha aana unhe bura lagta hai, hai saza ye mushayara aaj shayaro se, hai haathon me jaam sabhi ne thaam liye, dekh iss mehfil ki ronak aaj har shakhs unka diwana lagta hai, kaagaj aur kalam se nahi apne khoon ki syaahi se iss dil pe likhte naam unka ye pura zamana kahta hai"



2* "हाथों मे जाम लिए ये उनका अंदाज़ पुराना लगता है, बिना कहे इस महफ़िल से वो चल दिए क्या यहा आना उन्हे बुरा लगता है, है सज़ा ये मुशायरा आज शायरो से, है हाथों मे जाम सभी ने थाम लिए, देख इस महफ़िल की रोनक आज हर शख्स उनका दीवाना लगता है, कागज और कलाम से नही अपने खून की स्याही से इश्स दिल पे लिखते नाम उनका ये पूरा ज़माना कहता है"





3* "meri ye zindagi mere liye kuch b nai jo kaam na aaye kabhi agr kisi deen k liye,

ae khuda fariyad hai tujhse mujhe itna khudgarz mat banana jo main jiyu to sirf apne liye,

ae khuda nahi aane dena pashuta dil mein, insaan hon insaan bas mujhe rahne dena,

apne liye nahi bas duniya ke liye hi ab jiyu yahi bhawana is dil mei sadaa banaye rakhna "



3* "मेरी ये ज़िंदगी मेरे लिए कुछ भी नही जो काम ना आए कभी अगर किसी दीन के लिए,

ए खुदा फरियाद है तुझसे मुझे इतना ख़ुदग़र्ज़ मत बनाना जो मैं जियु तो सिर्फ़ अपने लिए,

ए खुदा नही आने देना पशूता दिल में, इंसान हों इंसान बस मुझे रहने देना,

अपने लिए नही बस दुनिया के लिए ही अब जियु यही भावना इस दिल मेी सदा बनाए रखना "





4* " aaj ishwar bhi apni manav rupi rachana ko dekh aansu bahata hoga, aakhir q usne insan bnaya ye sochta hoga"


आज ईश्वर भी अपनी मानव रूपी रचना को देख आँसू बहता होगा, आख़िर क्यू उसने इंसान बनाया ये सोचता होगा"




  5* हर घड़ी मुझे तेरा अहसास रहता है, रहता है दूर मुझसे कितना पर लगता है पल-पल मेरे आस-पास तू रहता है, नज़रोँ से नही दिल की गहराई से चाहा है मेने तुझे, दिल की धडकनो मेँ तेरा ही नाम हर पल सुनाई मुझे तो अब देता है, हर घड़ी मुझे तेरा ही अहसास रहता है







 6* meri zindgi ki aas ho tum, dur ho kar bhi kitne khaas ho tum, mil paye shayad na kabhi tumse iss zindagi me ab koi gam nahi, ho kar dur  bhi itnaa  meri jeene ki ek wazah ho tum, meri zindagi ka ahsaas ho sirf tum



 6* 6* मेरी ज़िंदगी की आस हो तुम, दूर हो कर भी कितने ख़ास हो तुम, मिल पाए शायद ना कभी तुमसे इस ज़िंदगी मे अब कोई गम नही, हो कर  दूर भी इतना जीने की एक वज़ह हो तुम, मेरी ज़िंदगी का अहसास हो सिर्फ़ तुम





7* " ye zindagi pal-pal rang badalti hai, ek pal mein khushiya to duje me gam deti hai"



7* " ये ज़िंदगी पल-पल रंग बदलती है, एक पल में खुशिया तो दूजे मे गम देती है"




8* "kaise sunaye iss mehfil mei apna koi nagma, kaise sunaye iss mehfill mein koi nagma, dekh bade-bade shayaro ko sochte hai ham, aji dekh inn bade-bade shayaro ko sochte hain ham ki sun kar mera nagma, ki sun kar mera nagma na lag jaye unhe kahi koi sadma" hahahaha



