this is not only a hindi sher o shayri site, there is also u can see short stories, articals, poetry in ur own language yes off course in hindi......
Thursday, 9 February 2012
दूर तुमसे चले गए थे
दूर तुमसे चले गए थे, भूल ये कर गए थे, किसी गैर को अपना समझ गए थे, लगी ठोकर जब पता चला कोई नादानी हम कर गए थे,दूर अपनों से कितना चले गए थे, वक़्त की आँधियों के थपेड़ो में कितना फस हम गए थे, ये तो चाहत थी तुम्हारी जो बचा लायी हमे इन तूफानों से,वरना इन आँधियों के थपेड़ों से पूरी तरह घिर कर अपनी ही हर ख़ुशी की आस खो हम चुके थे।
No comments:
Post a Comment