Wednesday 24 July 2013

मेरी चाहत को देख कर डरते हैं वो

मेरी चाहत को देख कर डरते हैं वो की कहीं बिन उनके ना मर जाए हम, कहते हैं वो की नहीं हो सकते हम कभी तुम्हारे लेकिन डरते हैं वो की कही कोई गलत कदम ना उठा जाए हम,  नादान है वो जो सोचते हैं ऐसा, वो नहीं जानते की मौत को भी उनके लिए ही गले  लगाया जाता है जिनके साथ कभी ज़िन्दगी जीने का ख्वाब देखा जाता है, उन्होंने तो हमेशा मझधार में ही हमे अकेला छोड़ा है, बन के साथी कुछ दूर तक चले  फिर तनहा छोड़ा है, 


है पता हमे भी की नहीं हो सकते वो कभी हमारे पर हम भी नादान तो नहीं की ये जानते हुए भी एक खुदगर्ज़ से मोहब्बत की है हमने, जिसकी झूठी बातों पर भी ऐतबार किया है हमने, लेकिन इतने भी नादाँ हम भी नहीं की जिसे क़द्र नहीं मेरी मोहब्बत की दे दें जान उस शख्स के लिए, जिसने नहीं समझा कभी हमे अपने काबिल दे दें अपनी ये जान उस आशिक-ऐ-नाकाबिल के लिए, बेवज़ह डरते हैं वो की न मर जाए हम उनके लिए, कभी जीने नहीं दिया जिसने हमे अपने लिए कैसे मर जाए हम उसके लिए, मौत भी सताय्गी हमे जो ऐसा कुछ हम कर गए, जी न सके जिसके  लिए उसके लिए मर गए, मौत भी कहेगी हमसे मरना था  तो उसके लिए मरते जो तुम्ही से मोहब्बत  सिर्फ  करते, और जो करते  सिर्फ मोहब्बत तुमसे वो कभी  तुम्हे यु ही न मरने देते,



देख मेरी चाहत को  वो बेवज़ह यु ही डरते हैं, हाँ ये सच है की जीते जी हम उन्ही पर मरते हैं, नहीं हो सकते किसी और के क्यों की हम तो उनकी रुसवाइयों के बाद भी उन्ही से ही मोहब्बत हैं करते, लेकिन जिसे नहीं परवाह मेरी चाहत की उसके लिए हम भी अपनी जान यु ही  तो नहीं दे हैं सक्ते …


Tuesday 23 July 2013

मसीहा है ये 'एन गी ओ' सारे,

कहते हैं असहायों के मसीहा है ये 'एन गी ओ'  सारे, जब सुन अत्याचारों की भरमार कुछ  ना करने को  आगे नहीं बड़ते क़ानून के रख  वाले, जब पीड़ित  की नहीं सुनते ये क़ानून बनाने वाले, तब  हाथ बड़ा कर साथ निभाने का वादा करते ये 'एन गी ओ',  



सुने हमने भी कई कारनामे इनके, सोचा कोई तो है दुनिया में मजूलुमो की सुनने वाला, कोई तो है आखिर दुराचियों से भिड़ने वाला, मिलता जहाँ न्याय है देश में सिर्फ महलों में रहने वालों को, कोई तो है झोपड़ों में बसने वालों की सुध लेने वाला,


गुरुर था हमे की हैं नहीं अकेले इस जहाँ में, कोई तो है हमारा गरीबों का सहारा, बस इसी उम्मीद में जीते हम जा रहे थे, सोचने लगे थे अब न सहेंगे कोई अत्याचार किसी का क्यों ही है अब हमारे साथ 'एन गी ओ' मसीहा,


और आखिर आ ही गया वो दिन, जा कर किसी गहरे गढ़हे में हम जा गिरे थे, मदद के लिए लोगों को पुकार रहे थे, साँसे धीरे धीरे थमने लगी थी, आँखों की रोशनी भी अब धुंधली होने लगी थी, चोट के कारन दर्द से हम करह रहे थे, सबको अपनी मदद के लिए बहुत बुला रहे थे, पर ना आ सका कोई मदद के लिए तब ख्याल आया मसीहा 'एन गी ओ' का,


