Friday 16 October 2020

ईश्वर वाणी-291, सबकुछ मैं ही हूँ

 ईश्वर कहते हैं, "हे मनुष्यों यद्धपि इस संसार में सबकुच मेरी ही इच्छा से होता है, मेरी इच्छा के बिना कुछ भी सम्भव नही है।

मैं ही सत्य हूँ मैं ही असत्य हूँ, मैं ही आज हूँ, मैं ही आने वाला व पिछला कल हूँ।

मैं ही तुम हूँ, मैं ही तुम्हारा मित्र, भाई, बहन, माता, पिता, दादा, दादी, नाना, नानी व सभी नातेदार हूँ, मैं ही तुम्हारा पड़ोसी व मैं ही तुम्हारा शत्रु भी हूँ।

मै ही पुण्य हूँ, मैं ही पाप हूँ, मैं ही दुराचारी रावण व राम भी मै ही हूँ।

हे मनुष्यों मैं ही समस्त जीवों में प्राणशक्ति रूप में जीवात्मा बन कर, तुम्हारी शक्ति बन कर तुम्हारे अंदर हूँ।
मैं ही पथभ्रष्ठ हूँ व मैं ही मोक्ष हूँ। तुम यदि मुझे देखना चाहते हो तो हर जीव व समस्त प्रकृति में मेरी मौजूदगी को देखो और महसूस करो, यदि तुम ऐसा करते हो तो निश्चित रूप से अज्ञान का अंधकार तुम्हारे भीतर से चला जायेगा किन्तु यदि नही जाता तो कोई बात नही क्योंकि मैं ही ज्ञान हूँ मैं ही अज्ञान भी हूँ, इसलिए जब तक मेरी इच्छा नही होगी तुम मेरे वास्तविक रूप को नही जान सकते और युगों तक अज्ञान के अंधकार में रह जन्म-मरण के चक्र में उलझे रहोगे क्योंकि सब कुछ मुझसे है, सबकुच मुझमे है और सबकुच मैं ही हूँ।"

कल्याण हो


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