Monday 2 May 2016

ईश्वर वाणी-१४३, रावण का ग्रहों को बन्दी बनाना

ईश्वर कहते है, "हे मनुष्यों यध्पपि तुमने रावन द्वारा सभी ग्रह नकशत्रों को बन्दी बना के रखने की बात सुनी होगी, किंतु ये पूर्ण सत्य नही है, ऐसा संसार मैं मुमकिन ही नही है कि आकाश मैं तैरते ग्रहों को कोई धरती पर ला कर कैद कर सके, प्रथ्वी का व्यास ही नही है इतना तो,
यदि रावण मैं इतना ही साहस और शक्ति होती तो वो स्वर्ग एवं समस्त ईश्वरीय रूपों को अपना दास बना उन्हे कैद कर लेता,
किंतु इसके अतिरिक्त ये भी सत्य है रावण ने इन सभी ग्रहों को कैद किया था,
सत्य तो ये है रावण ने ग्रह नक्शत्रो को नही उनकी समस्त शक्तियो को अपनी विध्या से कैद कर लिया था जिसका उपयोग वो अपनी भलाई और अन्य प्राणियों को कष्ट पहुचाने मै करता था,
इसी कारण उन स्थानों पर ग्रहों की शक्ती का प्रभाव आज भी और अनेक वर्सों तक रहेगा जैसे त्रेता के समय मैं था''
ईश्वर कहते है, "हे मनुष्यों यध्पपि तुमने रावन द्वारा सभी ग्रह नकशत्रों को बन्दी बना के रखने की बात सुनी होगी, किंतु ये पूर्ण सत्य नही है, ऐसा संसार मैं मुमकिन ही नही है कि आकाश मैं तैरते ग्रहों को कोई धरती पर ला कर कैद कर सके, प्रथ्वी का व्यास ही नही है इतना तो,
यदि रावण मैं इतना ही साहस और शक्ति होती तो वो स्वर्ग एवं समस्त ईश्वरीय रूपों को अपना दास बना उन्हे कैद कर लेता,
किंतु इसके अतिरिक्त ये भी सत्य है रावण ने इन सभी ग्रहों को कैद किया था,
सत्य तो ये है रावण ने ग्रह नक्शत्रो को नही उनकी समस्त शक्तियो को अपनी विध्या से कैद कर लिया था जिसका उपयोग वो अपनी भलाई और अन्य प्राणियों को कष्ट पहुचाने मै करता था,
इसी कारण उन स्थानों पर ग्रहों की शक्ती का प्रभाव आज भी और अनेक वर्सों तक रहेगा जैसे त्रेता के समय मैं था''

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