Friday 18 November 2011

A True Love Story

हेल्लो दोस्तों आज हम आपको एक सच्ची प्रेम कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिसका अंत क्या होगा हमे नही पता इसके लिए हमे आपके मशवरे की जरूरत पड़ेगी, तो कृपया आप सब लोग मेरी इस कहानी को पड़ कर अपना मशवरा मुझे जरूर दे, धन्यवाद!








समीरा दिल्ली मैं अपने परिवार के साथ रहती थी, ज़िन्दगी में उसने कभी कोई ख़ुशी न मिल पायी थी, अपनी २१ साल की उम्र में उसने सिर्फ दुःख और अकेलापन ही पाया था, घर और बाहर हर जगह उसने खुद को हमेशा तनहा ही पाया था, उसकी मासूमियत ही उसके दुश्मन थी, उसका भोला पन ही था शायद जिसकी वज़ह से उससे हर जगह उपेक्षा ही मिली, अपना हक अगर मांगी थी घर में तो सिर्फ वो लड़की है उससे ज्यादा नही बोलना चाहिए ये कह कर चुप कराने की कोशिश की जाती, कोई और था नही उसका साथ देने वाला मजबूर हो कर वो भी चुप हो बैठ जाती, और सोचती कही तो होगा वो जो उससे बेहद प्यार करेगा, जो उससे ऐसी दुनिया में ले जायगा जहाँ सिर्फ और सिर्फ प्यार ही प्यार होगा, वो उससे इतना प्यार देगा की अब तक की उसकी ज़िन्दगी के सारे दुःख दर्द उसका प्यार कम कर देगा,




वक़्त ऐसे ही बीत रहा था की उसके घर के पास शुभम नाम का लड़का रहने आया, वो समीरा की पहली उससे मुलाक़ात थी, समीरा को उससे देख कर ऐसा लगा जैसे शायद ये वो ही है जिसका उसने अब तक इंतज़ार किया है, वो उससे धीरे धीरे चाहने लगी पर दिल की बात उससे न पता लगने दी,


फिर एक बार उस लड़के का ज़िक्र उसने अपनी एक सहेली नीता से किया, उसने कहा जा एक बार बोल दे उससे अपने दिल की बात क्या पता वो भी तुझे चाहने लगी, पर समीरा ऐसा न कर पायी, वो उसके दिल की बात जाना चाहती थी, वो चाहती थी की कही उसकी ज़िन्दगी में और कोई तो नही है, कही वो ज़बरदस्ती तो उसकी ज़िन्दगी में नही जा रही है,
    इससे उधेड़बुन में वो रहती थी, और एक अच्छा सा मौका दे कर उससे अपने दिल की बात बताने की सोचती थी, हर रोज़ सुबह शाम छिप छिप कर उससे देखना जैसे उसकी आदत बन गयी थी, जिस दिन उससे न देख पाती थी उससे रात को नींद भी नही आती थी, सोचती रहती आज उसका दिन कैसा रहा होगा, वो थक गया होगा बहुत, काश मैं उसके लिए कुछ कर सकती, 



वक़्त यु ही बीतता गया, एक दिन उससे पता चला की हमेशा के लिए वो कही जा रहा है, समीरा का दिल टूट सा गया क्यों की वो अब तक उससे अपने दिल की बात जो नही बता पायी थी, पर चाहती थी एक बार उसके जाने से पहले उससे बता दे की वो उससे कितना चाहती है, उसने अपनी एक बहुत ही ख़ास सहेली  से इस बारे में बात की और उसने कहा की दिल की बात खाली हाथ नही करनी चाहिए कुछ दे कर उससे कहोगी तो उससे अच्छा लगेगा और शायद वो फिर यहाँ से जाए ही नही, 
     ये कह कर उसकी सहेली उससे मार्केट ले गयी और वह से सबसे खूबसूरत महंगा ग्रीटिंग कार्ड और एक नन्ही सी डोल जैसा कुछ ( जिससे देख कर लगता था की वो किसी का इंतज़ार कर रही है) ले कर आई, और एक मौका देखने लगी उससे इससे दे कर उससे बात करने का और दिल बात कहने को कहा  , उसकी सहेलियों ने सलाह दी  की चुपके से उसके घर पे रख आओ और एक साथ में चिठी जिसमे तुम अपने मन की बात लिख देना, पर शायद किस्मत का और कुछ फैसला था,