8* "कैसे सुनाए इस महफ़िल मेी अपना कोई नगमा, कैसे सुनाए इस महफिल्ल में कोई नगमा, देख बड़े-बड़े शायरो को सोचते है हम, अजी देख इन बड़े-बड़े शायरो को सोचते हैं हम की सुन कर मेरा नगमा, की सुन कर मेरा नगमा ना लग जाए उन्हे कही कोई सदमा" हाहहाहा






9* "wo peeche pade the, unki muskan dekhne k liye adey the, wo bar bar mana karti thi, muskurane par huye nuksan se darti thi, par wo us maane nahi, bole hame dekh tum muskurati q nai, wazah kya hai aaj hame batlao nahi to janeman iss ghar se tum chali jao, sun kar unki baat wo boli, nahi hai koi wazah khas, bas darti hu dekh meri muskan na ho jaye koi tumhe nuksaan, par meri jaan ab gussa chhod aur dekh meri ye muskan, haaye raam dekh unki muskaan tham gaya dil unka aur muh se nikla haaye raam, muhh mein ek daant na tha, jaise muskurai aur unke paas aayi nakli daanto ka jabda unke haath me tha jo gira, dekh haatho me unka jabda jor ka jhatka dhire se nai laga bahut tagda" dekh is khofnak manzar ko unka to khuda hi malik h



9* "वो पीछे पड़े थे, उनकी मुस्कान देखने के लिए अड़े थे, वो बार बार मना करती थी, मुस्कुराने पर हुए नुकसान से डरती थी, पर वो उस माने नही, बोले हमे देख तुम मुस्कुराती क्यू नई, वज़ह क्या है आज हमे बतलाओ नही तो जानेमन इस घर से तुम चली जाओ, सुन कर उनकी बात वो बोली, नही है कोई वज़ह खास, बस डरती हू देख मेरी मुस्कान ना हो जाए कोई तुम्हे नुकसान, पर मेरी जान अब गुस्सा छोड़ और देख मेरी ये मुस्कान, हाए राम देख उनकी मुस्कान थम गया दिल उनका और मूह से निकला हाए राम, मूह में एक दाँत ना था, जैसे मुस्कुरई और उनके पास आई नकली दांतो का जबड़ा उनके हाथ मे था जो गिरा, देख हाथो मे उनका जबड़ा ज़ोर का झटका धीरे से नही लगा बहुत तगड़ा" देख इस खोफ़नक मंज़र को उनका तो खुदा ही मलिक है



 10*  ye ghatna kisi pe to ghati thi jo abhi maine yaha par likhi thi, jin par ghati unke liye ek saza thi par ham padne walo k liye ek romanchak katha thi





10* ये घटना किसी पे तो घटी थी जो अभी मैने यहा पर लिखी थी, जिन पर घटी उनके लिए एक सज़ा थी पर हम पड़ने वालो क लिए एक रोमांचक कथा थी


11* resham ke dhaage se bhi naazuk hai dosti ka ye rishta, khile huye pushp ki tarah nahi band kali ki tarah hai dil se dil ka ye rishta, aa jaye agr duriya inme fir ashk aur tanhai ke siwa kabhi kuch nahi fir isme bachta..... 


11* रेशम के धागे से भी नाज़ुक है दोस्ती का ये रिश्ता, खिले हुए पुष्प की तरह नही बंद कली की तरह है दिल से दिल का ये रिश्ता, आ जाए अगर दूरिया इनमे फिर अश्क और तन्हाई के सिवा कभी कुछ नही फिर इसमे बचता.....
 

(हमारा पुतवा)

"तू ही तो मेरा राजा है, 
तू ही तो मेरी रानी है, 
क्या बताउ तुझे मेरे बोस 
तू ही तो मेरी जिन्दगानी है"
(हमारा पुतवा)

Sunday 11 May 2014

धोखेबाज़ है दिखता...

