Tuesday 10 December 2013

बीते वक्त कि ये कहानी सुनो

बीते वक्त कि ये कहानी सुनो, आओ तुम मेरी ज़ुबानी सुनो, एक था राजकुमार जो करता था राजकुमारी से प्यार बेशुमार, राजकुमारी भी करती थी उससे प्यार, लुटाती थी अपनी ज़िन्दगी उसपे मेरे यार, 


पर एक दिन अचानक राजकुमार ने राजकुमारी से कहा नहीं करता हूँ मैं तुमसे प्यार, जाओ तुम हो जाओ किसी और कि होने को तैयार, मैं तो होने वाला हूँ एक बड़े राज्य कि रानी का महाराज,


सुन कर  राजकुमारी  ये बात रोने लगी बार-बार, कि उसने फरियाद, जोड़े उसके भी हाथ, राजकुमारी कहने लगी वो कैसे हो सकती है किसी और कि क्योंकि वो तो उसकी बेवफाई  के बाद भी उसी से ही है प्यार करती,


सुन कर राजकुमारी कि बात हसने लगा राजकुमार, करके बेवफाई  भी उसके साथ लगाने लगा दोष उस पर ही बार-बार, जब राजकुमारी ने उसकी बेवफाई से  दुखी हो कर दे दिया कभी न खुश रहने का शाप तब बोला वो बेवफा राजकुमार ये ही था तुम्हारा प्यार,


बोला राजकुमार करता हूँ मैं तुमसे प्यार पर नहीं हो सकती हमारी शादी, तुम हो भले एक राजकुमारी पर नहीं हो तुम मेरे काबिल, है जो बात मुझमे वो नहीं है तुममे, है अहसास मुझमे वो नहीं है तुममे,


सुन कर बोली वो राजकुमारी वो जो दिया है बलिदान मैंने तुम्हारे लिए क्या कभी दे सकते हो तुम किसी और के लिए या दिया है तुमने किसी के लिए, किया क्या तुमने कभी सिवा अपने को छोड़ कर किसी और के लिए,


बोली वो राजकुमारी है खुश तुम्हारे भी अब ये अबला नारी, नहीं रहेगी ये बन कर अब बेचारी, छोड़ दी राजकुमारी ने अब सारी लाचारी, 


छोड़ा राजकुमारी ने अब राजकुमार का हाथ और जीने का अकेले ही फैसला किया उसने आज, देख राजकुमार उसका ये फैसला आज बड़ा दंग रह गया, जो लड़की कहती थी कभी कि वो तो है उसकी ज़िन्दगी आज अपनी ज़िन्दगी से ही निकाल कर फैंक दिया,


जिसकी सांस भी न चलती थी उनके बिन, जो सहती थी उसके जुल्म भी हस कर हर दिन आज उसने किस तरह उसे ही खुद से दूर कर दिया,


ज़ख्म लगा ये देख कर राजकुमार को जब तब गालियाँ उसे सुनाने लगा, वो था बेवफा खुद पर राजकुमारी को बताने लगा, राजकुमारी को  आज ये बात अब समझ में आयी करती थी पूजा जिस राजकुमार कि ईश्वर समझ कर वो तो है हरजाई,


सहती थी हर गम उसका दिया वो मोहब्बत के नाम पर, पीती थी हर दिन वो ज़हर बातों कि उसकी इश्क के नाम पर, आया समझ उसे आज यार उसका फरेबी था, प्यार उसका फरेबी था, जिस बेवफा पे लुटाई उसने अपनी ये ज़िंदगानी वो शख्स तो बहुत झूठा था,


एक झूठे से प्रेम कि सजा तो उसने पायी है, वफ़ा के बदले मिला बेवफा ये ही नसीब नसीब कि दुहाई है, रोती  है आज वो राजकुमारी अपनी किस्मत पर बार-बार और वो बेवफा खुश है किसी और को अपना हमसफर बना कर ऐ मेरे यार,


गुज़ारे वक्त कि ये कहानी थी वो मुझे तुम्हे ये सुनानी थी, एक बेवफा कि ये कहानी थी, फरेबी ने दी जो दगा उसकी ही ये कहानी थी, बीते ज़माने कि ये कहानी थी जो मुझे तुमको सुनानी थी ओ ओ बीते वक्त कि ये कहानी थी.....

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