Sunday 18 May 2014

एक बंद कली थी

"एक बंद कली थी वो पेरो तले कुचल गया कोई, 
अभी-अभी दिखी थी किसी टहनी पर तोड़ कर कही फैंक गया कोई, 
ज़िंदगी होती है क्या उसने जाना भी ना था, 
जीना होता है क्या उसने पहचाना भी ना था, 
देख उस डाली पे लगी नयी काली ज़िंदगी की आस दिल में आने पे पहले ही मौत की नींद सुला गया कोई, 
ज़िंदगी मिलने से पहले ही मौत के साथ सुला गया कोई"

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