Monday 5 May 2014

सलाम भेजा है…।

सूरज की किरणों संग पैगाम भेजा है, हमने अपने सनम को सलाम भेजा है, फुरत मिले तो पड़  लेना इसे,

 हमने आंसुओं से लिख कर अपना हल-ऐ-दिल का बयां लिखा है, अगर वक्त मिले तुम्हे तो जवाब भेज देना, 

 कागज कलम से लिख कर नहीं बस चाँद से कह देना चांदनी संग अपने दिलबर को आज जवाब भेजा है,
कोई तोहफा या ईनाम नही, कोई फूल या गुदस्ता नही,


रात की इस रागिनी के साथ अपने लबोँ की हसीँ को उनके
साथ  भेजा है, मैने अपनी हर खुशी को उनके  पास  भेजा है, जिन्दगी के हर लम्हे को मेने उनके नाम भेजा है, 


मेने अपने दिलबर को  बस  ये आज सलाम भेजा है, चाँद की चाँदनी संग आज ये पैगाम भेजा है,

मैने अपने दिलबर को ये सलाम भेजा है, मैने अपने दिलबर को ये सलाम भेजा है…।


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