Wednesday 3 April 2019

ईश्वर वाणी-270....भौतिक देह व सूक्ष्म देह के वास्स्तिविक अस्तितिव को जानो

ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों जैसे इस पृथ्वी पर मैंने समस्त ब्रह्मांड के प्रतीक दिए हुए हैं ठीक वैसे ही तुम्हारी अपनी देह और उसका जन्म व अंत भी वैसे ही होता है जैसे किसी ग्रह-नक्षत्र का अंतरिक्ष में होता है।
अतः अंतरिक्ष में जा कर वहाँ के रहस्य जो तुम खोजते हो यदि तुम अपनी भौतिक देह व सूक्ष्म देह के विषय ठीक प्रकार जान व समझ लोगे तब यू नही भटकोगे, 

हे मनुष्यों इसलिए तुमसे कहता हूँ पहले खुद को जानो, अपने महत्व व कार्यो को जानो, उद्देश्यों को जानो, अपनी भौतिक देह ही नही अपितु अपनी सूक्ष्म देह के विषय मे जानो।

क्या तुम्हारा जन्म उद्देश्य केवल भौतिक संसाधनों के पीछे भागने का ही था, केवल घर गृहस्थी मेरा परिवार मेरे बच्चे मेरा धन बस मेरा या मेरे करने का ही था।

यदि नही तो क्या था जो पाया नही अब तक, जानो उसे और हासिल करने का प्रयास करो क्योंकि ये मानव देह इसीलिए मिली है न कि मेरा या मेरे करने हेतु क्योंकि जिन भौतिक सुखों के पीछे तुम भागते हो वो दुख ही देता है और उसको हासिल करने के चक्कर मे परम् सुख को प्राप्त करने का अवसर खो देते हो।

कल्याण हो 

Thursday 14 March 2019

ईश्वर वाणी-269, नरक जिसे जीवित रहते भी देखा जा सकता है


ईश्वर कहते हैं, “हे मनुष्यों यद्दपि तुमने निम्न धार्मिक पुष्तक, धर्म शास्त्र व ज्ञानी व्यक्तियों द्वारा तुमने  स्वर्ग व नरक का वर्णन सुना होगा, किन्तु आज तुम्हे बताता हूँ स्वर्ग व परमधाम प्राप्त करने से पूर्व नरक जो हर पापी जीवात्मा को सहना ही पड़ता है, हालांकि उस यातना के बाद भी बचा हुआ दंड जीवात्मा को नए जीवन मे दुख और सुख रोग व अन्य शारीरिक या मानसिक विकार के रूप में भोगना पड़ता है किंतु इससे पूर्व भी हर पापी जीवात्मा नरक अवश्य भोगती है और उस नरक को तुम भी अपनी इन्ही आंखों से देख सकते हो।