"है दिया दर्द हर शख्स ने मुझे इस ज़माने में की आज बेदर्द हर शख्स मुझे है दिखता, मिला धोका मुझे इस ज़माने में की आज ये ज़माना ही मुझे धोखेबाज़ है दिखता... "

मैं हिन्दुस्तानी बाला हूँ,

" गोरी नही काली हू, दुनिया से बड़ी निराली हू, मैं बाला हिन्दुस्तानी हू,

रुकती नही बस चलती हू, चलते हुए नही थमती हू, मैं बाला हिन्दुस्तानी हू,

थकती नही निरन्तर बहती रहती हू, मैं एक नादिया जो लड़की बन के घर-घर मे रहती हू, मैं बाला हिन्दुस्तानी हू,

नित्या यातना सहती हू, दंश लड़की बनने का सहती हू पर फिर भी ना कुछ कहती हू, मैं बाला हिन्दुस्तानí हू,

मैं एक छोटी चिड़िया हूँ जो हर डाल पर रहती हूँ
मैं बोल नही सकती लेकिन अपनी आवाज मैं कहती हूँ
की मैं एक बाला  हिंदुस्तानी हूँ


कमजोर मान कर जो उपहास मेरा उड़ाते है वो समझ ले ज़रा मैं ही दुर्गा और काली हू, मार भगाए फिरंगी जिस धरती से मैं ही झाँसी की रानी हू, मैं बाला हिन्दुस्तानी हू,

मेरी खामोशी को मेरी मज़बूरी ना समझना, मेरी नादानी को मेरी मज़बूरी मत समझना, मैं ही चंडिका और विकराली हूँ मैं हिन्दुस्तानी बाला हूँ, 

मैं हिन्दुस्तानी बाला हूँ, मैं हिन्दुस्तानी बाला हूँ, मैं हिंदुसतानी बाला हूँ.."

Friday 9 May 2014

देख के इतने मासूम चेहरे -dekh ke itne maasoom chehre

dekh ke itne maasoom chehre fir se jeene ka mann karta hai, guzaar du apni ye zindagi unke liye bas ye karne ka ahsaas is dil mein hamesha ab rahta hai........




देख के इतने मासूम चेहरे फिर से जीने का मंन करता है, गुज़ार दू अपनी ये ज़िंदगी उनके लिए बस ये करने का अहसास इस दिल में हमेशा अब रहता है........

मुझे बहुत रुलाया है

"इस दिल को हर शख्स ने दुखाया है, गेरो ने ही नही अपनोने भी मुझे सताया, खुशी की इबादत करते थे खुदा से बस हम पर दे कर गम-आए-तन्हाई इस ज़िंदगी मे उस रब ने भी मुझे बहुत रुलाया है"

big crime being a woman

"only a woman can do everything for her family as wife, as daughter, sister, a woman can do everything for her best friend, boyfriend, husband, brother, father, mother, sister, animals, birds, nature but what she gets? only tears, only salt water in her eyes life long for her sacrifices, great it's crime being a woman as mother, wife, sister, friend, girlfriend, neighbor and everything, it's a big crime being a woman specially in India
 (mera Bharat Mahan)(°¥°)"

जीने की वज़ह नही रही इस ज़िंदगी

"जीने की वज़ह नही रही इस ज़िंदगी मे पर मरने के सौ बहाने ह्म तलाशते हैं"

Wednesday 7 May 2014

लिखते हो तुम कागज़ और कलम से

किसी ने पूछा हमसे क्या लिखते हो तुम कागज़ और कलम से या बिगो देते हो कागज़ को अपने अश्को की दवात से और लिखते हो अपने दर्द भरे दिल की इस कलम से , 
हमने उन्हें बताया लिखते तो है हम कागज़ और कलम से पर है जो गम मेरे ह्रदय की गहराई में वो ही कमबख्त अश्क बन कर निकल आता है,

 मेरे  नेनो  हो कर   हर कागज़ को मेरे आंसुओ की दवात भिगो जाता है,
 और इस दिल के दर्द भरे कलम से मेरी ज़िन्दगी के अफ़साने लिख जाता है… 

मुझे ही क्यों मिला बेवफा यार हर बार.