सुना था हमने जब हो मुसीबत में फसे और दूर खड़े देख रहे हो लोग तमासे तब आते हैं आगे  जरूरत मंदों के ये मसीहा, करते हैं मदद उनकी जिनकी नहीं है ये ज़माना सुनता, ये सोच कर हमने भी संपर्क  किया  उनसे साथ,


किया फ़ोन हमने और मांगी मदद जब उनकी, करते रहे फ़रियाद और की हमने उनसे जाने कितनी विनती, एक के बाद एक मसीहों से करते रहे दर्ख्यास्त और लगाते रहे जीने की आस पर कही किसी ने कहा आपका समय पूरा हो चूका है, कल जब मुसीबत में गिर जाना तब ९ बजे के बाद फ़ोन पे आना,  फिर किसी ने कहा वहा नहीं है हमारा आना जाना, और फिर किसी ने कहा हमें   बख्श दो किसी और को पकड़ो, हैं अनेको काम यहाँ पर तुम किसी और के हाथ पाँव जोड़ो,


टूटती रही हमारी साँसे और तड़पते रहे हम पर किसी को  ना आया हम पर रहम, आखिरी  सांस ज़िन्दगी की लेने  पहले  ये  जान गए  हम, जैसे सरकार का रवैया जनता के प्रति ढीला है वैसे ही मसीहा के लिए भी मदद के नाम पर झूठे मदद के वादे कर अपनी तिजोरी भरने की एक लीला है, लेती है सरकार वोट जनता से  जैसे झूठे वादे के नाम पर और मसीहा बने 'एन  गी ओ ' लूटते है लोगों को उनकी मदद के नाम पर,

नहीं है कोई भेद ,मसीहा गरीबों की बनी किसी सरकार और जनता के मददगार इन  एन गी ओ' स में मेरे प्यार, सब तो है अब  और असहाय लोगों को लूटने के हथियार  … 




                                    प्यार दोस्तों ये एक सच्ची घटना है इन एन गी ओ'स की, जो सिर्फ और सिर्फ पैसा कामे के लिए लोगों की मदद के नाम पर अपनी लूट की दूकान खोले बैठे है

Sunday 21 July 2013

इतनी सी दुआ चाहते हैं




नहीं चाहते कुछ ऐ  खुदा बस इतनी सी  दुआ   चाहते हैं, तुझसे कुछ और नहीं बस जीने की एक वज़ह चाहते हैं, अकेले हैं तनहा बहुत जहाँ में बस जीने के लिए एक हौसला चाहते हैं, क्यों हैं हम जहाँ में आखिर मकसद है क्या मेरा क्यों तूने भेजा  है मुझे आखिर क्या है इरादा तेरा बस तुझसे अपने होने की  वज़ह जानना चाहते हैं, चलते चलते बहुत थक चुके हैं  कोई हाथ बड़ा कर संभालने वाला हम चाहते हैं, इस सूने जीवन से सूनेपन को दूर करने के लिए बस किसी का साथ हम चाहते हैं, अपनी इस तनहा अधूरी सी ज़िन्दगी को पूरा करना हम चाहते हैं, आंसुओं के साथ नहीं मुस्कराहट के साथ हर पल ज़िन्दगी का जीना हम चाहते हैं, एक साथी हम चाहते हैं जो सिर्फ हमारा हो, जिसे सिर्फ हमारा ही सहारा हो, बिन हमारे न वो भी पूरा हो, बस अकेले चलते चलते ऐसे थक चुके हैं अब खुद भी की  किसी का सहारा बनना हम चाहते हैं और किसी का सहारा हम चाहते हैं, ऐ खुदा  बस अपनी ज़िन्दगी का अर्थ जानना हम चाहते हैं, करते हैं फ़रियाद तुझसे ऐ मेरे मालिक जो ना हो किसी काबिल मेरा ये जीवन तो तुझे याद करते करते इस ज़हां से विदा हम होना चाहते हैं, तेरी ही आघोष में ऐ मेरे खुदा अब तो बस सोना हम चाहते है…

ईश्वर वाणी -48(ishwar vaani-48)

प्रभु कहते हैं जब जब धरती पर पाप बड़ते हैं और ईश्वर पर से लोगों का विश्वाश कम होने लगता है और लोग उनकी शिछा का अनुसरण छोड़ और धर्म का मार्ग त्याग कर दुराचारी होने लगते हैं तब तब मानव मात्र में आई इन बुराइयों का अंत करने हेतु पृथ्वी पर ईश्वर अवतरित होते रहते हैं,