हे मनुष्यों जैसे आत्मा बिना शरीर सिर्फ एक मिट्टी के पुतले के समान है, किन्तु आत्मा को तुम नही देख सकते केवल इस पुतले को ही देखते हो, वैसे ही नरक को तुम अपनी आँखों से देख तो सकते हो लेकिन वहाँ दण्ड पाने वाली आत्माओ को नही देख सकते।
 हे मनुष्यों ये तो तुम जानते ही हो पृथ्वी ही इस ब्रह्मांड में एकमात्र ऐसा ग्रह है जहाँ जीवन है, किंतु क्या तुमने सोचा है फिर इस ब्रह्मांड में अनन्त ग्रह नक्षत्र व आकाशगंगाओ की आवश्यकता ही क्यों है, किंतु आज तुमको बताता हूँ सच सच जो तुम ये ग्रह नक्षत्र व आकाशगंगाये तुम देखते हो ये सब ही उस नरक का द्वार है जहाँ प्रत्येक जीवात्मा प्रवेश करती है और यातना सहती है, तभी तुमने देखा और सुना होगा कोई ग्रह बहुत गर्म तो कोई बहुत ठंडा तो कोई अन्य तरह के गैस व तेज़ वायु वेग से भरा हुआ है, कही निरंतर ज्वालामुखी फटते रहते हैं जिनसे भयानक लावा नदी व महासागर के रूप में बहता रहता है तो कही तपती रेत है तो कही अत्यंत गर्म क्षेत्र जो पल भर में इस भैतिक देह को पिघला दे।
हे मनुष्यों तुम्हारा सूक्ष शरीर जिसे तुम आत्मा कहते हो वो कर्म के अनुसार इन क्षेत्रों में विचरण करती है,  काले व गहरे गड्ढे (black wholes) जहाँ सूर्य की रोशनी तक नही जाती तो कही इतनी रोशनी की आंखे तक चौंधिया जाए, तुमने वैतरणी नदी का नाम अवश्य सुना होगा जो आकाश में बहती है, जिस पर से हर जीवात्मा को जाना ही पड़ता है, पापी जीवात्मा को ये भयानक पीड़ा देने वाली और पुण्यात्मा को आनन्द देने वाली होती है, ये नदी हड्डियों के दोनों तरफ के किनारो से भरी होती है, जिसे मनुष्य अपनी आधुनिक तकनीक से देख सकता है, आकाश में विचरण करने वाले ये अनन्त उल्का पिंड उसी नदी के सहारे और किनारे बहने वाली वो हड्डियां है, इसे इस प्रकार समझ तुम समझ सकते हो ‘जैसे कोई अति प्राचीन शव को तुम देखते हो तो वो तुम्हे पत्थर की आकृति ही लगता है’, ठीक वैसे ही आकाश में बहने वाले ये अनन्त उल्का पिंड भी ऐसे ही उसी का रूप है।

हे मनुष्यो संसार मे वो सत्य नही जो तुम देखते हो, बल्कि जो तुम नही देख पाते वही सत्य है, आत्मा एक सत्य है, व कर्म अनुसार दंड व सुख को प्राप्त करती है किंतु तुम केवल भौतिक देह को देखते हो, आत्मा के कष्ट व सुख को नही देख पाते, ऐसा इसलिए क्योंकि तुम इसे ही सत्य मानते व समझते हो।
हे मनुष्यों ईसी प्रकार जैसे नरक तुम अपनी इन आँखों से आधुनिक तकनीक के माध्यम से देख सकते हो वैसे ही इन सबके बाद मेरे परमधाम व स्वर्ग का रास्ता नज़र आता है किंतु उसे तुम आध्यात्मिक शक्ति से ही देख सकते हो।

हे मनुष्यों यद्दपि तुमने ब्लैक होल के विषय मे सुना है वैसे वाइट होल है जिससे हो कर जीवात्मा मुझ तक अथवा स्वर्ग तक जाती है।

हे मनुष्यों य न भूलो की में आत्माओ का महासागर हूँ, श्रष्टि का पहला तत्व हूँ, मै ही शुरुआत व अंत हूँ, जिसे तुम शुरुआत व अंत कहते हो वो तो मात्र वैसी ही प्रक्रिया है जैसे तुम रोज रात को सोते और सुबह उठ कर पूरे दिन नित्य कार्य कर के पुनः सो जाते हो और पुनः फिर प्रातः उठ कर निम्न कार्य करते हो, और ये जीवन चक्र चलाते हो।

हे मनुष्यों यद्दपि ये तुम सबके लिए कठिन है किँतु निरन्तर अभ्यास व प्रयास  से ये सम्भव है, यदि इस ज्ञान को तुम दैनिक जीवन मे उतार सके तो निश्चित ही अनन्त दुखो से मुक्त हो कर परम् सुख को प्राप्त होंगे।

