Tuesday 11 November 2014

कब वो हसीं शाम की होगी

कब वो हसीं शाम की  होगी, कब सामने मेरी लेला होगी, कब वो गुलाबी रात होगी, कब उनसे मुलाक़ात होगी, कब वो रिमझिम बरसात होगी, कब मेरी दिलरूबा मेरे पास होगी,कब उनसे बात होगी,कब वो हसीं शाम की  होगी,कब वो हसीं शाम की  होगी।


Sunday 9 November 2014

एक अफ़साना लिख डाला

अपना एक अफ़साना लिख डाला, जो भी था दिल में मेरे वो बयां कर डाला,
कागज-कलम से नहीं, रक्त की श्याही से अपने इस दिल में तेरा ही नाम लिख डाला,
तू तो है बेवफा, क्या जाने मोहब्बत की ये जुबां,
मैंने तो अपनी ज़िन्दगी के हर एक लमहे को तेरे ही नाम कर डाला…