प्रभु चाहे तो बिना धरती पर प्रकट हुए भी धरती पे विराजित बुराइयों का अंत कर सकते हैं या फिर वो चाहे तो कभी किसी भी प्राणी द्वारा बुराई का मार्ग भी ना अपनाने दें किन्तु इसके पीछे प्रभु का उद्देश्य है की उनकी  लीला के साथ मानव मात्र के  जीवन में  चिर काल तक अपने अस्तित्व के होने का प्रमाण और  इस समस्त समस्त भ्रह्मांड के रचिता, संगराक्षक, पालन एवं उध्हार करता के साथ विनासक भी 
है इस तथ्य को प्राणी मात्र तक पहुचने का उनका उद्देश्य है । 


ईश्वर कहते हैं की वो ही बुराई हैं और अच्छाई भी वो ही है, ईश्वर कहते हैं की वो बुराई के रूप में धरती पर आते हैं ताकि लोग उनके अछे स्वरुप को स्वीकार कर चिर काल तक उनकी अच्छाईयों का अनुसरण करते रहे किन्तु यदि वो बुराई के रूप में धरती में नहीं अवतरित होंगे तो धीरे धीरे लोग उन्हें भूलने लगेंगे एवं अहंकार के वश में खुद को ही सर्वंग्य मानने लगेंगे, इसलिए  मानव मात्र को अहंकारी और पथ भ्रष्ट होने और चिर काल तक ईश्वर में और उनकी शिक्षाओ में विश्वाश रख उनका अनुसरण करने हेतु ही प्रभु लीला करते हैं एवं पृथ्वी पर जन्म लेते हैं....




Friday 19 July 2013

पौराणिक कथा- पूर्ण श्रद्धा भाग ४ (pauranik katha- poorn shradhha bhaag 4)

एक बार की बात है जीसस अपने सभी बारह शिष्यों के साथ अपने किसी अनुयायी के घर गए, उस अनुयाई एवं उस गाँव के प्रत्येक व्यक्ति ने जल से उनके चरण छू कर आशीर्वाद प्राप्त किया, इसके बाद जिस अनुयायी के घर वो गए थे उसने उन्हें भेजन करने के लिए आमंत्रित किया, भोजन करने के उपरान्त वो अपने समस्त शिष्यों के साथ उस अनुयाई के घर बैठ कर उपदेश दे  थे की उनके पीछे एक स्त्री आई सुगन्धित पुष्पों से बना इत्र  भरा एक कटोरा जीसस के सर पर दाल दिया, ये देख कर उनके एक शिष्य ने उस स्त्री को डांटा और कहा की ये तूने क्या किया, इतना महंगा सुगन्धित पुष्पों के इत्र से भरा कटोरा तूने प्रभु के सर पर क्यों डाल  दिया, क्या तू नहीं जानती प्रभु इससे प्रसन्न नहीं होते किन्तु यदि तू इसे बेच कर जो धन कमाती और उस धन को गरीब और जरूरतमंद लोगों को बांटती तो प्रभु तुझसे अवश्य प्रसन्न होते, ये बात सुन कर वो स्त्री डर  गयी किन्तु अपने शिष्य को शांत करते हुए जीसस ने कहा इस स्त्री ने सबसे पहले मेरे शरीर पर इत्र मला है, मेरे जाने के बाद मेरे शरीर पर ऐसे ही सुगन्धित पुष्पों से बने इत्र को मला जाएगा, उनकी बात उनके शिष्यों एवं अनुयायियों को समझ नहीं आई किन्तु फिर उन्होंने कहा की वो सिर्फ अपने मानने वालों एवं उनके पथ का अनुसरण करने वालों की श्रध्हा देखते हैं इस स्त्री की जो असीम श्रध्हा थी मुझ पर इस इत्र का कटोरा डालते वक्त मैं उसकी उस भावना को सम्मान करता हूँ, और जो भी मेरा अनुयायाई मेरा मानने वाला सच्चे ह्रदय से मुझे कुछ अर्पण करेगा मैं उसे पूर्ण श्रद्धा के साथ सहर्ष स्वीकार करूँगा....



