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Friday, 23 December 2011
Tuesday, 13 December 2011
chali gayi tum mujse dur
Q suni kar k zindagi meri chali gayi tum mujse dur, q de kar dard judai ka chali gayi mujse dur, kya ki maine khata aaj muje tu ye to bta, hai kya wazah jiski di tune muje ye saza, q muje tadapta chhod chali gayi tum mujse dur.....
Monday, 12 December 2011
Khush hu bahut
Khush hu bahut mai tumhe pa kr, na hogi koi khata tumhe aajma kr, basti h tmhari hi ek surat dil me mere dur tumse rahkar, na chale jana tum kabi mera sheesha samjh k dil tod kr, mil pao na muje tum kabi, koi shikwa nhi krenge tumse bs ye vinti h, "dil me apne na kabi km hone dena ye pyar, na bhula dena muje mujhse kabi ruth kr, na chhod jana mujhe kabhi yu tadapta chhod kr"..
Saturday, 10 December 2011
rab ko raham aaya
Meri chahat pe rab ko raham aaya, jo tha naamumkin usse mumkin bnaya, tha ek khwaab jo unse ek chhoti c mulaqat ka, rab wo waqt meri zindgi me aakhir le hi aaya..
Wednesday, 7 December 2011
नेट फ्रेंड(Net Friend Artical)
हेल्लो दोस्तों, आज मेरा आर्टिकल जिसका शीर्षक है नेट फ्रेंड के बारे में हैं, इससे पहले भी मैंने एक ऐसा ही आर्टिकल लिखा था जिसमे नेट पे मिलने वाले आशिको के बारे में लिखा था, पर मेरा ये आर्टिकल उससे थोडा अलग है और उन् लोगों के लिए है जो नेट पे मिलने वाले ऐसे दिल फेक आशिकों के जाल में आसानी से फस जाते हैं !
हमारे पहली कहानी है शिखा ( बदला हुआ नाम) अजमेर की, शिखा बताती हैं की अपने बॉय फ्रेंड से नाराज़ होने पे वो अपने लिए एक नया बॉय फ्रेंड ढून्ढ रही थी, इसके लिए उन्हें सबसे आसन तरीका लगा नेट, वो नेट पे अलग अलग sites पे अपने लिए लड़का ढूँढने लगी, उन्हें एक लड़का मिला, जो की पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसी शहर से था, पर किसी अरेबियन देश में काम करता था, उसकी बाते शिखा को लुभावनी लगी, कुछ दिन बाद दोनों ने एक दुसरे के फ़ोन नुम्बेर्स भे शेयर कर लिए, फिर फ़ोन पे उनकी बात होने लगी, बात शादी तक होने लगी दोनों की, पर शिखा ने शादी की बात होने से पहले उस लड़के के बारे में एक बार enquiry करने का फैसला किया, उसने अपनी एक फ्रेंड को उसका ईमेल आई दी दिया, और बात ही बात में उसके बारे में जान्ने को कहा, उसकी फ्रेंड ने सिर्फ दो दिन में ही उस लड़के की हकीकत उसके सामने रख दी, की वो लड़का तो हर लडकी के साथ ऐसे ही करता है, नेट पे दोस्ती करना, लडकी पटना, झूठे शादी के वादे कर के उससे इस्तेमाल कर के चले जाना, ये तो आम बात है उसके लिए, शिखा खुद को खुशनसीब मानती है की उनके साथ ऐसा कुछ होने से पहले ही उन्हें सछ पता चल गया, उससे मिलने से पहले ही उस लड़के ही हकीकत उन्हें पता चल गयी, पर हर कोई उनकी तरह खुशनसीब नही होता,
