Wednesday 24 July 2013

मेरी चाहत को देख कर डरते हैं वो

मेरी चाहत को देख कर डरते हैं वो की कहीं बिन उनके ना मर जाए हम, कहते हैं वो की नहीं हो सकते हम कभी तुम्हारे लेकिन डरते हैं वो की कही कोई गलत कदम ना उठा जाए हम,  नादान है वो जो सोचते हैं ऐसा, वो नहीं जानते की मौत को भी उनके लिए ही गले  लगाया जाता है जिनके साथ कभी ज़िन्दगी जीने का ख्वाब देखा जाता है, उन्होंने तो हमेशा मझधार में ही हमे अकेला छोड़ा है, बन के साथी कुछ दूर तक चले  फिर तनहा छोड़ा है, 


है पता हमे भी की नहीं हो सकते वो कभी हमारे पर हम भी नादान तो नहीं की ये जानते हुए भी एक खुदगर्ज़ से मोहब्बत की है हमने, जिसकी झूठी बातों पर भी ऐतबार किया है हमने, लेकिन इतने भी नादाँ हम भी नहीं की जिसे क़द्र नहीं मेरी मोहब्बत की दे दें जान उस शख्स के लिए, जिसने नहीं समझा कभी हमे अपने काबिल दे दें अपनी ये जान उस आशिक-ऐ-नाकाबिल के लिए, बेवज़ह डरते हैं वो की न मर जाए हम उनके लिए, कभी जीने नहीं दिया जिसने हमे अपने लिए कैसे मर जाए हम उसके लिए, मौत भी सताय्गी हमे जो ऐसा कुछ हम कर गए, जी न सके जिसके  लिए उसके लिए मर गए, मौत भी कहेगी हमसे मरना था  तो उसके लिए मरते जो तुम्ही से मोहब्बत  सिर्फ  करते, और जो करते  सिर्फ मोहब्बत तुमसे वो कभी  तुम्हे यु ही न मरने देते,



देख मेरी चाहत को  वो बेवज़ह यु ही डरते हैं, हाँ ये सच है की जीते जी हम उन्ही पर मरते हैं, नहीं हो सकते किसी और के क्यों की हम तो उनकी रुसवाइयों के बाद भी उन्ही से ही मोहब्बत हैं करते, लेकिन जिसे नहीं परवाह मेरी चाहत की उसके लिए हम भी अपनी जान यु ही  तो नहीं दे हैं सक्ते …


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