Friday 11 July 2014

इनसान हूँ बस इन्सान मुझे रहने दो,

"ना में हिन्दू हूँ ना मुसलमान हूँ, 

ना है कोई मज़सब मेरा, हर धर्म से अन्जान हूँ,

इनसान हूँ बस इन्सान मुझे रहने दो,

ऐक है अल्लाह मेरा, एक ही है बस रब मेरा,

ना बाँटो तुम उसे तो युं इन्सान की तरह,

एक है भगवान मेरा उसे तुम 

भगवान रहने दो,

छोड़ दो अब तो तुम युं झगडना, हर बात पे युं बिगडना छोड़ दो, 
समझकर सबको एक समान तुम जीने दो,खुद छुओ गगन को औरों को भी छूने दो,
 इन्सान हूँ बस इन्सान मुझे रहने दो-2"

Monday 7 July 2014

मेह्गाई मार डालेगी

मुझको तो आये दिन बढ़ती ये मेह्गाई मार डालेगी,
हर दिन सामानो की बढ़ती ये  उचाई मार  डालेगी,
शहज़ादी -ऐ सब्जी प्याज की रुलाई मार  डालेगी,
हर दिन घटती मेरी जेब की ये हल्काई मार  डालेगी।। 


हर सुबह में बस ये ही बात होती है,


"हर सुबह में बस ये ही बात होती है,


हर दिन इस दिल को  तेरी ही आस  रहती है, 

तू भूल गया है आज मुझे भले 

पर मेरी हर धड़कन में तेरी ही याद रहती है !! "

Saturday 5 July 2014

meri ye rachna betiyo ko samarpit hai

"दीप है बेटे तो ज्योती है बेटियाँ,
पुष्प हैं बेटे तो सुगन्ध हैँ बेटियाँ
दिल है बेटे तो धडकन हैं बेटियाँ,
अभिमान है बेटे तो स्वाभिमान है बेटियाँ, 
रक्त है बेटे तो स्वांस है बेटियाँ,
जीवन है बेटे तो आत्भा है बेटियाँ, 
आस है बेटे तो विस्वाष है बेटियाँ, 
भविष्य है बेटे तो युगों से साथ है बेटियाँ"

बेटियाँ।।







लाखो दुआओ से जन्म लेते हैं बेटे बेटियां तो ऐसे ही आ जाती हैं,
शेह्ज़ादों से पलते हैं बेटे बेटियां तो ऐसे ही पल जाती हैं,
झुकती जब कमर और हो जाती है उमर छोड़ जाते हैं बेटे एक दिन 
बन कर दूजे के घर की शोभा फिर भी गले लगाती है बेटियाँ।।

Tuesday 1 July 2014

बस एक पहेली हूँ मैं

"दुनिया में कितनी अकेली हूँ मैं, 
तन्हाइयों की एक सहेली हूँ मैं, 
रहती हूँ चुप-चुप क्यों, 
च्चिपाती हूँ मुश्कान के पीछे अपने ये अश्क क्यों, 
बस दुनिया के लिए एक अनकही और अनसुलझी पहेली हूँ मैं, 
बस एक पहेली हूँ मैं, 
दुनिया में बहुत अकेली हूँ मैं,
 बहुत अकेली हूँ मैं "

Friday 27 June 2014

मन की गहराइयों में बसाया है सिर्फ़ तुम्हे



मन की गहराइयों में बसाया है सिर्फ़ तुम्हे, 

अपनी हर सांस में समाया है सिर्फ़ तुम्हे
ना जाना कभी मुझे अकेले यू तन्हा छोड़ कर, 

मैने तो अपनी तकदीर बनाया है तुमहे,
 
और क्या बताऊ तुम्हे मेरे हमदम 

जाने कितनी दुआऔँ से पाया है मैने तुम्हे,