Monday 5 May 2014

हर शख्स ने मुझे तनहा छोड़ा है

हर शख्स ने मुझसे मुह मोड़ा है, हर किसी ने मुझे यु छोड़ा है, करा वादा सभी ने सदा साथ निभाने का, 

पर हर शख्स ने मुझे तनहा छोड़ा है, हाथ थाम कर चला हर कोई कुछ दूर तक संग मेरे फिर बीच मझधार में मुझे ला कर छोड़ा है, 

दोष दू तो किसे दू, आखिर मेरे नसीब में ही ये सब लिखा है, होते है ज़माने में कुछ भले भी लोग पर कैसे मानु मैं ये क्योंकि मुझे तो हर शख्स ने उस शैतान के भरोसे ही यहाँ  छोड़ा है, 

मिला नहीं मुझे कोई मेरे दुःख को कम करने वाला, और जिसने पूछा मेरे दिल का गम उसीने मुझे हैवानो के पास छोड़ डाला, 

अपना बन कर आया हर कोई करीब मेरे फिर करके तबाह मेरी ज़िन्दगी उसने भी मुझे खुदसे है दूर कर डाला, 

पर दोष किसी का नहीं मेरे नसीब का है शायद ला कर चौखट पर हर ख़ुशी मेरी हर शख्स ने मुझसे मुह मोड़ा है, 

हर किसी ने मुझे यु छोड़ा है, करा वादा सभी ने सदा साथ निभाने का, पर हर शख्स ने मुझे तनहा छोड़ा है, 

हर शख्स ने मुझे तनहा छोड़ा है

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