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Saturday, 30 July 2011
gud morng
kaali raat k baad fir savera aaya, intzaar kiya tumne raat bhar dekho subah fir hmara msg aaya................. gud morng frsssssss
Sunday, 24 July 2011
तेरे इंतज़ार में
तेरे इंतज़ार में सारी उम्र गुज़रती गयी, तू न आया पर तेरी याद हर पल हमे
आती गयी, तेरे इंतज़ार में सारी उम्र गुज़रती गयी, तू न आया पर तेरी याद हर
पल हमे आती गयी,
तडपते रहे सारी उम्र तेरे इंतज़ार में हम , तू न आया ऐसा क्यों हुआ तू हमसे नाराज़ सनम, तडपते रहे सारी उम्र तेरे इंतज़ार में हम , तू न आया ऐसा क्यों हुआ तू हमसे नाराज़ सनम
इस दिल में तेरी ही तस्वीर है सनम, तू न आये भले पर इस दिल में तू ही रहता है हर दम, छोड़ गया है तू मुझे भले ही बीच मझधार में, पर ये मेरा दिल तड़पता है तेरे ही इंतज़ार में,
कोशिशे लाखो की तुझे दिल से दूर करने की, पर न हुआ तू दिल से दूर तू, आया दिल के करीब और भी तू, ये कैसा रिश्ता मैंने तुझसे बनाया है, किया है जितना तुझे दिल से दूर उतना करीब पाया है,
समाया है तू मेरी साँसों में, मैंने अपनी हर धड़कन में सिर्फ तुझी को पाया है, दिल कहता है मेरा भले है दूर तू मुझसे पर तेरे संग हर पल मेरा ही है साया है, मैंने भी खुद में सिर्फ तुझी को पाया है,
दिल ने कहा तुझे भुला दू अब, दिल को पत्थर का बना दू अब, दूर कर दू तुझे अपने साँसों से, धडकनों से तुझे निकल कर किसी और को अपना बना दू अब,
पर जब किसी और को अपने साथ पाया इस दिल में फिर भी तेरा ही ख्याल है आया, दे हमने उससे अपना सब कुछ दिया, पर ये दिल फिर भी उससे अपना न पाया,
तुझे भुलाने की कोशिशे सब नाकाम रही, तू समाता रहा मुझमें और तेरी यादे मेरे साथ रही,तुझे भुलाने की कोशिशे सब नाकाम रही, तू समाता रहा मुझमें और तेरी यादे मेरे साथ रही,
तेरे इंतज़ार में सारी उम्र गुज़रती गयी, तू न आया पर तेरी याद हर पल हमे आती गयी, तेरे इंतज़ार में सारी उम्र गुज़रती गयी, तू न आया पर तेरी याद हर पल हमे आती गयी,
तडपते रहे सारी उम्र तेरे इंतज़ार में हम , तू न आया ऐसा क्यों हुआ तू हमसे नाराज़ सनम, तडपते रहे सारी उम्र तेरे इंतज़ार में हम , तू न आया ऐसा क्यों हुआ तू हमसे नाराज़ सनम
तेरे इंतज़ार में सारी उम्र गुज़रती गयी, तू न आया पर तेरी याद हर पल हमे आती गयी, तेरे इंतज़ार में सारी उम्र गुज़रती गयी, तू न आया पर तेरी याद हर पल हमे आती गयी,
तडपते रहे सारी उम्र तेरे इंतज़ार में हम , तू न आया ऐसा क्यों हुआ तू हमसे नाराज़ सनम, तडपते रहे सारी उम्र तेरे इंतज़ार में हम , तू न आया ऐसा क्यों हुआ तू हमसे नाराज़ सनम
तडपते रहे सारी उम्र तेरे इंतज़ार में हम , तू न आया ऐसा क्यों हुआ तू हमसे नाराज़ सनम, तडपते रहे सारी उम्र तेरे इंतज़ार में हम , तू न आया ऐसा क्यों हुआ तू हमसे नाराज़ सनम
इस दिल में तेरी ही तस्वीर है सनम, तू न आये भले पर इस दिल में तू ही रहता है हर दम, छोड़ गया है तू मुझे भले ही बीच मझधार में, पर ये मेरा दिल तड़पता है तेरे ही इंतज़ार में,
कोशिशे लाखो की तुझे दिल से दूर करने की, पर न हुआ तू दिल से दूर तू, आया दिल के करीब और भी तू, ये कैसा रिश्ता मैंने तुझसे बनाया है, किया है जितना तुझे दिल से दूर उतना करीब पाया है,
समाया है तू मेरी साँसों में, मैंने अपनी हर धड़कन में सिर्फ तुझी को पाया है, दिल कहता है मेरा भले है दूर तू मुझसे पर तेरे संग हर पल मेरा ही है साया है, मैंने भी खुद में सिर्फ तुझी को पाया है,
दिल ने कहा तुझे भुला दू अब, दिल को पत्थर का बना दू अब, दूर कर दू तुझे अपने साँसों से, धडकनों से तुझे निकल कर किसी और को अपना बना दू अब,
पर जब किसी और को अपने साथ पाया इस दिल में फिर भी तेरा ही ख्याल है आया, दे हमने उससे अपना सब कुछ दिया, पर ये दिल फिर भी उससे अपना न पाया,
तुझे भुलाने की कोशिशे सब नाकाम रही, तू समाता रहा मुझमें और तेरी यादे मेरे साथ रही,तुझे भुलाने की कोशिशे सब नाकाम रही, तू समाता रहा मुझमें और तेरी यादे मेरे साथ रही,
तेरे इंतज़ार में सारी उम्र गुज़रती गयी, तू न आया पर तेरी याद हर पल हमे आती गयी, तेरे इंतज़ार में सारी उम्र गुज़रती गयी, तू न आया पर तेरी याद हर पल हमे आती गयी,
तडपते रहे सारी उम्र तेरे इंतज़ार में हम , तू न आया ऐसा क्यों हुआ तू हमसे नाराज़ सनम, तडपते रहे सारी उम्र तेरे इंतज़ार में हम , तू न आया ऐसा क्यों हुआ तू हमसे नाराज़ सनम
तेरे इंतज़ार में सारी उम्र गुज़रती गयी, तू न आया पर तेरी याद हर पल हमे आती गयी, तेरे इंतज़ार में सारी उम्र गुज़रती गयी, तू न आया पर तेरी याद हर पल हमे आती गयी,
तडपते रहे सारी उम्र तेरे इंतज़ार में हम , तू न आया ऐसा क्यों हुआ तू हमसे नाराज़ सनम, तडपते रहे सारी उम्र तेरे इंतज़ार में हम , तू न आया ऐसा क्यों हुआ तू हमसे नाराज़ सनम
rishto ki kitab
Ye rishto ki kitab bhi badi ajib hoti hai, kisi se bad rahi nazdiki to kisi se duri hoti hai, inn rishto ki kitab mein kabi kisi ko pyaar ya fir farheb dene ki aadat ya fir mazburi hoti hai, ye rishto ki kitab bhi badi ajeeb hoti hai
pyaar hai ya dhokha
Ye dil puchta hai humse baar baartumhara milna, tumhara karib aana, karbi aa kar yu dil churana sachh hai ya dhokha, jis tarah se dil churaya uss tarah se kabhi nazre chura gaye to, ye dil pucha hai humse baar baar ye pyaar hai ya dhoka ,chhod gaye agar beech majdhar mein akela tum hume saath nibhane ka wada karke fir kya hoga humara, ye dil puchta hai baar baar ye pyaar hai ya dhoka...
Saturday, 23 July 2011
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