Friday 18 November 2011

A True Love Story ( part !! )

प्यारे दोस्तों तो आपने मेरी कहानी का पहला भाग पड़ा, मुझे उम्मीद है की आपको अच्छा लगा होगा, दोस्तों अब हम आपको अपनी कहानी का दूसरा भाग लिखने जा रहे हैं, और उम्मीद करते हैं की ये भी आपको बहुत पसंद आएगा,






समीरा शुभम का साथ प् कर बहुत ही ज्यादा खुश थी, उससे तो जैसे जन्नत ही मिल गयी थी, समीरा को उसका पहला प्यार जो उससे मिल गया था, उसे वो पल मिल ही गया था आखिर जिसका वो न जाने कब से इंतज़ार कर रही थी, पर शायद ये ख़ुशी ज्यादा दिन की नही थी,


    समीरा की मासूमियत यहाँ भी उसकी ख़ुशी में बाधा बन्ने लगी, अनजान सी,भोली  सी, दुनिया के बनावटीपन से दूर समीरा को शुभम का व्यवहार कुछ अजीब सा लगता था, पहला प्यार था उसका, अनजान थी हर रिस्ते से वो, पर शुभम  उसको ठीक से नही समझता था, उसकी मासूमियत की वज़ह से बहुत बार उसकी हर मोड़ पर बेईज्ज़ती करने लगा, उसमे खामिया गिनने लगा, समीरा को कुछ समझ नही आता था की वो क्या करे, आखिअर वो उससे रिश्ता ख़त्म करना चाहती थी, उसे लगने लगा था की वो शुभम के लायक नही है बल्कि किसी के भी लायक नही है, हर रोज़ लड़ाई से अच्छा है रिश्ता ही ख़त्म कर दिया जाए,
     शुभम भी शायद ये ही चाहता था, दोनों ने अलग होने का फैसला ले लिया, पर कुछ दिन बाद फिर एक हो गए, दूर होने पे इन्हें अपने प्यार का अहसास हुआ, पर शुबम का वयवहार अब भी नही बदला था, बात बात पे लड़ता, उसे दुःख पहुचता, उसने कभी उसके दिल को जान्ने की कोशिश नही की, नहीं जाने को कोशिश की वो उससे कितना चाहती है, और न ही ये की उसे उसके प्यार की कितनी जरूरत है, बचपन से ही जिसने सिर्फ आंसू देखे हो उससे पैसे नही सिर्फ सच्चा प्यार चाहिए, जो उससे हमेशा खुश रखे, ये ही वो सिर्फ शुभम से चाहती थी, पर वो इन् से अनजान सिर्फ समीरा हो गमो के सागर में डुबो कर रखता था,



फिर एक दिन उसने ऐसा झगडा कर के ऐसा उसका दिल तोडा की समीरा को अपने एक सहेली के साथ दिल्ली से दूर किसी और शहर जाना पड़ा, वह उससे भुलाने की बहुत कोशिश की उसने पर न कर सकी वो, वहां जब भी घूमने वो जाती तो मन्नतो में सिर्फ शुभम को ही मांगती थी की वो उसकी ज़िन्दगी में वापस आ जाए, उससे पाने के लिए वो कुछ भी करने को तैयार थी, कांटो पे चलने को भी तो तैयार थी, बहुत कष्ट सहा उसके लिए और उस नादान ने कभी जाहिर भी नही होने दिया उसे कुछ सिवाए अपने प्यार के,



वक़्त ने एक बार उसे शुभम को दिया, पर शुभम की आदतों में अब भी कोई सुधर नही था, दिल दुखता था बार उसका, किस्मत ने एक बार करवट बदली, समीरा अपने परिवार के साथ उसके शहर जो की एक तीर्थ स्थल था वह आई, उसने सोचा इतने सालो से जो उससे नही मिली हूँ अब उससे मुलाक़ात हो जायगी, पर नसीब में उसे मिलने नही था लिखा, वो उसके पास से निकल गयी पर उसे न देख पायी,

     वापस दिल्ली आने में पे उसकी आँखों में सिर्फ आंसू थे, पता नही कब मिलूंगी उससे ये सोच सोच कर आंसू गिराए जा रही थी वो, कोई न देख ले उसके आंसू इसलिए बार बार वाशरूम रा रही थी वो,