दिल पूछता है ये मेरा बार-बार आखिर मुझे ही क्यों मिला बेवफा यार हर बार, क्या की ऐसी खता मैंने ऐ खुदा तू ही मुझे अब बता,

क्या हुई भूल ऐसी जो झूठा सनम मुझे ही मिला हज़ार-बार,आखिर थी क्या वज़ह ऐ खुदा तू ही मुझे अब बता जो दिल के इस रिश्ते में दोखा मुझे युः ही मिला हर बार ,

दिल पूछता है ये मेरा क्यों फरेबी आशिक मुझे ही मिला बार-बार, क्यों दिल से खेलने वाला ही हर शख्स मिला मुझे ही यु सेंकडो बार,

दिल पूछता है ये मेरा बार-बार आखिर मुझे ही क्यों मिला बेवफा यार हर बार, दिल पूछता है ये मेरा बार-बार आखिर मुझे ही क्यों मिला बेवफा यार हर बार.


Monday 5 May 2014

सलाम भेजा है…।

सूरज की किरणों संग पैगाम भेजा है, हमने अपने सनम को सलाम भेजा है, फुरत मिले तो पड़  लेना इसे,

 हमने आंसुओं से लिख कर अपना हल-ऐ-दिल का बयां लिखा है, अगर वक्त मिले तुम्हे तो जवाब भेज देना, 

 कागज कलम से लिख कर नहीं बस चाँद से कह देना चांदनी संग अपने दिलबर को आज जवाब भेजा है,
कोई तोहफा या ईनाम नही, कोई फूल या गुदस्ता नही,


रात की इस रागिनी के साथ अपने लबोँ की हसीँ को उनके
साथ  भेजा है, मैने अपनी हर खुशी को उनके  पास  भेजा है, जिन्दगी के हर लम्हे को मेने उनके नाम भेजा है, 


मेने अपने दिलबर को  बस  ये आज सलाम भेजा है, चाँद की चाँदनी संग आज ये पैगाम भेजा है,

मैने अपने दिलबर को ये सलाम भेजा है, मैने अपने दिलबर को ये सलाम भेजा है…।


एक सच्चा हमसफ़र…।

लोग कहते हैं ब्रेक अप  के बाद आपके पास गम और तन्हाई और बीती बातो को याद कर रुलाई के सिवा और कुछ नहीं रह जाता, पर हम कहते हैं जिन रिश्तो में ब्रेक उप हो वो रिश्ता कहा है मज़बूत कहलाता, जहाँ होगा प्यार सच्चा न होगी कोई जगह दूरियों के लिए और न होगा कोई फासला अपने सनम के लिए, ब्रेक उप तो नाम बहुत दूर है जहाँ होगा सच्चा प्यार वह तरसेंगे दो दिल झगडे के लिए,



और अगर बात बात पे बात बिगड़े और होने लगे झगडे तो तोड़ कर ऐसे रिश्ते अकेले रहना ही हर शख्स बेहतर समझे, रोने-धोने और आंसू बहाने से क्या फायदे, ऐसे रिश्ते को ढोने से भी नहीं मिलने वाले है कोई रास्ते, बेहतर हो की मज़िल अलग कर रास्ते भी अलग ढून्ढ ले, जो ढो  रहे है झूठे रिश्ते उन्हें वही पे छोड़ दे,



अपनी ख़ुशी के लिए और अपनों की ख़ुशी के लिए कुछ दिन गम और तन्हाई के  बिता कर फिर से एक नयी चाहत को ढूंढने के लिए कही फिर निकल चले,



अतीत से बस इतना सीखे की इस बार मज़िल और रास्ते की तलाश में दुनिया की रंगीनियों में न कही डूबे, मिल जाएगा एक सच्चा हमराही कभी तो ये हौसला इस ज़िन्दगी में यु ही बनाये रखे,