   इस प्रकार प्रभु यीशु ने हमे ये सीख दी की ईश्वर बाहरी आडम्बरों से नहीं अपितु अपने भक्तों की सच्ची श्रद्धा और प्रेम भावना से प्रसन्न होते हैं, उनकी दृष्टि में कोई भी और किसी भी प्रकार का भेद भाव नहीं होता है। 


                                                      आमीन  



Hasrate

Hasrate wo hi achhi hoti hai jo hasarate khud se hoti hai, hasarte wo hi poori hoti hai jo khud tak seemit hoti hai, khud se hasarate rakhne walon ko pata hota hai hasarate uski kabhi poori houngi ya nahi, jo  hasarat wo poori nahi kar sakta aise hasrat uske dil mein hoti hi nahi, aur jo hoti hai dil mein hasarat uski  khud se poora karne ki tamaam  bandishon ke baad bhi wo unhe pa hi leta hai, pyaar se ya vidroh se apni hasarato ko anjaam tak pahucha hi deta hai , naseeb mein uski bhi kewal likha itnaa hi hota hai hongi  hasarate uski poori jinhe poora karne ka akele ka usme hausla hota,

    Lekin un hasarte pe na karo kabhi yakin jisme tumhare siwa aur koi bhi shaamil ho, houngee wo kabhi poori jisme kisi aur ki bhi marzi shaamil ho, aur jo na ho saki wo poori aisi hasarate to darad bahut deti hain , rulaati rahengi wo hasarate jisme shaamil tumhare siwa koi aur shaamil ho,

Ae doston isliye kahte hain hum karo apni hasarate poori lekin na shaamil karo un hasaraton ko zindagi mein jo tumhare saaht hi kisi aur se bhi jud jaati ho, karo apne sabhi hasrate haste haste poori jisme sirf aur sirf tumhi shaamil ho…

किसी ने पूछा हमसे ये मोहब्बत क्या है

किसी ने पूछा हमसे ये मोहब्बत क्या है, क्या खुशियों का सेलाब है या अश्कों की बरसात है, वफादारी है या गद्दारी है, मिलन है या जुदाई है , क्या किसी पे मरने का नाम मोहब्बत है या किसी के लिए जीने का नाम ही चाहत है,

हमने उनसे कहा जिसमे अश्कों की बरसात के साथ खुशियों का सेलाब हो, मिलन के बाद फिर जुदाई हो, बेफवाई के बदले जहाँ वफाई हो, जिन्दा रह कर पर किसी पे मरने की  लालसा अगर जब दिल में आई हो, दिल में उठी बिन शर्त के इसी भावना का नाम ही है मोहब्बत इसी को कहते हैं  चाहत ।।। 

नेता प्यारे

देख इमारते ऊँची ऊँची इतराते हैं नेता प्यारे, देख आलिशान घर और मकान मुस्कुराते  हैं नेता न्यारे,देख व्यवसाय के गलियारों को  शान समझते हैं नेता सारे, पर एक छप्पर को तरसने वाली भूखी जनता क्यों उन्हें नहीं दिखती है, क्या इन रंगीनियों तक ही है सीमित देश या नेताओ की नज़रों में जनता की नहीं कोई गिनती है, एक वक्त की रोटी अपनों को देने के लिए जहाँ एक और कितनो की अस्मत लुटती है, नंगे बदन एक बालक को तपती धूप  में रख एक माँ पत्थर दिल पे रख कर कही मेहनत मजदूरी करती है, जीवन के जाने कितने संघर्षों से लडती हुई मजबूर जनता क्यों नहीं किसी को दिखती है, कहते हैं नेता सारे देश में मिटने लगी है गरीबी, दूर जाने लगी है अब तंग हाली और बेबसी, मिलने लगा है सबको रोज़गार, हर किसी को मिल चूका है अब पड़ने लिखने का अधिकार, पर सुन कर उनकी बाते आता है ख्याल दिल में क्या सच में वो देश की बात करते हैं, जो दिखता  नहीं  जनता-ऐ -आम को वो आखिर नेताओं को कैसे दिख जाता है, करते हैं बात वो इस जनता की या अपनी ही  हसीं दुनिया को सम्पूर्ण जहाँ समझ कर बदहाल हुई इस बेबस जनता को  खुशहाल जिसे  बतलाते हैं ये हमारे नेता प्यारे। 

