Wednesday 17 August 2016

ईश्वर वाणी १५१, शिव लिंग का अर्थ

ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों यु तो तुमने शिव लिंग के विषय मैं अनेक लोगों की टिप्पणी सुनी होगी, कुछ ने तो अश्लीलता की सीमा ही पार कर दी इस पवित्र शिव लिंग की व्याख्या करने मै किंतु सत्य क्या है उन्हे पता नही, पता कैसे हो भला जो काम वासना वाली अपनीअपनी विचारधारा भगवान पर भी थोपते हो,


हे मनुष्यौं शिव लिंग तुम्है निराकार ईश्वर के विषय मैं बताता है, साथ ही तुम्हारी श्रध्धा के अनुसार एवं ईश्वरीय लीला के अनुरूप वो स्त्री और पुरुष का रूप रख कर देवी या देवता बनते है, लेकिन वास्तविक रूप वही निराकार ही है,

है मनुष्यौ साथ ही शिव लिंग ये बताता है प्राणी जाती के जन्न एंव उत्थान के लिये पुरुष एंव नारी दोनो ही आवश्यक है, साथ ही शिव लिंग भगवान शंकर के अर्ध नारीश्वर रूप का ही एक अंश है,


है मनुष्यौं यदि कोई तुम्है इस विषय पर भरमाये तो उस अग्यानी को ये तथ्य बता कर उसकी अग्यानता दूर कर ईश्वर के वास्तविक निराकार सत्य रूप का प्रसार करना,


तुम्हारा कल्याण हो "

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