Sunday 2 July 2017

कविता-न तन्हाई जाये

करके वफा तुझसे, नसीब में मेरे तो बेवफाई आये
कर हर खुशी नाम तेरे, ज़िन्दगी से न तन्हाई जाये

'मीठी' सी चाहत का, एक ख्वाब देखा था बस मैंने
तोड़ कर हर ख्वाब, 'ख़ुशी' क्यों हर बार रुलाई जाये

तेरे ही इश्क में 'मीठी', भुलाई है मैंने दुनिया सारी
तुझसे क्यों न 'ख़ुशी' से, दुनिया ये भुलाई जाये

याद में तेरी, कितना तड़पती है 'मीठी' पल पल
'ख़ुशी' इन लबो पर, तुझसे आखिर न लायी जाये

'मीठी' बातो से दिल, चुराने वाले ए मेरे हमनसिं
'ख़ुशी' की कोई बात, तुझसे न कभी बताई जाये

मेरी मोहब्बत को, कर दिया बदनाम तुमने जग में
फिर भी मिलाते हो आँखे मुझसे, ये न छिपाई जाये

की है आशिकी यहाँ, तुमने भी कभी किसी से तो
क्यों आखिर, तुमसे ये अब न किसिसे जताई जाये

कमी क्या लगी, तुम्हे मेरी मोहब्बत में ऐ मेरे हमदम
कुछ आज तुम मेरी सुनो, कुछ तुम्हारी सुनाई जाये

न बैठो अब और खामोश तुम, बोलो न मुह फेरो तुम
गुमसुम बहुत रह लिये, आज कुछ अपनी बताई जाये

करके वफा तुझसे, नसीब में मेरे तो बेवफाई आये
कर हर खुशी नाम तेरे, ज़िन्दगी से न तन्हाई जाये-2

 कॉपीराइट@मीठी-ख़ुशी(अर्चना मिश्रा)

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