Saturday 7 August 2021

खुदसे ही मोहब्बत करने लगी हूँ-कविता

 खुद में ही अब खुश रहने लगीं हूँ

अकेले में अब मुस्कुराने लगी हूँ

हो गयी है मोहब्बत अब खुदसे ही

खुदसे ही बातें अब करने लगी हूँ



दुनिया भुला अपनी ही होने लगी हूँ

खुदसे ही जाने क्या अब कहने लगी हूँ

जरूरत नही किसी हमराही की मुझे

मोहब्बत खुदसे ही अब करने लगी हूँ

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