भगवन ने फिर एक बार उसके साथ मजाक किया कुछ दिन बाद शुभम दिल्ली आया, उसने उससे वहां आ कर संपर्क किया पर उस दिन समीरा मंदिर गयी थी, और अपना फ़ोन घर पे छोड़ गयी थी, जब वापस आई और उसने शुभम की छूटती कॉल देखि तो उसने फोन पे उससे संपर्क किया पर तब तक वो दिल्ली से जा चूका था,



धीरे धीरे वक़्त फिर ऐसे ही बीतता रहा, कुछ दिन बाद फिर शुभम दिल्ली आया पर समीरा फिर उससे न मिल सकी किसी वज़ह से, कुछ दिन बाद शुभम ने समीरा से फिर झगडा किया और उससे बात करनी बंद कर दी, प्यार की प्यासी समीरा को लगा की उसकी वज़ह से शुभम को दुःख पंहुचा है, वो मथुरा ब्रिन्दावन दर्शन के लिए गयी, वह अपनी गलती जो उसने की थी नहीं थी भगवन से माफ़ी मांगी सिर्फ शुभम के लिए और तपती ज़मीन पे पूरा ब्रिन्दावन घूमी, ये सोच कर की उसकी वज़ह से शुभम को दुःख पंहुचा है तो ये उसकी सजा है, उसने शुभम को दुःख कैसे दे दिया...... ज़िन्दगी के हर मोड़ पर वो सिर्फ उसकी ख़ुशी चाहती थी और बदले में सिर्फ उसका प्यार....




ज़िन्दगी चल रही थी फिर एक दिन अचानक ऐसा मोड़ आया जिसने बहुत कुछ बदल के रख दिया, शुभम ने फिर से बुरी तरह समीरा का दिल तोड़ दिया, इस बार समीरा फैसला किया की अब वो इस रिश्ते को ख़त्म कर के किसी और का हाथ थाम लेगी जिससे वो नही  वो उसे बेहद चाहेगा, अपनी इस्सी चाहत को तलासने लगी, कोई उससे ऐसा नही मिला जो उसे सच्चा लगे, फिर एक दिन उसकी एक नेट फ्रेंड ने एक लड़के से उसका परिचय करवाया,धीरे धीरे उनकी बात चीत होती गयी, कुछ दिन बाद उस लड़के ने समीरा को प्रस्ताव दिया, समीरा प्यार की भूखी थी ऊपर से शुभम द्वारा बार बार उसका दिल तोडना, परेशान हो कर समीरा ने उस लड़के प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और उसे कुछ अपने ख़ास दोस्तों से मिलवाया, दोस्तों को भी उसने प्रभावित कर दिया, समीरा को लगा की दोस्तों को जिसने इतना प्रभावित किया है जरूर वो एक अच्छा इंसान होगा, समीरा की नादानी ने एक बार फिर उसे धोखा दिया,

    उस लड़के ने भी सिर्फ समीरा और उसके जज्बातों के साथ खिलवाड़ कर के छोड़ दिया, वक़्त और हालत से हारी हुई समीरा टूट सी गयी, पर ये क्या हुआ फिर से उसकी जिंदगी में शुभम आने लगा था, सोचा समीरा ने शायद भगवाने ने उसे ही मेरी किस्मत में लिखा है, अब मैं इसे छोड़ कर कही नही जाउंगी, जो कुछ भी उसके साथ हुआ वो सब कुछ उसने शुभम को बता दिया, सोचा उसने शुभम उससे प्यार करता है ये तो सब जान कर भी उसे चाहेगा,


पर सब कुछ जान्ने के बाद शुभम उसे शादी नही करना चाहता, वो सिर्फ उसे अपनी प्रेमिका चाहता है पर जीवन साथी नहीं, पर सच तो ये समीरा के साथ जो कुछ  भी हुआ इसका काफी हद तक ज़िम्मेदार शुभम भी है......



              मेरे प्यारे दोस्तों मेरी कहानी पड़ कृपया मुझे बताये की शुभम को समीरा से शादी करनी चाहिए या नही, क्या साड़ी गलती सिर्फ समीरा की है या फिर दोनों की, अगर सजा दी जाए तो किसे दी जाए...




धन्यवाद दोस्तों




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