बहुत
पुरानी बात है एक बार भगवान् बुध किसी गाँव में पहुचे तो वह एक स्त्री ने
उन्हें अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित किया भगवन बुध मान गए और उसके घर भोजन
हेतु जाने लगे किन्तु तभी समस्त गाँव वाले वहाँ एकत्रित हो गए और कहने लगे
की भगवंत आप उसके घर कृपया भोजन न करे क्योंकि ये स्त्री चरित्रहीन है और
यदि आपने इसके यहाँ भोजन किया अथवा आप इसके घर भी गए तो आप भी अशुद्ध हो
जायंगे, उनकी बात सुन कर बुध बोले भीड़ में से केवल वो ही लोग निकल कर मेरे
सामने आये जो कभी भी इस स्त्री के संपर्क में ना आये हो अथवा जो कभी खुद
इस स्त्री के घर ना आये हो, उनकी बात सुन कर धीरे धीर लोग वहा से जाने लगे
और भीड़ भी तितर बितर हो गयी, ये देख कर उस स्त्री ने भगवन बुध से कहा की
प्रभु आपने तो मुझे धन्य कर दिया, उसकी बात सुन कर प्रभु बोले कोई भी
व्यक्ति किसी कार्य के लिए अकेले ही अपराधी अथवा ज़िम्मेदार नहीं होता,
व्यक्ति के कर्म और व्यवहार को उसके आस पास के लोगो और उनके द्वारा तैयार
वातावरण इसका प्रमुख रूप से ज़िम्मेदार होता है।
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Wednesday, 17 July 2013
Tuesday, 16 July 2013
beete lamhon ki yaadon ke saaye mein zindagi bhar khoye rahna hm chaahte hain....sad poetry..........