Thursday 18 July 2013

tumhare jane ke baad uss jagah ko kaun bharega................kavita

ye mehalon mein rahne wale jhopadi mein rahne walon ko chhota samajhte hain, ye aasaman mein bulandi paane wale apne chaahane walon ko khud se kam samajhte hain, ye khud ko prasadhhi ke shikhar par pahuchaane wale unke jaise banne walon ko nakabil samajhte hain, ae mere mehalon mein rahne walo aur khud ko aasman tak pahuchaane walon, ae mere prasadhhi kee seedi chadne walon kabhi tum bhi to auron ki tarh yaha hi rahte the, tum bhi to kabhi inn jhopadon mein sote the, aasman chhoone ki lalak bhi kabhi tumme bhi auron ke jaisi hi thi, chahat prasdhhi ko gale lagane ki kabhi tumme bhi to un logon jaise hi thi, ae mere duniya jeetne walon tum bhi jara ye sun lo jab boond hi na hogi to sagar kaise banega, jab tail hi na hoga to deepak kaise chalega, agar koi peechhe na ho to aage kaun badega, jinhe kuch na samjhte ho aaj tum agar wo hi na hoga to kal tumhare jane ke baad uss jagah ko kaun bharega................

Wednesday 17 July 2013

हर जगह वो आज भी मुझे मिल जाती है- श्रधान्जली उसके लिए जो नहीं है अब दिल के सिवा इस दुनिया में



वो नहीं  है अब लेकिन हर कहीं वो आज भी मिल जाती है, बन के सितारा आसमान में चमकती है वो  फिर भी  धरती पे दिख जाती है,लोग कहते है मुझसे वो चली गयी  है दूर तुझसे इतना की न देख  सकोगे उसे फिर  जो रखते हो दिल में उससे मिलने की तमन्ना, कैसे समझाऊ लोगो को मैं मुझे तो हर किसी की  सूरत में बस छवि उसकी ही दिख जाती है, वो नहीं है  भले आज मेरे  साथ पर हर कही और हर जगह वो आज भी मुझे मिल जाती है। 


 श्रधान्जली उसके लिए जो नहीं है अब दिल के सिवा इस  दुनिया में 


पौराणिक कथा- भगवन बुध की एक सच्ची घटना भाग ३ (pauranik katha- bhagwan budh ki ek sachhi ghatna bhaag 3)


बहुत पुरानी बात है एक बार भगवान् बुध किसी गाँव में पहुचे तो वह एक स्त्री ने उन्हें अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित किया भगवन बुध मान गए और उसके घर भोजन हेतु जाने लगे किन्तु तभी समस्त गाँव वाले वहाँ एकत्रित हो गए और कहने लगे की भगवंत आप उसके घर कृपया भोजन न करे क्योंकि ये स्त्री चरित्रहीन है और यदि आपने इसके यहाँ भोजन किया अथवा आप इसके घर भी गए  तो आप भी अशुद्ध हो जायंगे,  उनकी बात सुन कर बुध बोले भीड़ में से केवल वो ही लोग निकल कर मेरे सामने आये जो कभी भी इस स्त्री के संपर्क में ना आये हो अथवा जो कभी खुद इस स्त्री के घर ना आये हो, उनकी बात सुन कर धीरे धीर लोग वहा से जाने लगे और भीड़ भी तितर बितर हो गयी, ये देख कर उस स्त्री ने भगवन बुध से कहा की प्रभु आपने तो मुझे धन्य कर दिया, उसकी बात सुन कर प्रभु बोले कोई भी व्यक्ति किसी कार्य के लिए अकेले ही अपराधी अथवा ज़िम्मेदार नहीं होता, व्यक्ति के कर्म और व्यवहार को उसके आस पास के लोगो और उनके द्वारा तैयार वातावरण इसका प्रमुख रूप से ज़िम्मेदार होता है। 







Tuesday 16 July 2013

beete lamhon ki yaadon ke saaye mein zindagi bhar khoye rahna hm chaahte hain....sad poetry..........


"kuch kehna hm chahte h kuch sunna tum chahte ho, kuch paana hm chahte h kuch khona tum chahte ho, jane ye kaisi duriya aa chuki h beech hmare, the karib kabhi beintehaa aaj hain juda ho chuke, par jane q aaj bhi paas tumhare hm h aana chahte h aur door  tum hmse jana chahte ho, faasle tum banana chaahte ho aur najdikiya hm badaana chaahte hain, tod kar har rishta pyaar ka juda tum humse hona chaahte ho aur toote huye inn rishton ke saath zindagi hm bitana chaahte hain, de kar daga mohabbat mein mujhe bewafa tum ban jaana chaahte ho aur hm beete lamhon ki yaadon ko dil mein samet kar zindagi bhar khoye unme  rahna hm chaahte hain...."