हमारी दूसरी कहानी है विजेता (मुंबई) की, इनकी कहानी भी कुछ हद तक शिखा जैसी ही है, विजेता बताती है की इनका ब्रेक उप हो गया जब इनके बॉय फ्रेंड से तो ये काफी टेंस हो गयी, तब इनकी एक नेट फ्रेंड ने अपने ही एक दोस्त से नेट पर ही उनकी दोस्ती करवाई, कुछ दिन साधारण सी बात हुई, फिर उस लड़के ने विजेता को prpose किया, विजेता ने उसे मन कर दिया, पर जब उसकी नेट फ्रेंड ने जिनसे उनकी दोस्ती करवाई थी, उसे एक बार मौका देने को कहा और कहा की वो उसकी gaurantee लेती है की वो और लडको की तरह नही है, वो उसे शादी करेगा, वो बहुत अच्छा लड़का है, विजेता ने सोचा एक लडकी दूसरी लडकी का बुरा नही सोच सकती, उसने उसकी बात पे भरोसा कर के उस लड़के का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया, कुछ दिन तो सब ठीक रहा, वो विजेता के सामने एक शरीफ लड़के होने का नाटक करता रहा, दिखता रहा की वो उसके एक्स बॉय फ्रेंड से बहुत अच्छा है, पर ये सब उसकी सिर्फ एक चाल थी, वो सिर्फ उससे इस्तेमाल करना चाहता था, एक दिन मौका पा कर वो उसे अपने एक दोस्त के घर ले गया, जहाँ उसने विजेता के साथ सेक्स किया, विजेता को ना चाहते हुए भी ऐसा करना पड़ा, उस लड़के ने उससे विश्वास दिलवाया की वो उससे शादी करेगा, इसके बाद शादी का वादा कर के उसने विजेता के साथ जाने कितनी बार और अलग अलग जगह पर ले जा कर सेक्स किया, फिर एक दिन उसे रिश्ता ख़त्म कर दिया ये कह कर की उसके घर वाले इस रिश्ते के लिए कभी तैयार नही होंगे, जो कुछ भी हुआ उसे भूल जाओ ! कितनी आसानी से उस लड़के ने विजेता को इस्तेमाल कर के अपनी जिंदगी से निकल दिया,
दोस्तों मेरी तीसरी कहानी है पूजा ( बदला हुआ नाम ) हरियाणा की, पूजा को अपने ऑफिस के काम से अकेले देहरादून जाना था, उन्होंने इसका जिक्र अपने एक नेट पे मिलने वाले एक दोस्त से किया, अक्सर दोनों की बाते होती रहती थी नेट पे, पूजा उसे अपनी सबी प्रोब्लेम्स शेयर करती थी, जिस दिन पूजा देहरादून जाने वाली थी, उस लड़के ने भी देहरादून जाने की ख्वाइश जाहिर की उनके साथ, चूंकि पूजा का reservation था ट्रेन में, उस लड़के का नही था फिर भी एक वेटिंग का टिकेट ले कर वो उनके साथ देहरादून जाने को तैयार हो गया, तय हुआ की दोनों एक ही सीट शेयर करेंगे ट्रेन में, फिर दोनों एक साथ देहरादून चल दिए, पूजा बताती है की रात का ट्रेन में खाना खाने के बाद जब वो अपनी सीट पे लेट गयी तो वो लड़का भी उनके पास आ कर लेट गया, उन्होंने सोचा की जगह कम है इसलिए लेता है, पर फिर उसने उनके साथ छेड़ छाड़ शुरू कर दी, वो कुछ कह भी नही पा रही थी क्यों की ट्रेन में बदनामी का दर था, और लोग उन्हें पति पत्नी समझ रहे थे, पर किसी तरह से वो उससे दूर हो कर एक अलग सीट पे जा के लेट गयी, रात को गुज़र गयी पर जब सुबह वो देहरादून पहुची तो उन्हें एक होटल चाहिए था, वो लड़का अब उनके साथ था, और रात के लिए माफ़ी मांग रहा था, उस पे भरोसा कर के पूजा उसे अपने साथ होटल में ले गयी, पूजा काफी थका हुआ मेसूस कर रही थी इसलिए फ्रेश हो कर लेट गयी, पर वह भी उस लड़के ने मौका पा कर उनके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की, पूजा वह से किसी तरह बच के निकल गयी !
