Sunday 5 January 2014

बस दो बूँद मोहब्बत कि इस ज़माने से मुझे चाहीये




बस दो बूँद मोहब्बत कि इस ज़माने से मुझे चाहीये, धन-दौलत नहीं बस प्यार भरी  बौझार मुझे चाहिए, भीगा दे मुझे प्यार में जो इस कदर जैसे भिगो देता है सावन धरती को जिस कदर बस वैसे  ही मोहब्बत में भिगोने वाला साथी मुझे चाहिए, दो पल का साथ नहीं जो उमर थाम सके हाथ मेरा बस ऐसा दिलबर मुझे चाहिए, 


झूठे ख्वाब  दिखाने वाले मिले मुझे बहुत इस ज़माने में, झूठ पे रिश्ता बनाने वाले मिले बहुत मुझे इस ज़माने में, पल दो पल के साथ के बाद बीच मझधार में छोड़ के जाने में मिले मुझे बहुत इस ज़माने में,

टूट कर बिखर गयी हूँ में जैसे मोती टूट कर बिखरते है माला से, जो इन मोतियों  को फिर से पिरो कर माला बना दे, बना के माला  सदा के लिए अपने गले से लगा कर सीने में छिपा ले मुझे तो  बस ऐसा एक हमसफ़र चाहिए,



बहते हुए मेरी आँखों से जो इन अश्को को रोक सके वो दीवाना मुझे चाहिए, मेरी सूनी ज़िन्दगी में जो भर सके अनेक रंग वो परवाना मुझे चाहिए, 



मेरे ख्वाबो से निकल कर सामने अब तो उसे आना चाहिए, अकेली हूँ कितनी मैं उसके बिना अब तो साथ उसे मेरा देना चाहिए, छिपा है जो जो दुनिया में कही अब तो पास उसे मेरे आना चाहिए, दूर है या करीब है जहाँ भी है वो उस जगह छोड़ मेरे इस दिल में बस जाना अब उसे चाहिए,


है जानी कितनी कड़वी यादें मेरी इस ज़िन्दगी कि, इन यादों से बाहर निकालने वाला वो हमनशी मुझे तो बस चाहिए, ख़ुशी कि चाहत में जो मिले है गम मुझे इस ज़माने से उन ग़मों को दूर कर ख़ुशी के कुछ ही पल जो दे सके मुझे वो शख्स बस मुझे चाहिए,बस दो बूँद मोहब्बत कि इस ज़माने से मुझे चाहीये, बस दो बूँद मोहब्बत कि इस ज़माने से मुझे चाहीये

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