Wednesday 5 September 2018

ईश्वर वाणी-265, परम व सच्चा सुख

ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों तुम्हारे दुख का कारण केवल भौतिक रिश्तों और भौतिक वस्तुओं के प्रति मोह है।

यद्धपि ये दुनिया ही एक माया अर्थात छलावा है, जो आज जैसा है कल वो न ऐसा होगा, जैसे तुम्हारा शरीर तुम्हारे जन्म से ले कर अब तक कितने ही रूप बदल चुका है और अंत मे एक दिन ये तुम्हारी आत्मा को भी खुद से दूर कर पंच तत्व में विलीन हो जायेगा, अर्थात ये तुम्हारी भौतिक देह भी एक माया ही है।

हे मनुष्यों में तुमसे कहता हूँ तुम इस माया का त्याग कर उस सत्य का अनुशरण करो जो तुम्हे वास्तविक सुख व शांति देता है, जो तुम्हे मुझ तक लाता है।

यद्धपि में ये नही कहता कि अपने भौतिक रिश्तो को त्याग कर वैरागी बन जाओ बल्कि उनका निर्वाह करते हुए मुझमे लीन हो जाओ, नित्य कर्म करते हुए मेरे बताये मार्ग पर चलो मेरे ही रूप को हॄदय की आँखों मे बसा मेरा ही नाम जपो, निश्चित ही तुम अपने समस्त दुखो से मुक्ति पाओगे में तुम्हे असीम शांति दूँगा, में परमात्मा हूँ।"

कल्याण हो

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