Wednesday 8 June 2016

ईश्वर वाणी-१४६, ईश्वर और शैतान

ईश्वर कहते हैं "हे मनुष्यों तुम्हारे अन्दर की बुराई ही शैतान है, यदि तुम्हारे मन मैं थोड़ी भी कटु भावना और बुराई है, शैतान तुम पर हावी होने की कोशिश करेगा और सम्भव है पूरी तरह वो अपने वस मैं कर तुमसे बुरे और घ्रणित कर्म कराये जिसका दण्ड तुम पाओगे क्यौकि समय रहते तुमने शैतान को खुद पर हावी होने दिया,

यदि समय रहते तुम चेत जाते, भौतिक आन्नद के फेर मै ना पड़ते, ईश्वर की आराधना कर शैतान से खुद को दूर रखने की प्राथना करते निश्चित ही उस पर विजय तुम्हारी होती,

इसलिये है मनुष्यौ अपने अन्दर की बुराई का नाश कर मेरी शरण मैं आ, मै तुझे अन्नत सुख दूंगा!!

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