कुछ कहना तुम चाहते हो कुछ सुन्ना हम चाहते  हैं , कुछ  पाना  हम चाहते हैं कुछ खोना तुम चाहते हो ,जाने ये कैसी दूरिय आ चुकी है बीच हमारे , थे कभी करीब बैएन्तहा आज हैं जुदा हो चुके , पर जाने क्यों आज भी पास तुम्हारे हम आना चाहते हैं और दूर तुम हमसे जाना चाहते हो, फासले तुम बनाना चाहते हो और नजदीकिय हम बढाना चाहते हैं, तोड़ कर हर रिश्ता प्यार का जुदा तुम हमसे होना चाहते हो और टूटे हुए इन रिश्तो के साथ ज़िन्दगी हम बिताना चाहते हैं, दे कर दगा मोहब्बत में मुझे बेवफा तुम बन जाना चाहते हो और हम बीते लम्हों की यादों को दिल में समेत कर ज़िन्दगी भर खोये उनमे रहना चाहते हैं 

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Thanks and Regards
 *****Archana*****

Monday 15 July 2013

' अनहोनी घटनाएं भाग -३ ',

नस्मर दोस्तों आज हम फिर हाज़िर हैं अपने इस लेख जिसका शीर्षक है ' अनहोनी घटनाएं भाग -३ ',  दोस्तों हमारी ज़िन्दगी में कभी कभी ऐसा कुछ हो जाता है जिस पर पहले हमे कभी यकीं भी नहीं होता पर समय और हालत हमे उस पर यकीं करवा ही देते हैं हाँ ये बात और है की किसी और या दूसरो को इस  विषय में यकीं दिलाना थोडा मुश्किल होता है क्योंकि लोग इसका प्रमाण मांगते हैं और कुछ बातों को स्पष्ट करने का हमारे पास कोई प्रमाण नहीं होता  इसका अभिप्राय ये तो कदाचित नहीं की ऐसा हुआ ही नहीं है ये सब असत्य है। हमारा ये लेख इसी बात पे आधारित है और इसकी प्रमाणिकता अभी तक की ये है की  इसकी घटनाये जो भी अभी तक घटी है उन्हें हमने खुद सहा है और हम ही उन सबके गवाह है। 



दोस्तों आज की ये सच्ची कहानी फिर से हमारी ही है, दोस्तों जब हमने फैसला किया की अनहोनी घटनाओ पर आधारित सच्ची कहानिया हम आपके समक्ष ले कर आयेंगे और इस विषय पर हम निकल पड़े ऐसी ही सच्ची कहानियों को आप तक पहुचाने  के लिए उनकी खोज मे। दोस्तों कुछ ऐसी ही रोचक और असंभव सी दिखने वाली कई सच्ची घटनाये और उनसे जुडी कहानियां हमे मिली और हम बैठ गए लिखने उन्हें आप तक पहुचाने के लिए शायद ही आप यकीं करे हमने जैसे ही उन्हें लिखने की कोशिश की हम उन्हें लिख न सके कुछ न कुछ बुरा हमारे साथ होने लगा, फिर भी हम जिद पकड़ कर बैठ गए की उन्हें आप तक जरुर पहुचाएंगे, दोस्तों हमे खेद है की फ़िलहाल हम उन कहानियों को आप तक नहीं पंहुचा सकते क्योंकि अभी तक उन कहानियों के विषय में लिखने से हमारे साथ कुछ न कुछ अजीबोगरीब वाकिये होने लगते हैं, दोस्तों जब हमारा ये हाल है तो जरा सोचिये उनका क्या होगा जिन्होंने इसे अपने जीवन में जाने कितना सहा है। 


