Saturday 5 July 2014

बेटियाँ।।







लाखो दुआओ से जन्म लेते हैं बेटे बेटियां तो ऐसे ही आ जाती हैं,
शेह्ज़ादों से पलते हैं बेटे बेटियां तो ऐसे ही पल जाती हैं,
झुकती जब कमर और हो जाती है उमर छोड़ जाते हैं बेटे एक दिन 
बन कर दूजे के घर की शोभा फिर भी गले लगाती है बेटियाँ।।

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