Saturday 3 July 2021

Love hindi shayri

 दिल की बात बताना न आया हमें

रोकर फ़िर मुस्कुराना न आया हमे

वो देते रहे पल पल ज़ख्म इश्क में

पर इल्ज़ाम उनको न देना आया हमे


दर्द में भी उन्हें न सताना आया हमे

इश्क़ में किसी को रुलाना न आया हमें

सहते रहे सितम हम ज़माने के यूँही 

ज़ज़्बातो को फ़िर जताना न आया हमें

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