कल्याण हो

Saturday 9 February 2019

धर्म, समाज और परमात्मा के ठेकेदार पुरूष

आजकल सोशल मीडिया का समय है, आज हम लोग न सिर्फ अपना काफी सारा समय इसपर बिताते हैं दोस्त बनाते हैं बल्कि अगर कोई मुद्दा देश, समाज, संस्कृति, धर्म आदि से उठता है तो बेबाकी से अपनी राय सबके सामने रखते जो पहले नही था हालांकि लोग तब भी इतने ही बेबाक और राय रखने वाले होते थे, वो लोग आफिस या कैंटीन या चाय की दुकान आदि में यदि इकट्ठा होते तो वहाँ भी निम्न मुद्दों पर राय रखते, किन्तु अब इसका दायरा पहले से काफी बढ़ चुका है, लोग सोशल मीडिया के माध्यम से अधिक से अधिक लोगो तक अपनी बात पहुचाते है जो सही है।।

  लेकिन मेरा मुद्दा बात पहुचाने का नही बल्कि बात करने के ढंग का है, मैंने सोशल मीडिया पर यूट्यूब आदि साइट्स पर देखा है जब भी बात धर्म को ले कर आती है या किसी भी तरह से धर्म इससे संबंधित हो या मुद्दा भारत पाकिस्तान का हो तो लोग अश्लील से अश्लील लहज़े में बात करने लग जाते है, अभी हाल की घटना है मैंने यूट्यूब पर वीडियो देखा जिसमे हिन्दू धर्म के बारे में एक मुस्लिम लड़की बात कर रो थी, मैंने उस वीडियो के कंमेंट पड़े और बहुत बुरा लगा कि चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम या सिख या ईसाई कोई मज़हब किसी को नीचा नही दिखाता न ही अश्लील शब्द इस्तमाल करने की इजाज़त देता है लेकिन ये धर्म के ठेकेदार पता नही क्या समझ कर दिलखोल कर अश्लीलता फैलाते हैं जैसे इनकी इसी भाषा से मज़हब बचा है अन्यथा हिन्दू कबके मुस्लिम बन जाते मुस्लिम सिख बन जाते सिख ईसाई और ईसाई जेन पारसी या बोध बन जाते, वो तो इन अश्लील शब्द वालो ने मज़हब बचा रखा है।

  आज मेरा मुद्दा न सिर्फ अश्लील शब्द और गाली देने का नही है या धर्म या भारत पाक को ले कर टिप्पणी का नही है बल्कि मुद्दा ये है लोग अश्लील शब्द व अश्लील गाली दे कर अपनी मानसिकता का परिचय दे रहे है और ऐसे लोग समाज को किस दिशा में ले जाएंगे, और समाज मे ऐसे लोग नारी को कैसे नज़रिये से और खुद को किस नज़रिये से देखते है।

न चाहते हुए भी मुझे उन लोगो की अश्लील बातें यहाँ लिखनी पड रही है पर जरूरी है ये ताकि आप मे से कोई भी सभ्य व्यक्ति मेरे लेख कोपड़ रहा है यदि तो बताये की ऐसे लोगों की सोच समाज को कहाँ ले जा रही है, अभी जिस वीडियो की ऊपर मैने बात की तो उस पर कुछ ऐसे कमेंट थे, “साले तुम ...गांडू”, “तेरी म चोदू, बहन चोदू” ”, तुझे चोदू” बस चोदना चोदना चोदना................ये भाषा लोग बोलते हैं जो खुद को इकलौता राम या कृष्ण यादेवी शक्ति का भक्त बोलते हैं या अल्लाह के परमप्रिय जो बनते हैं या जीसस के सबके मुह में बस ऐसे शब्द, और इन्ही शब्दो से मज़हब बचा भी है।