चलते चलते अकेले राहों में टोकने वाले हज़ार मिलेंगे, चलते चलते  अकेले राहों में राह भटकाने वाले हज़ार मिलेंगे पर दिल से न लगने देना उनकी हर बात को , चलते रहना यु राह में चाहे आंधी आये  बरसात हो,


मिल जाएगा एक दिन वो हमनशीं चाहे बीते ज़िन्दगी के कितने दिन या बीती कई रात हो, ढोये हुए झूठे रिश्ते से दूर एक सच्चे रिश्ते की तलाश में घुमते हुए इधर उधर मिल ही जाएगा एक दिन वो राही और एक सच्चा हमसफ़र चाहे ज़िन्दगी के कितने हि दिन फ़िर  अब साथ हो …। 

हर शख्स ने मुझे तनहा छोड़ा है

हर शख्स ने मुझसे मुह मोड़ा है, हर किसी ने मुझे यु छोड़ा है, करा वादा सभी ने सदा साथ निभाने का, 

पर हर शख्स ने मुझे तनहा छोड़ा है, हाथ थाम कर चला हर कोई कुछ दूर तक संग मेरे फिर बीच मझधार में मुझे ला कर छोड़ा है, 

दोष दू तो किसे दू, आखिर मेरे नसीब में ही ये सब लिखा है, होते है ज़माने में कुछ भले भी लोग पर कैसे मानु मैं ये क्योंकि मुझे तो हर शख्स ने उस शैतान के भरोसे ही यहाँ  छोड़ा है, 

मिला नहीं मुझे कोई मेरे दुःख को कम करने वाला, और जिसने पूछा मेरे दिल का गम उसीने मुझे हैवानो के पास छोड़ डाला, 

अपना बन कर आया हर कोई करीब मेरे फिर करके तबाह मेरी ज़िन्दगी उसने भी मुझे खुदसे है दूर कर डाला, 

पर दोष किसी का नहीं मेरे नसीब का है शायद ला कर चौखट पर हर ख़ुशी मेरी हर शख्स ने मुझसे मुह मोड़ा है, 

हर किसी ने मुझे यु छोड़ा है, करा वादा सभी ने सदा साथ निभाने का, पर हर शख्स ने मुझे तनहा छोड़ा है, 

हर शख्स ने मुझे तनहा छोड़ा है

तू ही तो मेरा प्यार है

तू ही  तो मेरा प्यार है , तू ही तो मेरा संसार है, तुझसे ही तो  है  इस  जीवन में मेरी हर ख़ुशी, तुझसे ही तो है  इन लबों पे हसीं ओ मेरे जीवनसाथी ओ मेरे जीवनसाथी,


बिन तेरे न जी सकुंगी मैं अब अकेले ओ मेरे जीवनसाथी ओ मेरे जीवनसाथी, तुझसे ही तो है सुबह ये मेरी तुझसे ही तो है शाम मेरी, ओ मेरे जीवनसाथी ओ मेरे जीवनसाथी,


बिन तेरे सीने में  धड़केगा ये दिल जरूर पर न होगी कोई जिस्म में मेरी हलचल और न होगी दिल में जीने की कोई आरज़ू,


बिन तेरे साँसे होगी जिस्म में मेरे पर ज़िन्दगी नहीं, बिन तेरे रहूंगी ज़िंदा सबके लिए पर खुदमें ज़िंदा मैं नहीं,


बिन तेरे हूँ एक ज़िंदा लाश की तरह, घूमती रहूंगी  हर कही हवा के  झोखे से   उड़ते हुए उस पत्ते की तरह,


ऐ मेरे हमसफ़र ऐ मेरे हमनवा बिन तेरे अब कुछ भी नहीं मैं, बिन तेरे मुझमे नहीं अब मैं,


तू ही तो मेरी ज़िन्दगी है, तू ही तो मेरी बंदगी है, तू ही तो मेरी आशिकी है, तू ही तो मेरी हर ख़ुशी है ओ  मेरे जीवनसाथी ओ मेरे जीवनसाथी,

