ईश्वर कहते है ईश्वर्िय ज्ञान एवं ईश्वरिया बाते केवल धार्मिक पुस्तको तक ही सीमित नही है, ये तो केवल उनकी समस्त बातो एवं ग्यान के सार के सार का ब एक अति लघु रूप है, ईश्वर कहते हैं यदि मानव इनका ही पालन करले तब भी मानव का कल्याण होगा क्यू की मानव क लिए इनका पालन करना ही मुश्किल है तो ईश्वर की विस्तृत बातो पर अमल करना तो असंभव है, ईश्वर कहते है मानव ने अपनी इच्छा अनुसार उनकी बातो एवं शिक्षाओ मे बदलाओ करके अपनी सुविधाओ के अनुसार नियम और परंपराए बनाई जिनमे फस कर खुद मानव मानव का शोषण कर रहा है, मानव समस्त प्रथवी एवम प्राणी जगत को नुकसान पहुचा रहा है, ईश्वर कहते है उनकी बाते कभी किसी को नुकसान पहुचने वाली नही हो सकती, उनकी दृष्टि मे सभी प्राणी एक समान है"
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Wednesday 21 May 2014
ईश्वर वाणी-56
ईश्वर कहते है ईश्वर्िय ज्ञान एवं ईश्वरिया बाते केवल धार्मिक पुस्तको तक ही सीमित नही है, ये तो केवल उनकी समस्त बातो एवं ग्यान के सार के सार का ब एक अति लघु रूप है, ईश्वर कहते हैं यदि मानव इनका ही पालन करले तब भी मानव का कल्याण होगा क्यू की मानव क लिए इनका पालन करना ही मुश्किल है तो ईश्वर की विस्तृत बातो पर अमल करना तो असंभव है, ईश्वर कहते है मानव ने अपनी इच्छा अनुसार उनकी बातो एवं शिक्षाओ मे बदलाओ करके अपनी सुविधाओ के अनुसार नियम और परंपराए बनाई जिनमे फस कर खुद मानव मानव का शोषण कर रहा है, मानव समस्त प्रथवी एवम प्राणी जगत को नुकसान पहुचा रहा है, ईश्वर कहते है उनकी बाते कभी किसी को नुकसान पहुचने वाली नही हो सकती, उनकी दृष्टि मे सभी प्राणी एक समान है"
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