  लेकिन इन शब्दों से आप लोगो ने नोटिस किया कि नारी को ये किस नज़रिये से देखते हैं, नारी इन सबके लिए बस एक चोदने की वस्तु है,औऱ लोग ऐसा नही कर रहे जैसा कि निम्न कंमेंट से अंदाजा लगता है लो नारी पर बहुत बड़ा अहसान कर रहे हैं, इनके अनुसार नारी और उसका परिवार चले तो ठीक नही तो इनको पेंट उतारने में देरी नही लगेगी,बड़ी जल्दी रहती है इन लोगो को पेंट उतारने की तबी तो बात बात पर चोद दूंगा चोद दूंगा करते रहते हैं, जब लगता है इनकी हार हो रही है बस पेंट उतारने लग जाते हैं चाहे वो बातचीत में हो कमेंट में या अन्य स्थान।


  मुझे लगता है जो लोग बात बात पर यू नंगे हो जाते है उन्हें पूरा नंगा करके मुँह काला कर के पूरे समाज मे पहले घुमाया जाए, उसके बाद जिसको ले कर इन्हें बहुत घमण्ड है अपने मर्द होने पर वही काट देना चाहिए क्योंकि यही लोग नारी के साथ ब्लात्कार जैसी घटनाओं को अंजाम देते है, सरकार को ऐसे नियम बनाने चाहिए जो लोग ऐसी भाषा इस्तेमाल करता है उसको ये दण्ड जरूर दे जो ऊपर मैंने सुझाया साथ ही शियकत करता के लिए जगह जगह शिकायत केंद्र होने चाहिए, सोशल मीडिया आदि पर एक ऑप्शन आना चाहिए शिकायत केंद्र का हालांकि रिपोर्ट का ऑप्शन आता है लेकिन देखा मैंने कि उस पर ज्यादा असरदार रेस्पॉन्स नही मिलता जो गलत है, साथ ही सोशल मीडिया पर ऑटो डिलीट ऑप्शन भी आना चाहिए जो इस तरह की टिप्पणी को खुद डिलीट कर दे साथ ही ऐसी टिप्पणी करने वालो को परमानेंट ब्लॉक कर दे, साथ ही महिलाओं को चाहिए की सोशल मीडिया या उनके दफ्तर या कॉलेज या पड़ोस में भी इन लफ़्ज़ों का इस्तेमाल करता है तो सख्ताई जरूर दिखाए और मना करे साथ ही उसके घर पर भी शिकायत करे हालांकि कुछ परिवार वाले कहेंगे कि वो तो लड़का है करेगा ही तो उन्हें ये अहसास जरूर कराये की तुम्हारे घर मे भी औरते है और मेरे घर मे भी पुरुष, अगर इस तरह से सबको खुल्लमखुल्ला छूट मिल जाये तो ये दुनिया भी तवायफ का कोठा बन जाये, बेहतर हो घर की औरते ही ऐसे मर्दोपर पाबंदी लगाये साथ ही परिवार वालो को नारी इज़्ज़त करना सीखना चाहिए न कि नारी बस या घर की नोकरानी बन सबके लिए खाना बनाना कपड़े धोना घर साफ करना आदि कार्य करने वाली या बच्चे पैदा करने की मशीन या भोग की वस्तु नही तुम्हारी तरह इंसान है और उस को लेकर गाली देने से पहले सोच लो तुम भी और तुम्हारे पूर्वज भी इसी औरत की देन है, अगर बचपन से ही ये सीख घर स्कूल से बच्चों को मिले तो यकीनन आने वाला समाज आज से बेहतर होगा, हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई नही बच्चों को इंसान और इंसानियत सिखाये।

दोस्तो मेरे लेख पर आपकी क्या राय है मुझे कमेंट जरूर करे पर हैं अश्लील भाषा इस्तमाल न करते हुए


धन्यवाद




Monday 14 January 2019

ईश्वर वाणी-268, ब्रमांड का फैलाव

ईश्वर कहते हैं, " हे मनुष्यों यद्दपि तुम्हे मैंने ब्रमांड जगत की अनेक बाते और रहस्य बताये है, किंतु आज तुम्हे एक और रहस्य इस ब्रह्मांड जगत का तुमको बताता हूँ।

