Thursday 9 June 2016

ईश्वर वाणी-१४७, ईश्वर को देखना

ईश्वर कहते है " हे मनुष्यों तुम मुझे इन ऑखों से नही देख सकते, क्योंकी ये ऑखे केवल तुम्हें भोतिक वस्तुऔ को दिखाती है,

है मनुष्यों मन की उन ऑखों से तुम मुझे देख सकते हो जो मुझमें तुम्हारा विश्वास जगाती है, इसलिये ऑखे बंद कर सच्चे मन से मुझे याद करने मेरी अराधना करने से ही तुम मुझे देख सकते हो,

तभी जिस भी मार्ग से जिस भी मेरे रूप मैं तुम मुझे पुकारते हो वहॉ ऑखे बंद कर ही मेरी अराधना के विषय मैं तुमसे कहा जाता है ताकी समस्त भौतिकता से नही मन की गहराई और मन की पवित्रता से तुम मुझे देख सको मुझे पा सको,

हे मनुष्यों जिस प्रकार एक पशु अपने मालिक के भौतिक रूप जो नाशवान है पर नही अपितु गुन रूपी वयक्तीत्व को पसन्द करता है  उसी की उपासना और विश्वास करता है, जैसै एक द्रश्टीहीन व्यकती मन की ऑखों से सबको देख सबको सुन्दर देखता है, है मनुष्यों उन्ही ऑखों से तुम मुझे देख सकते हो, यही कारण है जब मैरी स्तुती करते हुये ऑखे बंद कर मुझे अथवा मुझमैं ध्यान लगाने को तुमसे कहा जाता है"


कल्याण हो

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