    दोस्तों मेरी एक सहेली है शिल्प (काल्पनिक नाम ) उसके साथ इन अनहोनी घटनाओ के तहत जो कुछ हुआ उसने हमे बताया और हमने उसे यहाँ इस लेख में लिख कर आप तक पहुचाने की कोशिश की पर हमारे साथ भी कुछ अजीब हादसे होने लगे, अचानक घर में किसी की छवि नज़र आने लगी जो एक पल में गायब हो जाती थी दरवाज़े पर किसी की दस्तक होती और दरवाज़ा खोलने पर कोई न होता, घर में परिवार वालों की शक्ल में कोई आता जबकि घर वाले कहते वो तो उस वक्त वह मौजूद ही नहीं थे,  ऐसे ही न जाने कितने हादसे हमारे साथ खुद होने लगे हमे ऐसा लगने लगा की कोई शक्ति है जो नहीं चाहती की उसके विषय में हम लिखे, वो नहीं  चाहती है की कोई उसके काम में हस्तछेप करे, दोस्तों मेरी सहेली इस वक्त बहुत दुखी है उसके साथ ये अनहोनी घटनाये अभी बंद नहीं हुई है यदि मेरे इस लेख को पड़ने के बाद आप उसकी कोई मदद कर सकते हों तो कृपया मुझे कमेंट के द्वारा बताये..




हार्दिक अभिनन्दन 
         अर्चु 



हर दफा दिल की सुनते हैं


 
लोग कहते है हम हर दफा दिल की सुनते हैं , बहुत जल्द हर शख्स को दिल में बसा लेते हैं,  हम चाहे हो जितने भी मजबूर पर दिल की गहराईयों में हर किसी को समां लेते हैं, इतनी मोहब्बत लुटाते हैं जहाँ में की दुश्मन को भी दोस्त बना लेते हैं, हमारी इसी बात पे तो सभी फ़िदा होते हैं, पर जाने क्यों हमारी इसी अदा से हमारे अज़ीज़ ही हमसे खफा रहते  हैं, लोगों को लाते हैं हम करीब दूरिय दिलों की मिटाने के लिए पर जो है इस दिल के सबसे करीब जाने क्यों वो ही हमसे हर दफा दूर जाने लगते है।

Saturday 13 July 2013

मोमोस

"मत दिलाओ याद बता के मोमोस की बात, उनसे हुई वो हसीं मुलाकात जब बैठ  मोमोस खाते थे एक साथ  और होते थे हाथों में हमारे  फ्रूट बीअर के वो दो  ग्लास, वक्त के साथ सब कुछ कैसे बदल गया, कभी किया था वादा मोमोस साथ खाने का आज एक पल में तोड़ दिया,कहते थे कभी तुम  जितना भी रहे  दूर लेकिन  मोमोस खाने के लिए मिलते रहेंगे हम, फ्रूट बीअर भी साथ पिया करेंगे हम, फ्रूट बीअर और मोमोस के साथ हर लम्हा जिया करेंगे हम, आज इस कदर दूर  क्यों हो गए हम, खाते थे कभी दिल्ली हाट में मोमोस एक साथ जो हम और आज  खाते हैं अकेले  मोमोस और तीखी चटनी के चक्तारे लेते हुए  और सूप की अकेली पड़ी प्याली को देखते हैं हम  तो   याद करके वो बीते हुए लम्हे  बस  ये ही कहते  हैं जाने कहाँ गयी वो रंगीन शाम और कहाँ गए वो हसीं दिन"

श्री कृष्णा का नाम भी बिन राधा के अधूरा होता"

"किसी से मिलन के अहसास का नाम ही अगर मोहब्बत होता तो भगवन श्री कृष्णा का नाम भी बिन राधा के अधूरा होता"

Thursday 11 July 2013

जी चाहता है




तुझसे मिलने को जी चाहता है, तेरे दिल में बसने को जी चाहता है, गुजारु  कोई लम्हा संग तेरे उस शाम के आने का  दिल चाहता है, आ कर तेरी बाहों में टूट कर यु  बिखर जाने को जी चाहता है, तेरी साँसों से हो कर तेरे दिल में उतर जाने को जी चाहता है, तेरे प्यार में खुद को भुला देने को जी चाहता है, तेरी नज़रो में नहीं तेरे दिल की धडकनों में समां जाने को जी चाहता है, और क्या बताऊ तुझे मैं तुझसे दूर नहीं बस तेरे करीब रहने को जी चाहता है, रह नहीं सकते कभी बिन तेरे हम इसलिए बस इतना सा ही दिल ये मेरा चाहता है की  तेरी आघोष में ही उस गहरी नींद में सो जाने को जी चाहता है, जुदा तुझसे होने से पहले ही तेरी गोद में सर रख कर इस दुनिया से विदा होने को जी चाहता है। 

Wednesday 10 July 2013

chahat nahi hai ab kahi dikhti....