दोस्तों मेरी अगली कहानी है दीपक (बदला नाम) आगरा की, दीपक की दोस्ती नेट पे एक लडकी (बनारस) से हुई, दोनों ने फ़ोन नुम्बेर्स एक दुसरे के शेयर करे, दोनों घंटो तक एक दुसरे से बात करते रहते थे, कुछ दिन बाद दोनों की ये दोस्ती प्यार में बदल गयी, पर कुछ दिन बाद दीपक जब भी उसे फ़ोन करता उसका फ़ोन बंद रहता, ना वो चेट पे आती और ना फ़ोन पे उसे कोई संपर्क हो पा रहा था, दीपक को बहुत टेंशन हो रही थी की आखिर बात क्या हो गयी है, कुछ दिन बाद उसकी एक सहेली ने फ़ोन कर के दीपक हो बताया की उसकी दोस्त की तबियत बहुत ख़राब है, शायद वो बच ना सके, उसके इलाज़ में बहुत खर्चा आयगा, दीपक हो बहुत गहरा धक्का लगा, वो बनारस आ कर उससे मिलना चाहता था, पर उसके सहेली ने वह ना आने को कहा, और उससे पैसे मांगे उसके इलाज़ के लिए, प्यार में अंधे हुए दीपक को कुछ नज़र नही आया, और उसने १००० रुपया उसे भेज दिए, फिर अपनी बीमारी का बहाना कर के उस लडकी ने उसे करीब ८००० रपये ठग लिए, दीपक को उस लडकी की हकीकत का पता तब चला जब उसने एक दिन उस लडकी का आई दी हैक कर लिए, और वह उसने उसकी chat चेक करी, अपने फ्रेंड बन कर दर असल वो ही आवाज़ बदल कर दीपक से पैसे मांगती थी, ये ही उसका काम था, पता नही कितनो को ऐसे ही चूना लगा चुकी थी, जांच करने पे पता चला की कई लोगो से शादी कर के वहा के लोगो का विश्वास जीत के लाखो का सामन ले कर वो रफूचक्कर हो चुकी थी.
सो मेरे प्यारे दोस्तों ये उन लोगो की कहानी है जो हमे अक्सर नेट पे मिल जाते हैं, प्यारे दोस्तों हम आपसे ये नही कहते की आप किसी से दोस्ती मत करो, पर किसी पे जरूरत से ज्यादा भरोसा मत करो, और नेट पे मिलने वाले आशिको से बच के रहो.........बाकी तो आप खुद ही समझदार हैं.................
हमारे पहली कहानी है शिखा ( बदला हुआ नाम) अजमेर की, शिखा बताती हैं की अपने बॉय फ्रेंड से नाराज़ होने पे वो अपने लिए एक नया बॉय फ्रेंड ढून्ढ रही थी, इसके लिए उन्हें सबसे आसन तरीका लगा नेट, वो नेट पे अलग अलग sites पे अपने लिए लड़का ढूँढने लगी, उन्हें एक लड़का मिला, जो की पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसी शहर से था, पर किसी अरेबियन देश में काम करता था, उसकी बाते शिखा को लुभावनी लगी, कुछ दिन बाद दोनों ने एक दुसरे के फ़ोन नुम्बेर्स भे शेयर कर लिए, फिर फ़ोन पे उनकी बात होने लगी, बात शादी तक होने लगी दोनों की, पर शिखा ने शादी की बात होने से पहले उस लड़के के बारे में एक बार enquiry करने का फैसला किया, उसने अपनी एक फ्रेंड को उसका ईमेल आई दी दिया, और बात ही बात में उसके बारे में जान्ने को कहा, उसकी फ्रेंड ने सिर्फ दो दिन में ही उस लड़के की हकीकत उसके सामने रख दी, की वो लड़का तो हर लडकी के साथ ऐसे ही करता है, नेट पे दोस्ती करना, लडकी पटना, झूठे शादी के वादे कर के उससे इस्तेमाल कर के चले जाना, ये तो आम बात है उसके लिए, शिखा खुद को खुशनसीब मानती है की उनके साथ ऐसा कुछ होने से पहले ही उन्हें सछ पता चल गया, उससे मिलने से पहले ही उस लड़के ही हकीकत उन्हें पता चल गयी, पर हर कोई उनकी तरह खुशनसीब नही होता,
