Sunday 17 December 2017

कविता--इस जहाँ में मैं भी पंख फेलाना चाहती हुँ(आधुनिक परिवेश में नारी की पीड़ा)

"बस जहाँ में मैं भी पंख फेलाना चाहती हुँ
ऐ दुनिया मैं भी तो अब उड़ना चाहती हुँ

बंद कमरे का अँधेरा और कब तक सहु में
मैं भी तो अब ये उजियारा देखना चाहती हूँ

बेगुनाह हो कर भी सदियो से कैद हूँ में यहाँ
तोड़ इन जंजीरो को में अब जीना चाहती हुँ



अस्मत का हवाला दे मुझे गुलाम बनाया
आज यहाँ आज़ादी से साँस लेना चाहती हु

नारी हूँ तो क्या हुआ आखिर निर्जीव नहीं
बोझ नही आखिर में भी आधी आबादी हूँ

बहुत रख लिया कैद मुझे बता तुम हो नारी
है जगत की जननी नारी ये बताना चाहती हूँ

क्यों रहु कैद कितना आखिर अपराध बता
गुड़िया नही मैं माटी की ये जताना चाहती हूँ

है भावनाये मुझमे भी है उमंग ज़िन्दगी की
क्यों रखते हो कैद मुझे आखिर कैसे अपराधी हूँ

बस जहाँ में मैं भी पंख फेलाना चाहती हुँ
ऐ दुनिया मैं भी तो अब उड़ना चाहती हुँ-२"



हिंदी मुक्तक-👍👌👍👌💐💐☺😢☺


Primary



     "दिल तोड़ने वाले बहुत मिले हमें
पर दिल जोड़ने वाला न मिला हमे
   सोचा था कोई तो होगा अपना भी
इश्क में यु मोड़ने वाला न मिला हमें"

"इश्क में बहुत अश्क हमने भी बहाये है
मेहबूब को करीब दिलके हम भी लाये है
कर दी थी जहाँ से बगावत जिसके खातिर
बेवफा दिलबर से ये ज़ख्म हमने भी खाये है"

हिंदी-मुक्तक😢😢👌👌👍👍👍💐💐💐☺



  • "याद में तेरी आज भी अश्क बहाते है
  • तेरे सिवा न इस दिलमे किसी को लाते है
  • है पता हमे तुम तो हो बेवफा दोगे दगा
  • फिर भी तुम पर ही दिल ये हारे जाते है"

  • "है  इक ख्वाइश  हमारी  भी
  • है इक फरमाइश हमारी भी
  • मिले ख्वाबो का वो शहज़ादा
  • है इक आज़माइश हमारी भी"

  • "सूरत से नहीं सीरत से तेरी प्यार किया
  • सब कुछ अपना तुझ पर मैंने वार दिया
  • पर तूने कभी कदर न करी मोहब्बत की
  • तेरे लिए देख आज मैंने त्याग संसार दिया"

  • "एक बेवफा को दिलमे बसा कर रोये बहुत हम
  • उस बेवफा को अपना बना कर रोये बहुत हम
  • सोचते थे कभी पिघलेगा दिल उनका भी
  • यही सोच सबकुछ अपना खोये बहुत हम"

Saturday 16 December 2017

प्रभु येशु गीत-मेरा येशु आया है






"ख़ुशी मनाउ प्रेम गीत गाऊ
आज घर मेरे मेरा येशु आया है

घर को सजाउ मिष्टान लाऊ
भोग बनाऊ, मेरा येशु आया है

अश्को से अपने तेरे चरण में धोऊ
प्रभु ने मुझ पर ये प्रेम बरसाया है

ख़ुशी मनाउ प्रेम गीत गाऊ
आज घर मेरे मेरा येशु आया है

आसन पुष्पो का प्रभु मैं बनाऊ
गीत सुनाऊ, मेरा येशु आया है

मैं झूमूँ नाचूँ गाउँ धूम मचाऊँ
 ख़ुशी का ये अवसर आया है

ख़ुशी मनाउ प्रेम गीत गाऊ
आज घर मेरे मेरा येशु आया है-२"

Friday 15 December 2017

प्रभु गीत-राजाओ का राजा





तू राजाओ का राजा है-२


हम तो है प्रजातेरी

तू तो महाराजा है-२



तुझसे मिली हमको कृपा

तुझसे मिला ये जीवन-२



तेरी ही दया से ऐ प्रभु

पाया है हमने ये तन मन-२



तू है करुणा का सागर

ये जाने जगत में जन जन-२



तेरी ही हर बात सुनु मैं अब

किया है समर्पित तुझपे जीवन



मिले चाहे कांटे या मिले सजा

तू ही है मालिक मेरा मैं हूँ प्रजा
तू राजाओ का राजा है-२




नित करू प्रभु आराधना तेरी

हुआ है दिल में तेरा आगमन



नित जलाऊ दीप करू पूजा

प्रभु रोषित किया है तूने मेरा मन

 तेरी दया रहे सदा मुझ पर
करु पल-पल यही मैं प्राथना


तू राजाओ का राजा है-२


हम तो है प्रजा तेरी


तू तो महाराजा है--४"

