Thursday 11 February 2021

शायरी

" ज़िंदगी छोटी है पर काम बहुत है

मंज़िल को पाने में इम्तिहाँ बहुत है"

Wednesday 13 January 2021

दर्द भरी शायरी

 "तुमसे दूर हो जाये कैसे

जुदा तुमसे हो जाये कैसे

रूह में बस गए हो तुम

इस रिश्ते को भुलाये कैसे"

Friday 8 January 2021

दर्द भरी शायरी



"हूँ खुद से यु बेख़बर


की खुदमें "में" हूँ नही


साँसे तो है मुझ मे


पर मुझमे "में" नही"



 

Saturday 26 December 2020

मेरी कविता-दर्द भरी

 अपने ही ये साये हमें डराने लगें है

खुद से ही अब हम दूर जाने लगे हैं
हर खवाइश खत्म हो चुकी ज़िंदगी की
अब तो मौत को करीब बुलाने लगे हैं


ये काले साये अब लुभाने लगे हैं
देखो इनसे हम दिल लगाने लगे हैं
झूठी और फरेबी लगती है दुनिया 
साये ये इस तरह मुझे अपनाने लगे हैं

देखो अब दुनिया से हम दूर जाने लगे हैं
नई दुनियां के लोग पुराने बुलाने लगे हैं
बहुत सुकूँ और "मीठी-खुशी" मिलती वहाँ
तभी गीत ये नए उनके हम गाने लगे हैं

दर्द भरी शायरी

 टूट कर ऐसे बिखरे की

सबसे जीते पर खुदसे हार गए हम

दर्द भरी शायरी


 

दर्द भरी शायरी