Sunday 23 November 2014

ईश्वर वाणी-६३

ईश्वर कहते हैं "मैं कभी किसी भी प्रकार की हिंसा का समर्थन नहीं करता हूँ, यदि कोई इंसान मुझे आगे करके अथवा मेरी किसी बात का वास्ता दे कर किसी भी प्राणी को आहत करता है ऐसे व्यक्तियों से मैं कभी प्रसन्न  नहीं होता चाहे वो मेरी कितनी ही पूजा आराधना कर ले अथवा वो कितना ही बड़ा भक्त होने का दावा कर ले किन्तु ऐसे व्यक्ति को मैं अपना भक्त अथवा भक्त होने के काबिल न समझ कर उसकी किसी भी प्रकार की पूजा स्वीकार   नहीं करता,


मैं केवल उन्ही का हूँ जो अहिंसा का मार्ग अपना कर सदेव सत्कर्म करते हैं, कभी किसी भी प्राणी को  नहीं आहत करते, ऐसे व्यक्ति यदि मेरी पूजा-आराधना ना भी करे तब भी मेरी कृपा को पाते हैं,



जो लोग मेरा नाम ले कर हिंसा का मार्ग अपनाते है वो शैतान का साथ देते हैं, किन्तु जो लोग सच्ची भावना रखते हैं मुझ पर, सच्चा विश्वास है जिनका मुझपर वो सत्य, अहिंसा, नेकी, सत्कर्म का मार्ग अपनाकर सचरित्र हो कर बेहतर समाज का निर्माण करते हैं  और मेरी कृपा के पात्र बनते हैं "




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