कुछ कहना तुम चाहते हो कुछ सुन्ना हम चाहते हैं , कुछ पाना हम चाहते हैं कुछ खोना तुम चाहते हो ,जाने ये कैसी दूरिय आ चुकी है बीच हमारे , थे कभी करीब बैएन्तहा आज हैं जुदा हो चुके , पर जाने क्यों आज भी पास तुम्हारे हम आना चाहते हैं और दूर तुम हमसे जाना चाहते हो, फासले तुम बनाना चाहते हो और नजदीकिय हम बढाना चाहते हैं, तोड़ कर हर रिश्ता प्यार का जुदा तुम हमसे होना चाहते हो और टूटे हुए इन रिश्तो के साथ ज़िन्दगी हम बिताना चाहते हैं, दे कर दगा मोहब्बत में मुझे बेवफा तुम बन जाना चाहते हो और हम बीते लम्हों की यादों को दिल में समेत कर ज़िन्दगी भर खोये उनमे रहना चाहते हैं
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Thanks and Regards
*****Archana*****
Monday, 15 July 2013
' अनहोनी घटनाएं भाग -३ ',
नस्मर
दोस्तों आज हम फिर हाज़िर हैं अपने इस लेख जिसका शीर्षक है ' अनहोनी घटनाएं
भाग -३ ', दोस्तों हमारी ज़िन्दगी में कभी कभी ऐसा कुछ हो जाता है जिस पर
पहले हमे कभी यकीं भी नहीं होता पर समय और हालत हमे उस पर यकीं करवा
ही देते हैं हाँ ये बात और है की किसी और या दूसरो को इस विषय
में यकीं दिलाना थोडा मुश्किल होता है क्योंकि लोग इसका प्रमाण मांगते हैं
और कुछ बातों को स्पष्ट करने का हमारे पास कोई प्रमाण नहीं होता इसका
अभिप्राय ये तो कदाचित नहीं की ऐसा हुआ ही नहीं है ये सब असत्य है। हमारा
ये लेख इसी बात पे आधारित है और इसकी प्रमाणिकता अभी तक की ये है की इसकी
घटनाये जो भी अभी तक घटी है उन्हें हमने खुद सहा है और हम ही उन सबके गवाह
है।
दोस्तों
आज की ये सच्ची कहानी फिर से हमारी ही है, दोस्तों जब हमने फैसला किया की
अनहोनी घटनाओ पर आधारित सच्ची कहानिया हम आपके समक्ष ले कर आयेंगे और इस
विषय पर हम निकल पड़े ऐसी ही सच्ची कहानियों को आप तक पहुचाने के लिए उनकी
खोज मे। दोस्तों कुछ ऐसी ही रोचक और असंभव सी दिखने वाली कई सच्ची घटनाये
और उनसे जुडी कहानियां हमे मिली और हम बैठ गए लिखने उन्हें आप तक पहुचाने
के लिए शायद ही आप यकीं करे हमने जैसे ही उन्हें लिखने की कोशिश की हम
उन्हें लिख न सके कुछ न कुछ बुरा हमारे साथ होने लगा, फिर भी हम जिद पकड़ कर
बैठ गए की उन्हें आप तक जरुर पहुचाएंगे, दोस्तों हमे खेद है की फ़िलहाल हम
उन कहानियों को आप तक नहीं पंहुचा सकते क्योंकि अभी तक उन कहानियों के विषय
में लिखने से हमारे साथ कुछ न कुछ अजीबोगरीब वाकिये होने लगते हैं,
दोस्तों जब हमारा ये हाल है तो जरा सोचिये उनका क्या होगा जिन्होंने इसे
अपने जीवन में जाने कितना सहा है।
दोस्तों मेरी एक सहेली है शिल्प (काल्पनिक नाम ) उसके साथ इन अनहोनी
घटनाओ के तहत जो कुछ हुआ उसने हमे बताया और हमने उसे यहाँ इस लेख में लिख
कर आप तक पहुचाने की कोशिश की पर हमारे साथ भी कुछ अजीब हादसे होने लगे,
अचानक घर में किसी की छवि नज़र आने लगी जो एक पल में गायब हो जाती थी दरवाज़े
पर किसी की दस्तक होती और दरवाज़ा खोलने पर कोई न होता, घर में परिवार
वालों की शक्ल में कोई आता जबकि घर वाले कहते वो तो उस वक्त वह मौजूद ही
नहीं थे, ऐसे ही न जाने कितने हादसे हमारे साथ खुद होने लगे हमे ऐसा लगने
लगा की कोई शक्ति है जो नहीं चाहती की उसके विषय में हम लिखे, वो नहीं चाहती है
की कोई उसके काम में हस्तछेप करे, दोस्तों मेरी सहेली इस वक्त बहुत दुखी है
उसके साथ ये अनहोनी घटनाये अभी बंद नहीं हुई है यदि मेरे इस लेख को पड़ने
के बाद आप उसकी कोई मदद कर सकते हों तो कृपया मुझे कमेंट के द्वारा बताये..
हार्दिक अभिनन्दन
अर्चु
हर दफा दिल की सुनते हैं

Saturday, 13 July 2013
मोमोस

Thursday, 11 July 2013
जी चाहता है
तुझसे मिलने को जी चाहता है, तेरे दिल में बसने को जी चाहता है, गुजारु कोई लम्हा संग तेरे उस शाम के आने का दिल चाहता है, आ कर तेरी बाहों में टूट कर यु बिखर जाने को जी चाहता है, तेरी साँसों से हो कर तेरे दिल में उतर जाने को जी चाहता है, तेरे प्यार में खुद को भुला देने को जी चाहता है, तेरी नज़रो में नहीं तेरे दिल की धडकनों में समां जाने को जी चाहता है, और क्या बताऊ तुझे मैं तुझसे दूर नहीं बस तेरे करीब रहने को जी चाहता है, रह नहीं सकते कभी बिन तेरे हम इसलिए बस इतना सा ही दिल ये मेरा चाहता है की तेरी आघोष में ही उस गहरी नींद में सो जाने को जी चाहता है, जुदा तुझसे होने से पहले ही तेरी गोद में सर रख कर इस दुनिया से विदा होने को जी चाहता है।
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