तुमने सुना होगा कि अनेक ज्ञानी विज्ञानी कहते हैं कि ब्रह्मांड बढ़ रहा है, फैल रहा है, चंद्रमा जो पहले पृथ्वी के बेहद करीब था अब काफी दूर हो चुका है, सब ग्रह धीरे धीरे दूर हो रहे है, आज तुम्हे इसका रहस्य बतात हूँ।
  हे मनुष्यों ये ब्रह्मांड एक इलास्टिक के समान है, जैसे एक बहुत बड़ी इलास्टिक को अंडाकार कर के उसके अंदर काफी चीज़ डाली जाए, और तब तक डाली जाए तब तक इलास्टिक टूट न जाये, इस क्रिया के दौरान तुम देखोगे की इलास्टिक कितनी बड़ी हो गयी थी टूटने से पहले और उसमें काफी कुछ समा गया था टूटने से पूर्व।

यही प्रक्रिया इस अंतरिक्ष की भी है, हालांकि इसको अनन्त बोला जाता है साधारण जन भाषा मे लेकिन ये अनन्त नही है, इसकी भी एक सीमा है, और जब वो टूटेगी तब सब कुछ शून्य में समा कर शून्य हो जाएगा जिससे इनका जन्म हुआ है।

  हे मनुष्यों अभी जो ज्ञानी लोग कहते है की अंतरिक्ष बढ़ रहा है, वो इस क्रिया के कारण की कई अणुओं में लगातार अभी भी विष्फोट निरंतर अन्तरिक्ष में हो रहे है, जिनमें से कई तो इस विस्फोट से ग्रह नक्षत्र या तारे का रूप बन जाते है किंतु कुछ नही, अर्थात जिन अणुओ को कोई रूप नही मिलता वो पुनः एकरत्रित होने लगते है और फिर उनमें पुनः विस्फोट होता है जो फिर कोई न कोई रूप ले लेता है, इस तरह सृष्टि की शुरुआत से लेकर अनन्त काल तक ये प्रक्रिया युही चलती रहेगी।
 इस प्रक्रिया के कारण ऊर्जा उत्पन्न होती है जो आस पास के गृह नक्षत्रो को अपने पास खींचती है, जैसे चुम्बक लोहे की धातु को अपने पास खींचती है, किंतु ग्रह नक्षत्र एक दूसरे से आपस मे गुरुत्वाकर्षण बल की ऊर्ज़ा के कारण एक दूसरे से जुड़े होते है, इसलिए किसीभी अन्य नए व पुराने ग्रह से नही टकराते यधपि अपने पुराने स्थान से दूर अवश्य चले जाते है, यही कारण है कि प्राचीन काल मे चन्दमा धरती से जितना करीब था अब काफी दूर है और भविष्य और दूर होगा और सिर्फ चन्दमा ही नही सभी ग्रह धीरे धीरे दूर होते जाएंगे और एक दिन अनन्त शून्य में समा जाएंगे एक नवीन रहस्यों सेबभरा ब्रमांड बनने के लिए"

कल्याण हो

Thursday 10 January 2019

ईश्वर वाणी-267, अधिकता अथवा कमी का असर

ईश्वर कहते है, "है मनुष्यों जैसे तुम्हारे शरीर मे मैंने कुछ अतिरिक्त नही दिया है वैसे ही इस पृथ्वी व सम्पूर्ण ब्रह्मांड में कुछ अतिरिक्त नही दिया है, जैसे तुम्हारे शरीर मे किसी चीज़ की अधिकता या कमी होने पर तुम अनेक परेशानियो का सामना करते हो वैसे ही ईश पृथ्वी व ब्रह्मांड में किसी की अधिकता या कमी से भी अनेक परेशानिया ही बढ़ेंगी।

  इसीलिये हे मनुष्यों जैसे तुम्हारे शरीर मे किसी चीज़ की अधिकता या कमी न हो इसके लिए निम्न नियम बनाये है, जिनका पालन करने से तुम एक स्वस्थ जीवन जीते हो वैसेही   समस्त ब्रह्मांड के लिये है जिसके अनुरूप ये समस्त जगत कायम है।