Tuesday 12 December 2017

प्रभु येशु गीत




"मेरे प्रभु ,तेरे जैसा कोई नही

हे येशु ,तेरे जैसा कोई नही

ये सूरज, चाँद, सितारे
ये दिन, रात और हसीं नज़ारे

देखे है हमने बहुत
पर मेरे येशु जैसा कोई नही
मेरे प्रभु तेरे जैसा कोई नही

मेरे प्रभु , तेरे जैसा कोई नही
हे येशु, तेरे जैसा कोई नही

पापियो को भी तूने माफ़ किया
हर किसी का तूने इंसाफ़ किया

कितनो को ये वरदान दिया
मृतको को भी जीवन दान दिया

मेरे येशु तू करुणा का सागर
तू ही है प्रभु प्रेम की गागर

मेरे मालिक, तुमसा यहाँ कोई नही
मेरे प्रभु ,तेरे जैसा कोई नही
हे येशु ,तेरे जैसा कोई नही

मेरी हर फरियाद सुनता है तू
पल पल मुझे याद करता है तू

तुमने सिखाया हमे प्रेम का पाठ
दुनिया के लिये त्यागे अपने प्राण


मेरे प्रभु ,तेरे जैसा कोई नही
हे येशु ,तेरे जैसा कोई नही

तू सादा तेरा जीवन भी सादा
नही तोड़ी तूने कोई मर्यादा

जब जब जिसने तुझको पुकारा
तुम बने सदा प्रभु उनका सहारा

आगे तुम्हारे वो शैतान भी हारा
फिरता रहा वो फिर मारा-मारा

मेरे प्रभु ,तेरे जैसा कोई नही
हे येशु ,तेरे जैसा कोई नही-४"

Sunday 10 December 2017

कविता-शादी

"सुना है दिलो से घरों को जोड़ती है शादी
सुना है एक गैर को अपनों से जोड़ती है शादी

फिर क्यों टूट रहा रिश्तों का विश्वाश यहाँ
अब केवल दो दिलो को ही जोड़ती है शादी

मनाते है जश्न टूटते रिश्तों का उस दिन खूब
जब दो अजनबियों को एक कराती है शादी

मात-पित, भाई-बहन, सखा-सहोदर होते खुश
गैर से रिश्ता जोड़ जब अपने की करते है शादी

नही जुड़ता कोई जब इस टूटे हुए नए रिश्ते से
ये जीवन अभिशाप बता कर दी जाती है शादी

नए नाते ऐसे मिले पुराने हुये यहाँ अब माटी
नए से नाता जोड़ पुरानो से मिली आज़ादी


खून के रिश्तों की खूब करते आज बर्बादी
अकेले नही अब हम दो है सदा करके शादी

अब बढेगा संसार मेरा आँगन गाये गीत
प्रिय-प्रीतम संग रहेंगे बढेगी फिर आबादी

टूट कर बिखर जाये चाहे खून के आँसु रोये
छोड़ कर खून के रिश्ते हमने तो की है शादी

पूछे मीठी -ख़ुशी से क्या है मोल अपनों का
दिलो को जोड़ क्यों अपनों को तोड़ती है शादी

ज़िन्दगी का हसीं पल लगने लगता है कड़वा यूँ
आखिर इन रिश्तों को किस और मोड़ती है शादी
सुना है दिलो से घरों को जोड़ती है शादी
सुना है एक गैर को अपनो से जोड़ती है शादी-२"

Wednesday 6 December 2017

कविता--तेरी याद दिन रात मुझे रुलाती है



"'मीठी' सी तेरी याद दिन रात मुझे रुलाती है
तेरी हर बात 'ख़ुशी की मुझे बहुत सातती है

तुम छोड़ गए तनहा इस महफ़िल में मुझे
फिर भी धड़कन तुमको ही बस बुलाती है


कहते है सब तुम नही अब जहाँ में कही
इन अश्को मे तुम्हारी ही सूरत नज़र आती है

कैसे मान लू जग की बात की तुम नही हो
हवाओ में खुशबू तुम्हारी मुझे महकाती है

रहते हो मेरी साँसों में तुम ज़िन्दगी बनकर
ज़िन्दगी लम्हा लम्हा मुझे ये बतलाती है

ज़िन्दगी के हसीन वो पल जो साथ जिये हम
'मीठी' 'ख़ुशी' को पल पल पुकारे जाती है

वो गीत प्रेम के साथ गुनगुनाते थे कभी हम
तेरी याद में अकेली बैठी 'मीठी' गाये जाती है

आँखों का पलक सा रिश्ता था हमारा कभी
बेवफा निकली साँसे बुझ गयी दिये से बाती है

तड़पती हूँ हर पल यहाँ पुकारा तुझे करती हूँ
'ख़ुशी' के बिना 'मीठी' अधूरी बस कहलाती है


'मीठी' सी तेरी याद दिन रात मुझे रुलाती है
तेरी हर बात 'ख़ुशी की मुझे बहुत सातती है-२"