तू ही  तो मेरा प्यार है , तू ही तो मेरा संसार है, तुझसे ही तो  है  इस  जीवन में मेरी हर ख़ुशी, तुझसे ही तो है  इन लबों पे हसीं ओ मेरे जीवनसाथी ओ मेरे जीवनसाथी,

तू ही  तो मेरा प्यार है , तू ही तो मेरा संसार है, तुझसे ही तो  है  इस  जीवन में मेरी हर ख़ुशी, तुझसे ही तो है  इन लबों पे हसीं ओ मेरे जीवनसाथी ओ मेरे जीवनसाथी,

Sunday 4 May 2014

ख़ुशी की जगह गम हर बार देती है

ये ज़िन्दगी मेरी क्यों ये मौके बार-बार देती है, ख़ुशी की जगह गम हर बार देती है,

हम तो ज़िन्दगी नाम कर देते हैं उन्हें  दुनिया अपनी मान कर पर वो धोखा दे कर चले जाते हैं हमे अपनी शान समझ कर,
 जिसे भी मानते हैं अपना वो ही क्यों बन  जाता है  बेगाना, शायद रिश्ते बनाने में कमी कही मुझसे ही हो जाती है या फिर रिश्ते निभाने में गलती कही मुझसे ही हो जाती है, 

शायद तभी हर दफा लबों पे मेरी मुश्कान की जगह आँखों में आँसू  हर बार ये ज़िन्दगी मेरी   मुझे दे जाती है, 

शायद तभी ये  ज़िन्दगी मेरी ये मौके बार-बार देती है, ख़ुशी की जगह गम हर बार देती है,
ख़ुशी की जगह गम हर बार देती है

Thursday 1 May 2014

कौन हूँ मैं

किसी ने पूछा मुझसे कौन हूँ मैं, हिमालय से बहती सरिता हूँ या किसी कवि की कविता हूँ, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,


किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, पथ से भटकी हुई कोई पथिक हूँ या मज़िल की तलाश में चलती हुई राही हूँ मैं, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,


किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, किसी बाग़ की लता हूँ मैं या किसी बगीचे की माली हूँ मैं, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,


किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, चलते-चलते थक जब बैठ जाती हूँ तो सोचती हूँ की आखिर कौन हूँ मैं, है वज़ूद क्या मेरा इस जहाँ में, आखिर क्यों हूँ मैं इस जहाँ में, आखिर किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,

न किसी शायर की ग़ज़ल हूँ मैं ना  किसी लेखक का निबंद हूँ मैं, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,

किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, आँखों से बहते अश्को का सैलाब हूँ मैं या किसी बाग़ का तालाब हूँ मैं, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,

किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, ज़िन्दगी की तलाश हूँ मैं या ज़िन्दगी से निराश हूँ मैं,किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,

किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, गगन में उड़ता परिंदा हूँ मैं या ज़मीन पे हूँ इसलिए खुदसे ही शर्मिंदा हूँ मैं,किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,


किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, हूँ एक आम सी शक्शियत में या कुछ ख़ास भी हूँ मैं, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,

किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, पर्वतो से बहता झरना हूँ मैं या फलक से चमकता कोई सितार हूँ मैं, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,


किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, सागर की गहराई हूँ मैं या आकाश की उचाई हूँ मैं, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,

किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, किसी झील की धारा हूँ मैं या किसी हिमखंड का सहारा हूँ मई, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,

किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, रेगिस्तान सी वीरान हूँ मैं या हिमशिखर की सविता हूँ मैं, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,

किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, हिमालय से बहती सरिता हूँ या किसी कवि की कविता हूँ, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,

 किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं, हिमालय से बहती सरिता हूँ या किसी कवि की कविता हूँ, किसी ने पूछा मुझसे की कौन हूँ मैं,
आखिर मुझसे की कौन हूँ मैं,
आखिर मुझसे की कौन हूँ मैं,