Monday 9 March 2020

ईश्वर वाणी-281, पारलौकिक दुनियां



ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों जैसे पृथ्वी पर अनेक जलचर, थलचर व आकाश में उड़ने वाले प्राणी है व उनकी अपनी एक अलग दुनिया है ठीक वैसे ही एक दुनियां भौतिक देह त्याग चुकी आत्माओ की भी है।

जैसे सागर की गहराई में अनेक प्रकार के जीव रहते हैं, ये सागर ही उनका घर है, अगर उन्हें सागर से निकाल दिया जाए तो वो मर जाते हैं, ठीक वैसे ही थलचर जीवो को अगर सागर की गहराई में भेज दिया जाए तो वो जी नही सकते, कारण दोनों की अपनी अपनी अलग दुनिया के निवासी हैं और अपनी ही दुनिया के लिए बने हैं।

ठीक वैसे ही जीव-आत्माओ की भी दुनिया है, वहाँ भी यहाँ की भांति अच्छी बुरी जीवात्मायें रहती है, यधपि कुछ आत्माएं जो अपने परिवार या अपने किसी प्रिये के जीवित रहते करीब होती है मृत्यु के बाद भी कोशिश करते हैं उनके करीब रहे, उन्हें अहसास दिलाये की भले शरीर न सही पर अब वो उनके साथ है यधपि वो अब इस भौतिक जगत की निवासी नही रही।

कुछ व्यक्ति आधुनिकता के नाम पर उस पारलौकिक दुनिया पर भरोसा न करके उसका उपहास करते हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि उनके अपने कर्म जो पिछले जन्म और इस जन्म के ऐसे  नही रहे जो उन्हें उस सत्य से अवगत कराएं जो परम है, सत्य वो नही जो दिखता है, सत्य वो है जो दिखता नही पर होता है।

हे मनुष्यों आध्यात्म से जुडो ताकि तुम्हे भी उस परमकी प्राप्ति हो जो सत्य है जिससे तुम्हारी आत्मा का पूर्ण विकास हो उसका कल्याण हो।"

कल्याण हो

Sunday 8 March 2020

Romantic shayri-hindi


हम तो हर पल तुम्हें याद करते हैं
कैसे बताये तुमसे कितना प्यार करते हैं
तन्हा है बहुत तुमसे दूर रह कर अब
रब से तुमसे मिलने की फरियाद करते हैं

दर्द भरी शायरी-हिंदी

गम छिपा सबसे झूठे ही मुस्कुराते है
बेदर्द दुनिया से अपने ज़ख़्म छिपाते है
हम खुश हैं इस महफ़िल में बहुत
अश्क़ छिपा सबको यही हम बताते हैं

अपना बना लोग यहाँ फिर रुलाते है
वफ़ा की बात कह दगा लोग कर जाते हैं
किसे अपना कहे 'मीठी-खुशी' यहाँ अब
मरहम बता चोट पर लोग तेजाब गिरा जाते हैं

Wednesday 4 March 2020

Romantic shayri

उफ्फ ये भोलापन ये मासूम अदा
देख तुझे तझपे है दिल मेरा फिदा
आजा अब न और तड़पा ए ज़िंदगी
न रह सकूँगा होके अब तुझसे जुदा


Monday 2 March 2020

तन्हा शायरी-हिंदी

ऐ ज़िंदगी तू रुलाती बहुत है
ऐ ज़िन्दगी तू सताती बहुत है
देती है ज़ख़्म पग-पग मुझे तू
ऐ ज़िंदगी क्यों तू तड़पाती बहुत है

खुशी के ख्वाब भी दिखाती बहुत है
फिर अश्क़ भी इतने बहाती बहुत है
तुझे समझने की कोशिश बहुत की
ऐ ज़िंदगी क्यों तू तड़पाती बहुत है

मिला कर किसी को दूर ले जाती बहुत है
फिर भी झूठी आस तू दिखाती बहुत है
बैठ अकेले में सोचती हैं 'मीठी-खुशी'
ऐ ज़िन्दगी क्यों तू तड़पाती बहुत है

Romantic shayri-hindi

आपके इतंज़ार में तड़पता है दिल मेरा
आपके लिए ही बेकरार है ये दिल मेरा
कैसे समझाऊ इस नादाँ दिल को में
आपको ही याद करता है ये दिल मेरा

Thursday 27 February 2020

रोमांटिक शायरी-हिंदी

"कुछ ऐसे मुझे दिल मे बसा लो
जरूरत नही मुझे अपनी आदत बना लो"