Friday 25 September 2020

ईश्वर वाणी-289 सकारात्मक सोच

 ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्य तुम्हारा अहंकार, तुम्हारी ईर्ष्या, कटु वचन ही तुम्हें इतना निर्बल बनाते हैं कि तुम पर नकारात्मक लोग अपनी नकारात्मकता को तुम पर छोड़ देने में कामयाब हो जाते हैं।

तुमने अधिकतर देखा और सुना होगा कि फलां व्यक्ति पर कोई नकारात्मक शक्ति है अथवा किसी पर किसीने कोई नकारात्मक क्रिया कर दी, तो आखिर ऐसा क्या है जो तुम इसके प्रभाव में आ जाते हो? आखिर इतने निर्बल क्यों हो जो इसके प्रभाव में आसानी से आ जाते हो और जीवन नष्ट करते हो।

हे मनुष्यों संसार मे सकारात्मक और नकारात्मक विचारधाराएं तो चलती रहेंगी किंतु तुम्हे इससे बचना होगा ताकि न सिर्फ इस भौतिक जीवन अपितु उस अभौतिक जीवन को भी सुधार सके जो इस जीवन के बाद तुम्हे मिलने वाला है।

इसके लिए हर दिन मेरा ध्यान करो और मुझसे हर पल यही कहो को मैं तुम्हारा मार्गदर्शन करू।

साथ ही तुम काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार का त्याग करो, यद्धपि तुम्हारा अहित करने वाले ऐसे ऐसे वाक्य कहेंगे जिससे तुम्हे क्रोध और आवेश आएगा क्योंकि जितना तुम्हे क्रोध आवेश और ईर्ष्या आएगी तुम्हारी खुदकी सकारात्मक शक्ति कम होगी और जब वो कम होगी तो तुम पर कोई भी नकारात्म क्रिया हो सकती है आसानी से ।

हे मनुष्य इसलिए खुद को इतना सकारात्मक बना लो कि कोई नकारात्मक क्रिया तुम को छू तक न सके, भगवान बुद्ध, महावीर जी, जीसस आदि अनेक देव हुए जिन्होंने अपने को इतना सकारात्मक बनाया की इन्हें देख कर खुद ब खुद नकारात्मक ऊर्जा दूर भागती थी साथ ही इनके आभामंडल के समक्ष आने से भी डरती थी।

तुम्हें भी खुद को इतना सकारात्मक और सात्विक बनाना है कि नकारात्मक ऊर्जा तुम्हारे आभामंडल के पास आने से भी डरे ताकि तुम्हे तुम्हे कभी कोई नुकसान न पहुँचा सके।

इसलिए कहते हैं अपने शत्रुओं को भी छमा कर दो, और खुद पल पल जाने अनजाने व पिछले कई जन्मों में हुई गलती के लिए मॉफी माँगते रहो।

नेक कर करो, किसी भी जीव का जाने अनजाने दिल दुखाने और नुकसान पहुँचाने से बचो, लोग तुम्हें लाख चिढ़ाए, क्रोध दिलाये, लेकिन उनके नकारात्मक प्रभाव में मत आओ, और यदि उनके प्रभाव में आ जाते हो तो कोशिश करो उनसे दूरी बना कर उनके विषय मे सोचना त्याग कर अन्य के विषय मे सोचें जिससे सकारात्मक ऊर्जा तुम्हें मिलती हो।

ऐसा करो निश्चित ही लाभ मिलेगा,

कल्याण हो


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