       उसके कुछ कहने से पहले ही वो जा चूका था, उसके सही मौके के इन्जार में वो इस शहर से दूर कही जा चूका था, समीरा को न उसके शहर का पता था और न किसी तरह संपर्क का,



उसका दिल बुरी तरह टूट कर बिखर गया, कहाँ जाए कैसे उससे संपर्क करे कुछ पता नही था, वो हर वक़्त भगवान् से प्राथना करती रहती काश एक बार उससे देख लू मैं, वो ठीक तो है ये जान लू मैं फिर चाहे न मिले ज़िन्दगी में वो कोई शिकवा नही,  उसकी भगवान् ने आखिर सुन ली, कुछ वक़्त आया वो वह पर समीरा ने उससे फिर भी अपने दिल की बात उससे नही की, देखती रही वो एकटक, भारती रही अपनी नज़रो में उससे क्यों की वो जानती थी शायद ये उसकी आखिरी मुलाक़ात है, 


उसके जाने के बाद समीरा ने उससे भुलाने की बहुत कोशिश की, खुद को बहुत ज्यादा व्यस्त  रखा, पर दिल से उसका ख्याल नही जाता था, जाने क्या हो गया है उससे ये समझ नही आता था,
        किस्मत ने फिर एक खेल खेला, एक दिन वो वह गयी जहाँ शुभम रहता था उसके घर के पास, वह कुछ उसके ऑफिस के पेपर्स मिले, जिनसे उससे उसके घर का  फ़ोन नंबर और ईमेल आई दी मिला,  समीरा ने उसके घर पर फ़ोन कर के उसका मोबाइल नंबर ले लिया, वो चाहती थी की उससे फ़ोन कर के अब तो अपने दिल बात उससे बता दे, कह दे उससे की वो उसके बिना नही रह सकती है, उसके जाने का इतना वक़्त हो गया दिल से उसकी याद नही जाती है, पर फिर वो डरती थी कही उसकी ज़िन्दगी में अब कोई और न लड़की आ गयी हो, कही वो उससे ठुकरा न दे, वो उससे इतना चाहने लगी थी की उसकी न तो वो सुन ही नही सकती थी, कभी सोचती की अगर वो उससे फ़ोन करेगी तो पता नही वो उससे पचानेगा की नही, क्या सोचेगा उसके बारे में, इस तरह न जाने कितने ख्याल उससे आते, फिर सोचती की उससे मेल कर के उससे सब कुछ बता दू, पर इससे दर से उससे कुछ न कह पाती की वो कही उससे ठुकरा न दे,



        फिर उसकी जिंदगी में एक लड़की आई, समीरा को लगा जैसे शायद ये लड़की उसके इस मामले में कोई मदद कर सकती है, उसने उससे अपनी समस्या बताई, उसने उससे समझया इस तरह घुट घुट कर जीने से तो अच्छा है एक बार उससे बात कर के अपने दिल की बात बता दो और सब कुछ साफ़ कर लो, जो भी वो फैसला उससे ख़ुशी ख़ुशी एक्सेप्ट कर लो, अगर वो न कहे तो उससे कभी बात मत करना और अगर हाँ कहे तो ये तुम्हारा लक्क है,



उसकी बात मान कर समीरा ने मेल के द्वारा शुबम को अपने दिल की बात बता दी, शुबम ने भी उससे ख़ुशी ख़ुशी एक्सेप्ट किया साथ ही कंप्लेंट भी की क्यों की उसने इतना वक़्त क्यों लगाया अपनी बात कहने में, अब वो उससे दूर है कैसे उससे मिल पायगा, समीरा ने कहा दिल से दूर नही होना चाहिए जगह की दूरी कोई दूरी नही होती,











सो मेरे प्यारे दोस्तों ये तो था कहानी का एक हिस्सा और अभी बाकी है, आपको कैसा लगा ये मुझे कृपया जरूर बताइयेगा, मुझे आपकी राय चाहिए...........

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