Sachhi chahat karne walo ko sachhi aashiki nhi milti, sachhi aashiki karne walo ko sachhi mohbbat nahi milti, sachhi mohbbat krne walo ko wafadaari nahi milti, wafa karne walon ko sachhi mohabbat nahi milti,  Jo agr mil jaye kisi ko uski chahat ke badle chahat, mil jaye agr kisi ko mohbbat ke badle mohabbat tab aage baat bdane ki himmat nhi hoti, mil jaye agr himmat bhi aur btaye baat dil ki jab mummy ko tab sun kar ye mohbbat ka afsana tabiyat unki nhi khilti, jo khil jaye agr tabiyat unki bhi to papa se baat nahi banti, jo ban jaye agr baat bhi papa se aisi kismat nhi milti, jo agr mil jaye kismat bhi aisi, pa jaye apni chahat aisi chahi thi  khwaabo me jaisi par fir wo pahle wali baat nahi banti, barso baras ke intezaar ke baad milan ki aas dil mein liye anekon khwaab dil mein liye jab badte hain aage tab jaane kyon is dil ki nahi chalti, jo chal jaaye agar is dil ki to jaane kyon unse hai doori aane lagti,  doori jo kam karna chaaho fir bhi jaane kyon unse hi ye aur bhi  badne lagti,  chal jaye agr in dooriyon ke baad bhi ye zindagi, rah jaaye wo khaamoshiyon ke baad bhi agar saath bhi, saath ho kar bhi hamnasin saath nahi, pyaar ho kar bhi ek doosre se paas nahi,sachhi  chaahat karne walon ki sachhi aashiki nahi milti kyonki ab mohabbat karne walon mein wo laila majnu wali chaahat kahan hai dikhti, aaj pyaar bana hai vyaapar tabhi ab isme mohabbat pe fana hone ki kisi ki hasrat nahi hai milti...


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Thanks and Regards
 *****Archana*****

romantic poem- mera dilbar mera hamnasin....




Dhundti hai jise nazre meri intezar me jiske har ghadi  hoga wo inn hawao me chhipa kahi, dhundti hai jise mere dil ki dhadkan har ghadi rehta hoga wo iss jahaan mein yahi kahi, karti hain intezar meri saanse jiski saanso se mil jane ka hoga wo kahi to kisi aangan me mera hamnasin, hoga usse bhi  intezar milne ka hmse shayad kahi, dekhta hoga hme hi wo har gali aur har raste, dhoondti houngi uski nazare bhi mujhe har pal aur ghadi, karke koi yaad dil me meri chhavi mand mand muskata hoga, kahi to hoga wo jo dilbar sirf hmara hoga,
     Din beete mahine beete aur beet gaye saalo saal par nahi aaya wo mere paas jisko kiya hmne har pal yaad, dhundti rahi meri ankhiya rah me jiski palke bichhaye, jiska kiya umar bhar intezaar bas wo hi na hmse milne aaye,


 jeevan ki aakhiri dor chhutti ab jati hai aankhe ab usse dhundti aur dil se bas ye hi aawaz aati hai aa jaye ab to wo le kar apni baho mein  mujhe mere duniya ko vida kehne se pahle, wo ab to keh de sadiyon se ek tum hi to bas meri ho aur mai bhi sirf tumhara hoon, karta hoon itni mohbbat tumse ki bin tumhare adhura hoon, waqt ke haatho bebas tha mai jo mil na saka tumse kabhi par aaj jo mila tumse tum dur mujhse jane lagi, na jao tum mujhe ab akela yu  chhod ke kyon ki tum bin main kahan pura hu, 

dhundti hain nazre meri jise har ghadi  chhipa hoga wo is hawa ke jhonkon mein kahi, dhundta hai jise mera ye pagal man chhipa hoga wo is fiza mein kahi, 
  jaate jaate yaha se, lete huye vida is jahan se kahta hai aaj bhi ye dil mera kaash ab to mil jaaye kahi mujhe wo mera dilbar mera hamnasin.... 

 

Thanks & Regards
Archu