यधपि इसकी अधिक या कम मात्रा सृष्टि व प्राणी जगत के लिये घातक होती है, मैंने तो यधपि सब संतुलित भेजा है किंतु मनुष्य इससे असंतुलित कर अपना विनाश खुद लिख रहा है, यदि वो न रुका तोनिश्चित ही भयावह होगा अति भयावह।"

कल्याण हो

Sunday 30 December 2018

प्रभु येशु का एक गीत। "येशु तेरे चरणों की"



येशु तेरे चरणों की इक धूल जो मिल जाये
माथे से लगा लू जो
ये जीवन सवर जाए

येशु तेरे चरणों की....................।

भटके  हुए कदमो को इक मन्ज़िल मिल जाये
तू थाम जो हाथ मेरा
ये जीवन सुधर जाए

येशु तेरे चरणों की इक धूल जो मिल जाये........................।

मझधार में फंसी नैया पार तो हो जाये
तू रोक दे जो ये तूफान
ये भवर तो थम जाए

येशु तेरे चरणों की........
.............................।

Monday 19 November 2018

ईश्वर वाणी-266 कही अधिक समय न हो जाये

ईश्वर कहते है, "हे मनुष्यों ये दुनिया ये धरती और इस पर रहने वाले सभी जीव मेरे लिए उस राजा के बाग के सुंदर पुष्प के समान है जिसके बाग में सदा ऐसे ही फूल खिलते हो और बाग को सदा ऐसे ही महकाते हो।


