Monday 14 January 2019

ईश्वर वाणी-268, ब्रमांड का फैलाव

ईश्वर कहते हैं, " हे मनुष्यों यद्दपि तुम्हे मैंने ब्रमांड जगत की अनेक बाते और रहस्य बताये है, किंतु आज तुम्हे एक और रहस्य इस ब्रह्मांड जगत का तुमको बताता हूँ।

तुमने सुना होगा कि अनेक ज्ञानी विज्ञानी कहते हैं कि ब्रह्मांड बढ़ रहा है, फैल रहा है, चंद्रमा जो पहले पृथ्वी के बेहद करीब था अब काफी दूर हो चुका है, सब ग्रह धीरे धीरे दूर हो रहे है, आज तुम्हे इसका रहस्य बतात हूँ।
  हे मनुष्यों ये ब्रह्मांड एक इलास्टिक के समान है, जैसे एक बहुत बड़ी इलास्टिक को अंडाकार कर के उसके अंदर काफी चीज़ डाली जाए, और तब तक डाली जाए तब तक इलास्टिक टूट न जाये, इस क्रिया के दौरान तुम देखोगे की इलास्टिक कितनी बड़ी हो गयी थी टूटने से पहले और उसमें काफी कुछ समा गया था टूटने से पूर्व।

यही प्रक्रिया इस अंतरिक्ष की भी है, हालांकि इसको अनन्त बोला जाता है साधारण जन भाषा मे लेकिन ये अनन्त नही है, इसकी भी एक सीमा है, और जब वो टूटेगी तब सब कुछ शून्य में समा कर शून्य हो जाएगा जिससे इनका जन्म हुआ है।

  हे मनुष्यों अभी जो ज्ञानी लोग कहते है की अंतरिक्ष बढ़ रहा है, वो इस क्रिया के कारण की कई अणुओं में लगातार अभी भी विष्फोट निरंतर अन्तरिक्ष में हो रहे है, जिनमें से कई तो इस विस्फोट से ग्रह नक्षत्र या तारे का रूप बन जाते है किंतु कुछ नही, अर्थात जिन अणुओ को कोई रूप नही मिलता वो पुनः एकरत्रित होने लगते है और फिर उनमें पुनः विस्फोट होता है जो फिर कोई न कोई रूप ले लेता है, इस तरह सृष्टि की शुरुआत से लेकर अनन्त काल तक ये प्रक्रिया युही चलती रहेगी।
 इस प्रक्रिया के कारण ऊर्जा उत्पन्न होती है जो आस पास के गृह नक्षत्रो को अपने पास खींचती है, जैसे चुम्बक लोहे की धातु को अपने पास खींचती है, किंतु ग्रह नक्षत्र एक दूसरे से आपस मे गुरुत्वाकर्षण बल की ऊर्ज़ा के कारण एक दूसरे से जुड़े होते है, इसलिए किसीभी अन्य नए व पुराने ग्रह से नही टकराते यधपि अपने पुराने स्थान से दूर अवश्य चले जाते है, यही कारण है कि प्राचीन काल मे चन्दमा धरती से जितना करीब था अब काफी दूर है और भविष्य और दूर होगा और सिर्फ चन्दमा ही नही सभी ग्रह धीरे धीरे दूर होते जाएंगे और एक दिन अनन्त शून्य में समा जाएंगे एक नवीन रहस्यों सेबभरा ब्रमांड बनने के लिए"

कल्याण हो

Thursday 10 January 2019

ईश्वर वाणी-267, अधिकता अथवा कमी का असर

ईश्वर कहते है, "है मनुष्यों जैसे तुम्हारे शरीर मे मैंने कुछ अतिरिक्त नही दिया है वैसे ही इस पृथ्वी व सम्पूर्ण ब्रह्मांड में कुछ अतिरिक्त नही दिया है, जैसे तुम्हारे शरीर मे किसी चीज़ की अधिकता या कमी होने पर तुम अनेक परेशानियो का सामना करते हो वैसे ही ईश पृथ्वी व ब्रह्मांड में किसी की अधिकता या कमी से भी अनेक परेशानिया ही बढ़ेंगी।

  इसीलिये हे मनुष्यों जैसे तुम्हारे शरीर मे किसी चीज़ की अधिकता या कमी न हो इसके लिए निम्न नियम बनाये है, जिनका पालन करने से तुम एक स्वस्थ जीवन जीते हो वैसेही   समस्त ब्रह्मांड के लिये है जिसके अनुरूप ये समस्त जगत कायम है।

यधपि इसकी अधिक या कम मात्रा सृष्टि व प्राणी जगत के लिये घातक होती है, मैंने तो यधपि सब संतुलित भेजा है किंतु मनुष्य इससे असंतुलित कर अपना विनाश खुद लिख रहा है, यदि वो न रुका तोनिश्चित ही भयावह होगा अति भयावह।"

कल्याण हो