हमारी दूसरी कहानी है विजेता (मुंबई) की, इनकी कहानी भी कुछ हद तक शिखा जैसी ही है, विजेता बताती है की इनका ब्रेक उप हो गया जब इनके बॉय फ्रेंड से तो ये काफी टेंस हो गयी, तब इनकी एक नेट फ्रेंड ने अपने ही एक दोस्त से नेट पर ही उनकी दोस्ती करवाई, कुछ दिन साधारण सी बात हुई, फिर उस लड़के ने विजेता को prpose किया, विजेता ने उसे मन कर दिया, पर जब उसकी नेट फ्रेंड ने जिनसे उनकी दोस्ती करवाई थी, उसे एक बार मौका देने को कहा और कहा की वो उसकी gaurantee लेती है की वो और लडको की तरह नही है, वो उसे शादी करेगा, वो बहुत अच्छा लड़का है, विजेता ने सोचा एक लडकी दूसरी लडकी का बुरा नही सोच सकती, उसने उसकी बात पे भरोसा कर के उस लड़के का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया, कुछ दिन तो सब ठीक रहा, वो विजेता के सामने एक शरीफ लड़के होने का नाटक करता रहा, दिखता रहा की वो उसके एक्स बॉय फ्रेंड से बहुत अच्छा है, पर ये सब उसकी सिर्फ एक चाल थी, वो सिर्फ उससे इस्तेमाल करना चाहता था, एक दिन मौका पा कर वो उसे अपने एक दोस्त के घर ले गया, जहाँ उसने विजेता के साथ सेक्स किया, विजेता को ना चाहते हुए भी ऐसा करना पड़ा, उस लड़के ने उससे विश्वास दिलवाया की वो उससे शादी करेगा, इसके बाद शादी का वादा कर के उसने विजेता के साथ जाने कितनी बार और अलग अलग जगह पर ले जा कर सेक्स किया, फिर एक दिन उसे रिश्ता ख़त्म कर दिया ये कह कर की उसके घर वाले इस रिश्ते के लिए कभी तैयार नही होंगे, जो कुछ भी हुआ उसे भूल जाओ ! कितनी आसानी से उस लड़के ने विजेता को इस्तेमाल कर के अपनी जिंदगी से निकल दिया,
दोस्तों मेरी तीसरी कहानी है पूजा ( बदला हुआ नाम ) हरियाणा की, पूजा को अपने ऑफिस के काम से अकेले देहरादून जाना था, उन्होंने इसका जिक्र अपने एक नेट पे मिलने वाले एक दोस्त से किया, अक्सर दोनों की बाते होती रहती थी नेट पे, पूजा उसे अपनी सबी प्रोब्लेम्स शेयर करती थी, जिस दिन पूजा देहरादून जाने वाली थी, उस लड़के ने भी देहरादून जाने की ख्वाइश जाहिर की उनके साथ, चूंकि पूजा का reservation था ट्रेन में, उस लड़के का नही था फिर भी एक वेटिंग का टिकेट ले कर वो उनके साथ देहरादून जाने को तैयार हो गया, तय हुआ की दोनों एक ही सीट शेयर करेंगे ट्रेन में, फिर दोनों एक साथ देहरादून चल दिए, पूजा बताती है की रात का ट्रेन में खाना खाने के बाद जब वो अपनी सीट पे लेट गयी तो वो लड़का भी उनके पास आ कर लेट गया, उन्होंने सोचा की जगह कम है इसलिए लेता है, पर फिर उसने उनके साथ छेड़ छाड़ शुरू कर दी, वो कुछ कह भी नही पा रही थी क्यों की ट्रेन में बदनामी का दर था, और लोग उन्हें पति पत्नी समझ रहे थे, पर किसी तरह से वो उससे दूर हो कर एक अलग सीट पे जा के लेट गयी, रात को गुज़र गयी पर जब सुबह वो देहरादून पहुची तो उन्हें एक होटल चाहिए था, वो लड़का अब उनके साथ था, और रात के लिए माफ़ी मांग रहा था, उस पे भरोसा कर के पूजा उसे अपने साथ होटल में ले गयी, पूजा काफी थका हुआ मेसूस कर रही थी इसलिए फ्रेश हो कर लेट गयी, पर वह भी उस लड़के ने मौका पा कर उनके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की, पूजा वह से किसी तरह बच के निकल गयी !