वही मनुष्य मेरे लिए उस माली के समान है जिस पर एक बाग की ज़िम्मेदारी होती है, उसका कर्तव्य होता है कि किसी भी फूल, पौधे या पेड़ को किसी तरह का कोई नुकसान न हो, यदि कोई फूल या कली या पौध या पेड़ मुरझा रहा है तो माली देखता है कि ऐसा क्यों हो रहा है साथ ही इसका निवारण वो करता है, जैसे एक पिता के लिए उसकी संतान होती है और पिता पूरी जिम्मेदारी के साथ अपनी संतान का ख्याल रखता है  वैसा ही रिश्ता माली और बाग में लगे इन सभी पुष्पों, पौधों और वृक्षों का होता है।
किंतु क्या हो अगर माली खुद को इस बाग का स्वामी समझने लगे, अपनी शक्ति इस बाग की देखभाल के स्थान पर इसको उजाड़ने में लगाने लगे, फूलो को तोड़ कर पैरो तले कुचलने लगे, कलियों समय से पहले ही तोड़ दे पेड़ से और पैरों से कुचलने लगे, क्या हो माली और बाग के इन फूलों का पेड़ो का और पौधों का रिश्ता जो पिता और संतान का था आज मालिक और दास का बन गया है, अपने अभिमान में माली समस्त बगिया उजाड़ कर मनुष्यों की एक बस्ती बना दे।
क्या हो जिस बाग पर वो अधिकार दिखाने लगा है उसके असली मालिक को वो तुच्छ मान कर मनमानी करने लगे, क्या वो मालिक चुप रहेगा माली की इस हरकत पर या दंड देगा?
हे मनुष्यों दंड मिलेगा माली को या नही ये बाद में में तुम्हे बताऊंगा लेकिन तुम खुद देखोगे और महसूस करोगे एक सुंदर बाग के उजड़ने पर वो स्थान कैसा लगता है, क्या तुम्हें वो स्थान अच्छा लगता है, क्या ऐसा करने वाले कि तुम तारीफ करोगे??
हे मनुष्यों ये पूरी धरती व समस्त ब्रह्मांड मेरा घर है, धरती पर रहने वाले सभी जीव जंतु मेरे  धरती रूपी बगिया के सुंदर फूल है, चुकी मैंने श्रष्टि के प्रत्येक जीव को कोई न कोई कार्य दिया है, तो मैंने इस बगिया रूपी धरती की देखभाल व मेरे इन प्यारे पुष्पों की देखभाल हेतु मनुष्य बनाये, जिन्हें इनकी देखभाल का कार्य सौंपा।
किंतु समय के साथ मनुष्य खुद को यहाँ का स्वामी समझने लगा, जो अधिकार उसे मैने मेरी बगिया की देखरेख के दिये उसे उसने उसे अपनी शक्ति समझ इस बगिया को उजाड़ना शुरू कर दिया।
आज ये हालात है कि मेरी बगिया के कई फूल आज सदा के लिए धरती से गायब हो गए हैं, किन्तु मैं भी इस पूरी बगिया मालिक हूँ, मैंने भी मनुष्य को ऐसा सबक सिखाया है कि मनुष्य खुद अपनी जाति का शत्रु बन बैठा है और वो समय दूर नही जब मनुष्य खुद अपनी ही जाती के विनाश का उत्तरदायी होगा।
भाव ये है इंसानी स्वार्थ चाहे जीभ का स्वाद चाहे परंपरा या रीति रिवाज या मौज मस्ती इन सब के कारण मनुष्य निरीह जीवो की हत्या करता है, और इस कारण धरती से कई जीवो की प्रजाति पूरी तरह लुप्त भी हो चुकी है लेकिन फिर भी मनुष्य नही थमा है, वो आज भी निरीह जीवो को सताता है, मारता है खाता है वो भूल जाता है जिन अंगों को वो खा रहा है वो उसके अंदर भी है, क्या हो अगर कोई उसके अंगों को भी इसी तरह खाये, रीति रिवाज, मौज मस्ती या जीभ के स्वाद के लिए कोई उसके परिवार को मार दे तो कैसा लगेगा, तो जिन्हें तुम मारते व खाते हो क्या हुआ जो तुम्हारी भाषा वो नही बोलते तुम उन्हें मारते व खाते हो, क्यों ये पाप करते हों, मेरे अनुसार जब तक तुम्हारी जान पर न बने तब तक किसी भी प्राणी की किसी भी तरह हत्या नही करनी चाहिए, किसी निरीह या निर्दोष की जान बचाने हेतु भी की हत्या किसी पाप की श्रेडी में नही आती किंतु इसके अतिरिक्त जीवो की हत्या पाप है, क्योंकि प्रत्येक जीव को मैंने बनाया है, जैसे तुम्हे बनाने के कारण मैं तुम्हारा परमपिता हूँ  उसी तरह मैं उनका भी आदि पिता हूँ, मेरे लिए तुम सब समान हो, मेरे लिए भौतिक देह मायने नही रखती की तुम मनुष्य हो या अन्य जीव क्योंकि ये देह तो आत्मा रूपी तन को ढकने का एक वस्त्र समान है,

साथ ही मनुष्य जिसने अपने अधिकारों का गलत उपयोग शुरू कर जीवों की हत्या की निरीहों का रक्त बहाया, उन्हें यातना दी, उनकी हाय उनकी बद्दुआ समस्त मानव जाति को लगी और इसलिए इंसान इंसान का दुश्मन बन अपनों का और अपनी जाति का विनाश करने पर तुला है, जाती, धर्म, सम्प्रदाय, भाषा,वेशभूषा आदि के नाम पर मनुष्य लड़ कर एक दूसरे की हत्या कर रहा है, जितना खुद का विकास किया है उतना ही विनाश के साधनों का विकास कर अपने विनाश के तरफ तेज़ी से बड़ा है।

मनुष्य ने जैसा बोया वैसा ही उसे फल मिल रहा है किंतु अभी भी समय है सुधर जाओ कही अधिक समय न हो जाये और पश्चाताप का समय भी न मिले धरती से जीवन ही नष्ट हो जाये।"

कल्याण हो