Sunday 18 May 2014

मेरी कवितायें

1*"उनके लिए ये पेगाम भेजा है, कागज कलाम से नई अश्को की स्याही से दिल की दीवारो पे उनका नाम लिखा है"

 
2*"आए खुदा मुझे ज़्यादा कुछ तुम ना देना, है फरियाद  बस इतनी सी, मेरे जाने के बाद ज़हां से मेरे मुल्क के किसी कोने में मेरी कबर के लिए बस दो गज़ ज़मीन दिला देना"



3*""ज़िंदगी गुज़ार दी हमने शोहरट बटोरते-बटोरते, ज़िंदगी गुज़र दी हमने दौलत के पिछे, ज़मीन से फलक तक चमता था बस एक सितारा जिस पर लिखा होता था सिर्फ़ नाम हमारा,
बड़ी बहराम ये दुनिया, कहते हैं जीते जी नही मिलता एक आशियाना इस जहाँ में पर इस जहाँ ने  जीते जी तो मुझे पॅल्को पे बिताया मरने पर दो गज़ ज़मीन भी किसी ने ना हमे दी"



4*तू जो हाँ करे तो इंतेहा-ए-मोहब्बत कर दू, ये दिन और रात तेरे नाम कर दू, ज़मीन क्या चीज़ है ये फलक तेरे नाम कर दू, यकीन ना आए तुझे तो तेरी आँखो के काजल से ये ग़ज़ल लिख दू, तू जो हाँ करे तो इंतेहाँ-ए -मोहब्बत कर दू..



5*"मैं एक खुली किताब हूँ, मैं ही खुद में ही एक सवाल और जवाब हूँ, कोशिश करते है लोग  पड़ने की मुझे हर दफ़ा, कोशिश करते है लोग मुझे समझने की हर दफ़ा, पर सबके लिए एक अनसुलझी पहेली हूँ, है मुझमे अनेको पन्ने पर कितनी खुदमे बहुत अकेली हूँ, अपने ही सवालो के साथ किसी और की नही अपनी ही सहेली हूँ, मैं एक खुली किताब हूँ"







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