दोस्तों मेरी अगली कहानी है दीपक (बदला नाम) आगरा की, दीपक की दोस्ती नेट पे एक लडकी (बनारस) से हुई, दोनों ने फ़ोन नुम्बेर्स एक दुसरे के शेयर करे, दोनों घंटो तक एक दुसरे से बात करते रहते थे, कुछ दिन बाद दोनों की ये दोस्ती प्यार में बदल गयी, पर कुछ दिन बाद दीपक जब भी उसे फ़ोन करता उसका फ़ोन बंद रहता, ना वो चेट पे आती और ना फ़ोन पे उसे कोई संपर्क हो पा रहा था, दीपक को बहुत टेंशन हो रही थी की आखिर बात क्या हो गयी है, कुछ दिन बाद उसकी एक सहेली ने फ़ोन कर के दीपक हो बताया की उसकी दोस्त की तबियत बहुत ख़राब है, शायद वो बच ना सके, उसके इलाज़ में बहुत खर्चा आयगा, दीपक हो बहुत गहरा धक्का लगा, वो बनारस आ कर उससे मिलना चाहता था, पर उसके सहेली ने वह ना आने को कहा, और उससे पैसे मांगे उसके इलाज़ के लिए, प्यार में अंधे हुए दीपक को कुछ नज़र नही आया, और उसने १००० रुपया उसे भेज दिए, फिर अपनी बीमारी का बहाना कर के उस लडकी ने उसे करीब ८००० रपये ठग लिए, दीपक को उस लडकी की हकीकत का पता तब चला जब उसने एक दिन उस लडकी का आई दी हैक कर लिए, और वह उसने उसकी chat चेक करी, अपने फ्रेंड बन कर दर असल वो ही आवाज़ बदल कर दीपक से पैसे मांगती थी, ये ही उसका काम था, पता नही कितनो को ऐसे ही चूना लगा चुकी थी, जांच करने पे पता चला की कई लोगो से शादी कर के वहा के लोगो का विश्वास जीत के लाखो का सामन ले कर वो रफूचक्कर हो चुकी थी.
सो मेरे प्यारे दोस्तों ये उन लोगो की कहानी है जो हमे अक्सर नेट पे मिल जाते हैं, प्यारे दोस्तों हम आपसे ये नही कहते की आप किसी से दोस्ती मत करो, पर किसी पे जरूरत से ज्यादा भरोसा मत करो, और नेट पे मिलने वाले आशिको से बच के रहो.........बाकी तो आप खुद ही समझदार हैं.................
Dekha tha ek sapna
Dekha tha ek sapna, usme dekha ek chehra jo laga muje jana pahchana, wo ajnabi lagne laga na jane kab muje apna, na jane kab kaise mere iss dil ne usse maan liya tha apna, par baat to ye ek khwaab thi, jab tooti nind to wo hi surat mere paas thi, kaise hua mera ye adhura khwaab pura, thaam liya usne haath mera, jo chaha tha dil ne raat khwaab me aaj wo khubsurat pal mere paas tha, wo ajnabi mere bahut paas tha..
Tuesday, 6 December 2011
ek khwaish puri ho gayi
"barso baad meri ek khwaish puri ho gayi, meri barso baad unse mulakat ho gayi, ji liya hmne unke sath kuch pal me hi zindgi ko, na jane zindagi me fir unse mulaqat hogi ya na hogi, krna fariyad jara dosto tum b mere liye rab se, ab na mile itni lambi judai unse kabi fir muje, mile to zindgi bhar ka ab saath unka muje"
Monday, 5 December 2011
खो चुके थे उनसे मिलने की हर उम्मीद हम
खो चुके थे उनसे मिलने की हर उम्मीद हम, सोचने लगे थे न मिल सकेंगे उनसे कभी हम, पर आखिर उस रब की नज़र में आये हम, कबूल कर ली उसने जो दुआ हमारी भी, पहला कहे या आखरी बार ही सही उनसे मुझे एक बार मिला तो दिया, जो खो चुके थे हर उम्मीद उनसे मिलने की हम, उनसे मिलवा कर रब ने मेरे दिल में प्यार की तलास में बुझे हुए चिराग को आखिर इस कदर जला जो दिया......
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