Friday 19 July 2019

ईश्वर वाणी-275,जीवन मृत्यु की सच्चाई.

ईश्वर वाणी-जीवन मृत्यु की सच्चाई..                               ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों यद्धपि तुमने मृत्यु लोक के विषय मे सुना होगा, अधिकतर मनुष्य इस धरती को ही मृत्यु लोक समझते हैं, किंतु आज तुम्हे कुछ विशेष बात बताता हूँ, मृत्यु कई प्रकार की व मृत्यु लोक भी कई प्रकार के होते हैं।

यद्धपि मनुष्य समझते हैं पृथ्वी ही मृत्यु लोक है किँतु पृथ्वी ही नही अपितु समस्त ब्रह्मांड ही भौतिक काया का मृत्यु लोक है, क्या तुम सोच सकते हो ब्रह्मांड के किसी छोर पर जा कर तुम अमर हो सकते हो अपनी भौतिक काया के साथ अथवा कोई ग्रह नक्षत्र तुमने ढूंढ लिया है जिसपे रह कर तुम अमर हो सकते हो यद्धपि तुम ब्रह्मांड की गहराई व अनेक ग्रह नक्षत्र पर भ्रमड भले कर लो किंतु अमर कही नही और एक दिन मृत्यु तुमको आनी ही आनी है,
इसलिए तुम इस धरती को ही नही अपितु पूरे ब्रह्मांड को ही इस भोतिकता के लिए मृत्यु लोक समझो क्योकि जी दिखता है वो भौतिक ही है और जो नही दिखता वो अभौतिक है, जो भौतिक है वो नाशवान अवश्य है।
हे मनुष्यों तुम्हे मैंने अनेक प्रकार की मृत्यु के विषय मे ऊपर बताया, प्रथम प्रकार की मृत्यु तो तो तुम्हे ऊपर पता चल ही गयी, किंतु संछिप्त में अन्य मृत्यु के बारे में बताता हूँ 
यद्धपि कर्मानुसार हर जीवात्मा जन्म लेती है, साथ ही अनेक कर्म अनुसार हर जीवात्मा स्वर्ग, नरक व ईश्वसरिये लोक को प्राप्त करती है भौतिक देह के नष्ट होने अथवा त्यागने के बाद,
किँतु हर जीवात्मा जब भी कोई नया जीवन लेती है तो उसको अपना निम्न स्थान त्यागना होता है, इस प्रकार उसके पुराने कर्मो के अनुसार उसका समयफल पूर्ण हुआ और इस तरह नए भौतिक जीवन व अन्य लोक में किसी और स्थान की प्राप्ति हेतु तुम्हे जाना पड़ा तब तुम्हारी इस अवस्था मे पहली अवस्था का तुम्हारे द्वारा त्यागना ही तुम्हारी मृत्यु हुई, इस तरह भौतिक देह के त्यागने के बाद भी तुम मृत्यु को भोगते रहते हो, जन्म लेते रहते हो और मृत्यु प्राप्त करते रहते हो।

हे मनुष्यों ये पूर्ण सत्य है कि इस भौतिक संसार से परे एक पारलौकिक संसार है, ये इतना विशाल है कि तुम कल्पना तक नही कर सकते, तुम्हारी भौतिक काया के त्यागने के बाद तुम इसमे प्रवेश करते हो व नया जीवन पाते हो लेकिन हर जीवन से पहले मृत्यु आवश्यक है ठीक वैसे ही जैसे किसी पद की प्राप्ति हेतु पुराना पद त्यागना पड़ता है वैसे ही नए जीवन मे आने से पहले पुराने को छोड़ना पड़ता है, यही सच्चाई है संछिप्त में जीवन और मृत्यु की, उम्मीद है तुम्हे समझ आयी होगी।"

कल्याण हो

Archana Mishra

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