Thursday 31 July 2014

मेरी रचनाए

1*"जिससे मिलन की बात हुई,

जिससे आँखे चार हुई,

वो हुए ना कभी ह्मारे

जिससे ज़िंदगी ये मेरी बर्बाद हुई(°_·°)"



2*"वो एक तरफ़ा प्यार कितना सुहाना था, 

ना कोई अरमान ना कोई बहाना था, 

मिलेंगे नही कभी हम उनसे, 

हो नही सकेंगे मिलन के साथ फेरे, 

नदी के दो किनरो सा जीवन हमारा था, 

रहे खुश सदा वो बस ये ही मकसद हमारा था, 

वो नही थे आशिक़ हमारे पर ये दिल सिर्फ़ उनका ही दीवाना था, 

वो एक तरफ़ा प्यार भी हाए कितना सुहाना था....."



3*ये माना आसमान के तारे को पाने की हसरत की है हमने, 

आज लाखो हैं उसके चाहने वाले है गुरूर उसे ये  खुद पर, 

पर एक दिन टूट कर गिरेगा वो ज़मीन पे राख बन कर,

 झोली फेला कर हम खड़े होंगे समेट कर उसे अपने सीने से लगाने के लिए, 

भूल जायंगे लोग उसे एक दिन राख उसके बन जाने पर, 

हम उस राख को भी सीने से लगा के रखेंगे मौत की आगोश में समाने तक ..... "

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