Wednesday 15 September 2021

प्रेम गीत। तुम्हे क्या बताये

 "तुम्हे क्या बताये तुम्हे कितना चाहते हैं

अपनी हर ख़ुशी में तुम्हे ही हम पाते हैं

बिन तेरे.. ये ज़िंदगी क्या है,, अब मेरी

सोच कर जुदाई तुझसे डर हम जाते हैं

 तेरे बिन खुदको.. कैसे हम बहलाते हैं

याद कर तुझे यूँही हम अब  मुस्कुराते है

काश तू समझ पाता मेरे इश्क की गहराई

अब अकेले तेरे बिना.. हम जी नही पाते हैं


तुम्हें क्या बताये तुम्हें कितना चाहते हैं...


याद में तेरी इन आँखोंसे अश्क़ निकल आते हैं

दर्द मोहब्बत का,, हर किसी से हम छिपाते है

कहीं कोई न देदे तुझे इल्ज़ाम मेरे घायल दिलका

दर्द छिपा जहाँ में ..इसलिए बिन बात मुस्कुराते हैं

रोता है तू भी याद में मेरी दिलको ये समझाते हैं

 उनके झूठे वादों से,, खुदको ही हम बहलाते हैं

शायद करता वो भी होगा सज़दा मिलने का हमसे

बस झूठी इसी उम्मीद से.. हम यूँही जिये जाते हैं

तुम्हें क्या बताये..........."





No comments:

Post a Comment